माओवादी हिंसा प्रभावित गढ़चिरौली में लौह अयस्क उत्पादन को दोगुना करने की हरी झंडी मिली गई है। लॉयड्स मेटल्स एंड एनर्जी लिमिटेड ने उत्पादन बढ़ाने के लिए पर्यावरण मंजूरी मांगी थी। अब पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (EAC) ने हरी झंडी दी है। गढ़चिरौली जिले के सुरजागढ़ पहाड़ियों में लॉयड्स मेटल्स एंड एनर्जी लिमिटेड की खदान है। यहां हर साल 10 मिलियन टन का उत्पादन होता है। इसे बढ़ाकर सलाना 26 मिलियन टन करना है। यह पर्यावरण मंजूरी 30 वर्षों तक वैध होगी।
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक मौजूदा समय में लॉयड्स मेटल्स एंड एनर्जी लिमिटेड के पास 10 मिलियन टन लौह अयस्क के खनन के लिए पर्यावरण मंजूरी है। अब नई सिफारिश से खनन ब्लॉक से 45 मिलियन टन बैंडेड हेमेटाइट क्वार्ट्ज (बीएचक्यू) के निकासी का रास्ता भी साफ हो गया है। खदानों के ऊपरी हिस्से में लौह अयस्क मिलता है। वहीं बीएचक्यू गहराई में पाया जाता है। बीएचक्यू को कुचलकर ही हेमेटाइट निकाला जाता है। हालांकि सड़क मार्ग से इसका परिवहन नहीं किया जाएगा। कंपनी एक पाइपलाइन का निर्माण कर रही है।
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900 हेक्टेयर में लगेगा नया प्लांट
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पर्यावरण मंत्रालय ने 900 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में 100000 से अधिक पेड़ों को को काटने की हरी झंडी दी है। यहां लॉयड्स मेटल्स एंड एनर्जी का अयस्क वाशिंग प्लांट लगेगा। इस प्लांट में लौह अयस्क को साफ किया जाएगा। कंपनी को वन्यजीव प्रबंधन और संरक्षण का भी पालन करना होगा।
गढ़चिरौली में माओवादी विद्रोह धीरे-धीरे कम होने लगा है। महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने 2025 का पहला दिन गढ़चिरौली में ही बिताया था। तब उनके सामने 11 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया था। लॉयड्स मेटल्स एंड एनर्जी लिमिटेड को साल 2007 में सुरजागढ़ में लौह अयस्क के खनन का पट्टा मिला था। यह खदान 348 हेक्टेयर में फैली है। पहले पट्टा 20 वर्षों के लिए था, लेकिन बाद में इसे 2057 तक बढ़ा दिया गया। कंपनी ने यहां अपना खनन कार्य 2016 से शुरू किया था। कुछ समय बाद ही माओवादियों ने हमला कर दिया। इसके बाद कंपनी को अपना कामकाज रोकना पड़ा था।
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माओवादियों ने ट्रकों को लगा दी दी आग
सुरजागढ़ क्षेत्र में माओवादियों ने सबसे बड़ा हमला दिसंबर 2016 में किया था। यहां खड़े 69 ट्रकों और 3 अर्थ मूवर्स को आगे लगा दी थी। लॉयड स्टील के उपाध्यक्ष जसपाल सिंह ढिल्लों की माओवादी गोली मारकर हत्या भी कर चुके हैं। सुरजागढ़ में कंपनी की एक मात्र खदान है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में खदान से 3.207 मिलियन टन लौह अयस्क का खनन हुआ था।