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विवादों में आ गईं मैथिली ठाकुर और केतकी सिंह, इतना अहम क्यों है मिथिला का पाग?

बिहार के मिथिलांचल में पाग को विशेष महत्व दिया जाता है। मिथिला में पाग को पहचान और गौरव का प्रतीक माना जाता है, आइए जानते हैं मिथिला में पाग से जुड़ा सांस्कृतिक महत्व क्या है।

Maithili Thakur

मैथिली ठाकुर: Photo Credit: X handle/ Maithili Thakur

बिहार में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं और हर दिन एक नए मुद्दे पर बहस छिड़ जा रही है। इस बहस का नया केंद्र बनी हैं लोकगायिका और अब भारतीय जनता पार्टी (BJP) की नेत्री मैथिली ठाकुर। उनके बहस और विवादों में आने की वजह 'मिथिला का पाग' है। मैथिला ठाकुर के अलावा BJP नेत्री केतकी सिंह की भी खूब आलोचना हो रहा है। दोनों पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि इन्होंने मिथिला के पाग का अपमान किया है। इनसे जुड़े वीडियो भी खूब वायरल हो रहे हैं। ऐसे में मिथिला के पाग की अहमियत समझना जरूरी हो जाता है। 

 

बिहार की धरती सिर्फ परंपरा और संस्कृति की मिसाल नहीं, बल्कि अस्मिता और गौरव की भी प्रतीक है। इसी पहचान का एक अहम हिस्सा है मिथिला पाग। माथे पर सजा यह पारंपरिक सिरोपट्टा सिर्फ एक परिधान नहीं, बल्कि मैथिल संस्कृति की आन, बान और शान का प्रतीक माना जाता है। माना जाता है कि मिथिला पाग सम्मान और गरिमा का प्रतीक है, जिसे विशेष अवसरों, धार्मिक अनुष्ठानों और सामाजिक आयोजनों में पुरुष अपने सिर पर धारण करते हैं। मिथिला की परंपरा और सांस्कृतिक महत्व के अनुसार,  पाग न केवल सिर की शोभा बढ़ाता है, बल्कि यह बताता है कि पहनने वाला व्यक्ति अपनी जड़ों और संस्कृति से गहराई से जुड़ा हुआ है।

 

इस पाग का संबंध सीधे मिथिला की पहचान, उसकी परंपराओं और मैथिली भाषा से जुड़ा है। पाग का हर रंग अपनी एक अलग कहानी कहता है। एक वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि मंच से अपनी बात कहते-कहते केतकी सिंह पाग को उठाकर नीचे फेंक देती हैं। यह घटना उस समय हुई, जब वह मिथिला क्षेत्र में अलीनगर सीट से बीजेपी प्रत्याशी मैथिली ठाकुर के समर्थन में चुनाव प्रचार करने आई थीं। दूसरा वीडियो खुद मैथिली ठाकुर का है जिसमें वह पाग को टोकरी की तरह इस्तेमाल करती दिख रही हैं और उसमें रखकर मखाना खा रही हैं। मुख्य विवाद इन दो वीडियो को लेकर ही हो रहा है।

 

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क्यों महत्वपूर्ण है मिथिला का पाग?

सम्मान और पहचान का प्रतीक – पाग पहनना मिथिलांचल में गरिमा और सामाजिक प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता है। मिथिला के पुरुष वर्ग के लोग इस पाग को विशेष अवसरों, संस्कारों, विवाह, धार्मिक कार्यों और सामाजिक आयोजनों में पहनते हैं। 

 

धरोहर की रक्षा और पुनरुद्धार – मिथिला में पिछले वर्षों में 'पाग बचाओ अभियान' जनसहभागिता के साथ चला, जिससे यह पारंपरिक प्रतीक फिर से लोकप्रिय हुआ। इसके साथ ही 2017 में पाग पर डाक टिकट जारी हुआ और मैकमिलन डिक्शनरी में पाग शब्द को शामिल किया गया। 

 

रंगों का संकेत – पाग के रंगों को भी विशिष्ट मान्यता प्राप्त है। उदाहरण के लिए, विवाह-समय वर पक्ष के लोग लाल-रंग का पाग पहनते हैं, समारोह में उपस्थिति होने वाले लोग सरसों-रंग या सफेद पाग का इस्तेमाल करते हैं। 

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पाग किससे संबंधित है?

  • पाग मिथिलांचल के मैथिल समुदाय के पुरुष पहनते हैं और यह इस समुदाय की संस्कृति, परंपरा और सामाजिक समझ का प्रतीक माना जाता है। 
  • इसे एक तरह की पगड़ी माना जा सकता है जो सामाजिक समरसता भी दिखाती है। जात-पात की दीवारों को तोड़ते हुए, हाल-फिलहाल महिलाएं भी इस प्रतीक को अपना रही हैं। 
  • मिथिला में पाग को पहनने का अर्थ अपनी मिट्टी (मिथिला) से जुड़ाव बनाए रखना भी माना जाता है।

पाग किससे संबंधित है?

मिथिला क्षेत्र की भाषा-संस्कृति, परिधान और लोकपरम्पराएं पाग से गहराई से जुड़ी हैं। अनुमान है कि प्राचीन काल में पाग पौधों की पत्तियों से बनाया जाता था, जिसका स्वरूप बदलकर आज के कपड़े और रंगीन डिजाइनों में आया है। इस पाग का संबंध मैथिली साहित्य, लोकआस्थाओं और सामुदायिक आत्म-पहचान से भी है। मिथिला का खिताब 'जय मिथिला, जय मैथिली' इसी सांस्कृतिक गर्व को व्यक्त करता है। 

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