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मोबाइल डेटा ऑन होने पर हो सकती है ऑडियो हैकिंग, बचने का तरीका जानिए

स्मार्टफोन में मोबाईल डाटा ऑन करने पर फोन आपकी आवाज सुन सकता है, जिससे कोई भी साइबर क्राइम का शिकार हो सकता है। आइए जानते हैं इससे बचने का तरीका।

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सांकेतिक चित्र(Photo Credit: Freepik)

आजकल स्मार्टफोन हमारी जिंदगी का हिस्सा बन चुका है। हम हर वक्त इसे साथ लेकर चलते हैं, मोबाईल डाटा ऑन रखते हैं और कई ऐप्स को हमेशा एक्सेस की अनुमति देते हैं। हालांकि, क्या आपने कभी सोचा है कि जब आपका मोबाइल डाटा ऑन रहता है, तो क्या आपका फोन आपकी बातें सुनता है? ऐसा इसलिए क्योंकि कई बार साइबर अपराधी मोबाईल में मौजूद कई ऐसे सेटिंग हैं जिनका इस्तेमाल करके नुकसान पहुंचा सकते हैं।

क्या फोन बात सुनता है?

तकनीकी रूप से यह संभव है। कई बार आपने देखा होगा कि आप किसी विषय पर किसी से बात कर रहे होते हैं और थोड़ी देर में उसी विषय से जुड़ा विज्ञापन आपके मोबाइल पर दिखने लगता है। यह संयोग नहीं होता, बल्कि कुछ मोबाइल ऐप्स द्वारा आपकी बातों को सुनने की कोशिश हो सकती है।

 

जब आप किसी ऐप को ‘माइक्रोफोन की अनुमति’ दे देते हैं, तो वो ऐप में आपकी बातों को रिकॉर्ड कर सकता है। हालांकि सभी ऐप्स ऐसा नहीं करते लेकिन कुछ अनजान या संदिग्ध ऐप्स इस सुविधा का गलत इस्तेमाल करते हैं।

 

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साइबर क्राइम में इसका कैसे होता है इस्तेमाल?

डाटा चोरी:

आपकी बातचीत से जुड़ी जानकारी जैसे OTP, बैंक की बात, ईमेल या निजी जानकारी को रिकॉर्ड करके साइबर अपराधी उसका गलत इस्तेमाल कर सकते हैं।

फिशिंग और ब्लैकमेल:

अगर आपकी निजी बातें रिकॉर्ड हो जाएं, तो अपराधी उन्हें वायरल करने या बदनाम करने की धमकी देकर पैसे की मांग कर सकते हैं।

जासूसी और निगरानी:

कुछ मामलों में मोबाइल डिवाइस को निगरानी उपकरण की तरह इस्तेमाल किया जाता है—जैसे किसी को ट्रैक करना या व्यापारिक गुप्त जानकारियाँ चुराना।

इससे कैसे बचें?

अनावश्यक ऐप्स को माइक्रोफोन की अनुमति न दें:

जब भी कोई ऐप माइक्रोफोन की अनुमति मांगे, सोच-समझकर निर्णय लें। सेटिंग्स में जाकर आप देख सकते हैं कि कौन-कौन से ऐप्स को यह एक्सेस मिला है और उसे बंद कर सकते हैं।

फोन में एंटीवायरस ऐप रखें:

एक अच्छा सुरक्षा ऐप या एंटीवायरस आपके फोन को संदिग्ध ऐप्स से बचा सकता है।

संदिग्ध लिंक या मैसेज पर क्लिक न करें:

कई बार हैकर्स लिंक भेजकर वायरस इंस्टॉल कराते हैं। ऐसे मैसेज या मेल को इग्नोर करें।

निजी बातचीत में सतर्कता रखें:

बहुत गोपनीय बात करते समय मोबाइल को कमरे से दूर रखें या एयरोप्लेन मोड पर रखें।

सिस्टम और ऐप्स को अपडेट रखें:

पुराने सॉफ्टवेयर में सिक्योरिटी कमजोरियां हो सकती हैं। समय-समय पर अपडेट ज़रूरी है।

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