सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने नेशनल हाइवे के कुछ रूट पर लगने वाले टोल टैक्स को कम करने का ऐलान किया है। सड़क के कुछ हिस्सों को लेकर टोल दरों में 50 प्रतिशत तक की बड़ी कटौती की घोषणा की गई है। जिन रास्तों में सुरंगें, पुल, फ्लाईओवर और एलिवेटेड कॉरिडोर होंगे, वहां 50 प्रतिशत तक कम टोल टैक्स देना पड़ेगा।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने नेशनल हाइवे फी (डिटरमिनेशन ऑफ रेट्स एंड कलेक्शन) रूल 2009 के प्रवाधानों में संशोधन करते हुए टोल फीस के लिए नया फॉर्मूला तैयार किया है। यह बदलाव, पहली बार 2 जुलाई 2025 को आधिकारिक तौर पर लागू हुआ। इसी दिन अधिसूचना जारी की गई।
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टोल टैक्स किस आधार पर लिया जाए?
नए नियमों के तहत टोल की गणना दो तरीकों से होगी, और इनमें से जो कम होगा, वही लागू होगा। मान लीजिए कि किसी हाइवे का कुछ हिस्सा सामान्य सड़क है, कुछ हिस्सा फ्लाईओवर, सुरंग, या पुल है तो ऐसे टोल कलेक्ट किया जाएगा-
- पहला तरीका: फ्लाईओवर, पुल या सुरंग की कुल लंबाई को 10 गुना करें और उसमें बाकी सामान्य सड़क की लंबाई जोड़ दें।
- दूसरा तरीका: पूरे हाइवे की लंबाई जिसमें फ्लाइओवर, पुल और सुरंग भी शामिल है, उसका 5 गुना कर दिया जाए।
कैसे तय होंगी टोल दरें?
सरकार ने ही इसे उदाहरण देकर समझाया है। अगर हाइवे की लंबाई 40 किलोमीटर है लेकिन इसमें पुल, सुरंग और फ्लाइओवर भी शामिल है तो पुराने नियमों के तहत टोल 400 किलोमीटर के हिसाब से लिया जाता था। अब नए फॉर्मूले के तहत 200 किलोमीटर के आधार पर लिया जाएगा, जिससे यात्रियों की जेब पर बोझ कम पड़ेगा।
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क्यों बदलाव की जरूरत पड़ी?
पहले पुल, सुरंग और फ्लाइओवर पर हुए खर्च, रखरखाव की बढ़ी हुई कीमत की वजह से प्रति किलोमीटर ऐसे रास्तों पर सामान्य दर से 10 गुना ज्यादा टोल टैक्स लिया जाता था। अब ऐसा नहीं होगा। नेशनल हाइवे अथॉरिटी (NHAI) के एक सीनियर अधिकारी ने संशोधन पर कहा है कि यह कदम टोल कलेक्शन को तर्कसंगत बनाने और आम लोगों को राहत देने के लिए उठाया गया है। नए नियमों से सड़क बनाने की लागत वसूली और उस पर होने वाले खर्च के बीच सामंजस्य बना रहेगा और लोगों को कोई असुविधा भी नहीं होगी।