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राजस्थान में मीटिंग के दौरान हाथापाई पर उतरे BJP नेता, वायरल वीडियो

राज्य स्तरीय मीटिंग के दौरान बीजेपी नेताओं के बीच हाथापाई होने लगी। खास बात यह सारी घटना पार्टी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौर के सामने हुई।

screengrab of video

वीडियो का स्क्रीनग्रैब

राजस्थान में बीजपी के अल्पसंख्यक मोर्चा के नेता गुरुवार को प्रदेश अध्यक्ष मदन राठोर के सामने ही लड़ने लगे। सोशल मीडिया पर चल रहे वीडियो में दोनों नेताओं जावेद कुरैशी और जैकी को सभी पार्टी कार्यकर्ताओं के सामने कॉलर पकड़ते, थप्पड़ मारते और एक-दूसरे के सिर पर वार करते हुए देखा जा सकता है।

 

राज्य स्तरीय बैठक के दौरान दोनों नेताओं के बीच हुई झड़प को देखकर अन्य लोग स्तब्ध रह गए।

 

अल्पसंख्यक विंग के नेता जैकी ने राज्य भाजपा प्रमुख मदन राठौर को मंच पर ले जाने की कोशिश की। हालांकि, अल्पसंख्यक विंग के राज्य महासचिव जावेद कुरैशी ने उन्हें रोक दिया। कथित तौर पर दोनों के बीच तीखी नोकझोंक हुई और फिर स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई।

 

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राज्य विधानसभा में गतिरोध जारी
इस बीच, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर टिप्पणी को लेकर राज्य विधानसभा में गतिरोध गुरुवार को भी जारी रहा, क्योंकि कांग्रेस विधायकों ने कार्यवाही का बहिष्कार किया और मॉक सेशन आयोजित किया।

 

यह मामला तब और बढ़ गया जब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कथित तौर पर स्पीकर वासुदेव देवनानी के खिलाफ 'अशोभनीय टिप्पणी' की।

हाथ में तख्तियां लिए कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा की ओर मार्च किया और परिसर के बाहर बैठ गए। उन्होंने नारे लगाए और मंत्री से उनकी टिप्पणी के लिए माफ़ी मांगने की मांग की।

 

सदन के बाहर प्रश्नकाल
कांग्रेस विधायकों ने सदन के बाहर एक नकली प्रश्नकाल भी आयोजित किया। कांग्रेस के एक विधायक ने 'अध्यक्ष' की भूमिका निभाई, जबकि अन्य सदस्यों ने उनसे सत्तारूढ़ भाजपा नेताओं के 'व्यवहार' पर सवाल पूछे।

 

नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा, 'हम तीन दिन तक विधानसभा में सोए रहे। गतिरोध खत्म करने के लिए बातचीत हुई। विपक्ष के तीन नेताओं ने खेद जताया। इसके बावजूद मंत्री जवाब नहीं दे रहे हैं।' 

 

उन्होंने कहा, 'मैंने सीएम और संसदीय कार्य मंत्री को बता दिया है कि बातचीत के लिए हमारे दरवाजे खुले हैं। डोटासरा जी ने भी कहा कि वे स्पीकर के आवास पर जाकर मामले को स्पष्ट कर सकते हैं। सरकार अपने मंत्रियों के कामकाज से डरी हुई है और वे जवाब नहीं दे पा रहे हैं। यही कारण है कि वे सदन नहीं चलाना चाहते।'

 

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