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क्या आपका हेल्थ इंश्योरेंस वाकई मुसीबत के समय काम आता है?

हेल्थ इन्श्योरेन्स को लेकर कई लोगों के मन तरह-तरह के सवाल उठते हैं। सबसे बड़ा सवाल है कि क्या यह काम आता है या नहीं।

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सांकेतिक चित्र(Photo Credit: Freepik)

भारत में हेल्थ इंश्योरेंस से आज कई लोगों के परिचित हैं। आज भी ज्यादातर लोग इसे टैक्स बचाने या नौकरी के समय कंपनी के नियमों का पालन करने के लिए लेते हैं। हालांकि कई लोगों के मन में हेल्थ इन्श्योरेन्स को लेकर कई तरह की धारणाएं होती हैं, कि क्या वाकई यह मुसीबत के समय काम आता है और अगर आता है तो इसे कैसे इस्तेमाल किया जाता। पर कई लोग यह नहीं जानते कि इस सुविधा को लेने से पहले इससे जुड़ी कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

छिपे हुए खर्च और अधूरी सुरक्षा

बीते कुछ सालों में स्वास्थ्य सेवाएं काफी बदल चुकी हैं। तरह-तरह से इलाज किए जा रहे हैं और बीमारी के रोकथाम पर तेजी से होता है। इसके साथ खर्चे भी बढ़ जाते हैं। हालांकि कई बीमा योजनाएं अब भी पुराने नियमों पर चल रही हैं। जैसे- अगर आपके बीमा में कमरे का किराया 4,000 रुपये प्रति दिन तय है और आप 5,000 रुपये वाले कमरे में भर्ती होते हैं, तो आपके सभी क्लेम सिर्फ 80-90%का ही भुगतान होता है। मतलब आपका पूरा क्लेम कम हो जाता है। इसके अलावा, अस्पताल में भर्ती के दौरान मिलने वाले किट, रजिस्ट्रेशन फी जैसे खर्च भी अक्सर बीमा में नहीं आते।

 

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कुछ खर्च जो सामान्य बीमा में नहीं शामिल होते

  • डिलीवरी और प्रसव की सुविधा या तो बहुत लंबे इंतेजार के बाद मिलती है या नहीं भी मिलती है।
  • दांत और आंखों से जुड़ी परेशानियों को अक्सर बीमा में शामिल नहीं किया जाता।
  • अस्पताल के बाहर किए गए जांच, कन्सल्टन्सी आमतौर पर बीमा का हिस्सा नहीं होते।
  • रोबोटिक सर्जरी या अंग देने वाले से जुड़े खर्च भी आम पॉलिसी में नहीं आते।

क्यों जरूरी है पूरी बीमा कवर?

भारत में अब भी ज्यादातर मेडिकल खर्च खुदकी जेब से करने पड़ते हैं, चाहे बीमा हो या न हो। इसलिए आज के समय में ऐसा प्लान लेना जरूरी है जो इलाज की पूरी प्रक्रिया को कवर करे, जिसमें अस्पताल से लेकर घर पर आराम तक सब शामिल हो।

 

उदाहरण के लिए, यदि कोई दंपती परिवार बढ़ाने की सोच रहा है, तो बीमा में डिलीवरी, नवजात शिशु की देखभाल और शुरुआती वैक्सिनेशन भी शामिल होना चाहिए। इसी तरह, अगर किसी को ऑपरेशन की जरूरत है, तो सर्जरी से पहले की जांच, एक्सपर्ट की दूसरी राय और छुट्टी के बाद की देखभाल का खर्च भी कवर में आना चाहिए।

 

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एक बेहतर बीमा कैसा हो?

एक्स्पर्ट्स का कहना है कि बीमा अस्पताल में भर्ती से पहले और बाद का इलाज भी शामिल हो। इसके साथ रोबोटिक सर्जरी जैसे एड्वान्स इलाज भी कवर हो और  अंगदान से जुड़े खर्च दोनों पक्षों के लिए बीमा में हों। साथ ही यह भी मानना है कि डेंटल और आंखों से जुड़े इलाज में भी अब समय के साथ खर्च बढ़ रहा है, जिस वजह से इसे भी शामिल करना चाहिए। बीमा राशि खर्च हो जाने पर अपने-आप रीस्टोर होने की सुविधा होनी चाहिए।

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