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'100 में 2-4 लड़कियां ही पवित्र', प्रेमानंद महाराज के बयान पर हंगामा

प्रेमानंद महाराज ने एक सभा में कहा कि आज के समय में 100 में 2-4 लड़कियां ही पवित्र हैं। उन्होंने कहा कि आज कल बच्चे-बच्चियां पवित्र नहीं हैं। अगर पवित्र मिल जाएं तो भगवान का वरदान समझिए।

premanand maharaj

प्रेमानंद महाराज। (Photo Credit: YT@BhajanMarg)

अनिरुद्धाचार्य के बाद अब प्रेमानंद महाराज ने महिलाओं को लेकर एक ऐसी टिप्पणी की है, जिस पर विवाद खड़ा हो गया है। उन्होंने कहा कि आज के समय में 100 में 2-4 लड़कियां ही पवित्र हैं, इसलिए अब शादियां नहीं टिक रही हैं। उनके इस बयान पर बड़ा बवाल खड़ा हो गया है।

 

दरअसल, उनकी सभा में एक श्रद्धालु ने पूछा कि आजकल बच्चे अपनी पसंद या माता-पिता की पसंद से शादी करें लेकिन दोनों ही स्थिति में परिणाम अच्छे नहीं रहते। इसके जवाब में प्रेमानंद महाराज ने कहा, 'अच्छे परिणाम कैसे आएंगे? क्योंकि चरित्र पवित्र नहीं हैं'

 

युवाओं के रहन-सहन पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा, 'हमारे पहले की माताओं-बहनों के रहन-सहन देखो। आज बच्चे-बच्चियां कैसी पोशाकें पहन रहे हैं? कैसा आचरण कर रहे हैं? एक लड़के से ब्रेकअप, दूसरे से व्यवहार, फिर दूसरे से ब्रेकअप और तीसरे से व्यवहार। व्यवहार व्यभिचार में परिवर्तित हो रहा है'

'2-4 कन्याएं ही पवित्र होंगी'

प्रेमानंद महाराज ने कहा, 'मान लो हमें 4 होटल के भोजन खाने की आदत पड़ गई है तो घर की रसोई का भोजन अच्छा नहीं लगेगा। जब 4 पुरुष से मिलने की आदत पड़ गई है तो एक पति को स्वीकार करने की हिम्मत नहीं रह जाएगी। ऐसे ही जब 4 लड़कियों से व्यभिचार करता है तो अपनी पत्नी से संतुष्ट नहीं रहेगा। उसे 4 से व्यभिचार करना पड़ेगा, क्योंकि उसने आदत बना ली है। हमारी आदतें खराब हो रही हैं। यह सब मोबाइल चल गया। गंदी बातें चल रही हैं। आजकल अच्छी बहू मिलना या पति मिलना बड़ा मुश्किल है। 100 में कोई 2-4 कन्याएं ऐसी होंगी जो अपना पवित्र जीवन रखकर पुरुष को समर्पित होती होंगी। कैसे वो सच्ची बहू बनेगी? जो 4 लड़कों से मिल चुकी होगी। जो 4 लड़कियों से मिल चुका होगा, वह कैसे सच्चा पति होगा?'

 

'लिव-इन रिलेशन गंदगी का खजाना'

उन्होंने कहा, 'भारत धर्म प्रधान देश है। हमारे देश में गलतियां घुस गई हैं। विदेशी माहौल घुस गया। यह लिव इन रिलेशन क्या है? गंदगी का खजाना। हमारे यहां पवित्रता के लिए जान दे दी जाती थी। जब मुगलों का आक्रमण हुआ तो पवित्रता के लिए जान दे दी लेकिन शरीर छूने नहीं दिया। अपने पति के लिए प्राण देने की भावना हमारे देश में रही है। हमारी जान चाहे चली जाए लेकिन पति का बाल बाका न हो और यहां पतियों के साथ ऐसा व्यवहार हो रहा है। यहां पत्नी को प्राण माना गया है, अर्धांगिनी माना गया है। यह इसलिए हो रहा है, क्योंकि व्यभिचार हो रहा है'

 

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'पवित्र मिल जाए तो वरदान समझिए'

प्रेमानंद महाराज यहीं नहीं रुके। उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर आज के समय में कोई पवित्र मिल जाए तो उसे भगवान का वरदान समझिए।

 

उन्होंने कहा, 'ब्याह हुआ तो पूरे गांव के देवी-देवताओं का पूजन होता था। बुजुर्गों के आशीर्वाद लिए जाते थे। तब गृहस्थ घर में जाते थे। आज पहले ही व्यभिचार करके बैठे हुए हैं, गंदे आचरण करके बैठे हुए हैं, क्या जानें उस पवित्र धारा को, क्या मानेंगे पाणिग्रहण को। जिस पति ने पाणिग्रहण कर लिया, उसके लिए जीवन समर्पित किया जाता है'

 

उन्होंने कहा, 'हमारा भारत देश है, विदेश नहीं है कि आज इसके साथ, कल उसके साथ, परसों उसके साथ। सबसे बड़ी समस्या यह है कि बच्चे-बच्चियां ही अब पवित्र नहीं हैं। अगर किसी तरह से पवित्र मिल जाएं तो भगवान का वरदान समझो'

 

प्रेमानंद ने आखिर में कहा, 'हम कहते हैं कि जो बचपन में गलती हो गई, हो गई लेकिन ब्याह होने के बाद तो सुधर जाओ। बड़ा विचित्र समय है'

 

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