आज की दुनिया डिजिटल है। डिजिटल भरी इस दुनिया में सोशल मीडिया की अपनी एक अलग अहमियत है। इसलिए आज के दौर में सोशल मीडिया पर वीडियो या फोटो वायरल होना आम बात है लेकिन इसी सोशल मीडिया के जरिए कई कहानियां हमारे सामने आती हैं। आज सोशल मीडिया के जरिए कुछ कहानियां ऐसी भी वायरल होती हैं जो दिल को छू जाती हैं। महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर जिले के गजानन मंदिर के बाहर भीख मांगकर खाना खाने वाले एक 95 साल साल के बुजुर्ग और उनकी पत्नी अपने निच्छल प्रेम और मन के कारण वायरल हैं।
निवृत्ति शिंदे और शांताबाई एक बुजुर्ग पति-पत्नी हैं। निवृत्ति शिंदे ने पत्नी शांताबाई की मुराद पुरी करने के लिए भीख मांगकर पैसे कमाए। दरअसल, वायरल वीडियो में निवृत्ति शिंदे और उनकी पत्नी शांताबाई हाल ही में सड़कों पर भीख मांगकर कमाए गए पैसों से किसी आभूषण की दुकान पर 'मंगलसूत्र' खरीद रहे थे। दोनों ने मिलकर मंगलसूत्र खरीदने के लिए एक महीने में 1100 रुपये जमा किए। इसी वाकये का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है।
मंलगसूत्र के लिए सिक्कों की पोटली खोली
दंपत्ति जमा किए गए 1100 रुपये को लेकर आभूषण की दुकान पर गए। आभूषण की दुकान पर जाकर बुजुर्ग ने लाल कपड़े में जमा किए गए सिक्कों की पोटली खोल दी। दुकान का मालिक यह पूरा माजरा देखकर दंग होकर कौतूहल से देख रहा था। बुजुर्ग दंपत्ति की कहानी सुनकर आभूषण की दुकान के मालिक ने उन्हें 20 रुपये में 'मंगलसूत्र' दे दिया।
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मालिक ने मुफ्त में गहने दिए- निवृत्ति शिंदे
समाचार एजेंसी एएनआई से निवृत्ति शिंदे ने बात की है। उन्होंने बात करते हुए, 'मैं पिछले 15 सालों से अपनी पत्नी से कह रहा था कि मैं उसे कुछ सोने के गहने दिलाऊंगा। लेकिन मैं ऐसा नहीं कर पाया। परसों जब हम आभूषण की दुकान पर गए तो मालिक ने हमें मुफ्त में गहने दे दिए। इससे हम बहुत खुश हुए।'
चिल्लर देकर नोट लेता था दंपत्ति
मंगलसूत्र खरीदने का वीडियो देखकर सोशल मीडिया पर हर कोई भावुक हो रहा है और इसके लिए लोग आभूषण दुकान मालिक की तारीफ कर रहे हैं। एएनआई से बात करते हुए छत्रपति संभाजीनगर में मेडिकल स्टोर चलाने वाले श्रीनिवास ने कहा, 'बाबा (निवृत्ति शिंदे) की कहानी सुनकर आप चौंक जाएंगे। वे गजानन महाराज मंदिर के बाहर पैसे मांगते हैं। हर दिन, वे सिग्नल पर धूप और बारिश में भीख मांगते हैं और फिर उसे नोटों में बदलवाते हैं। वह अक्सर मुझसे चिल्लर देकर नोट ले जाते हैं।'
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श्रीनिवास ने आगे कहा, 'उनकी उम्र करीब 95 साल है। सिग्नल पर भीख मांगना या मंदिर के बाहर सोना जोखिम भरा है। फिर भी, उन्होंने अपनी पत्नी के लिए एक-एक पैसा बचाया है। उनका एक बेटा भी है जो मजदूरी करता है। उनके बेटे ने कर्ज लिया था, जिसकी वजह से उन्हें औरंगाबाद आना पड़ा। लेकिन बाबा बूढ़े हैं। वे काम नहीं कर सकते। एक बार उनके पैसे भी चोरी हो गए थे। सरकार को उन्हें कहीं सुरक्षित जगह दिलाने में मदद करनी चाहिए।'