नेस्ले इंडिया देश के स्टॉक मार्केट रेगुलेटर, सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की रडार पर है। SEBI ने इनसाइडर ट्रेडिंग से जुड़े नियमों के उल्लंघन पर चेतावनी दी है। SEBI के आरोप हैं कि नेस्ले इंडिया के बड़े अधिकारियों ने इन नियमों को तोड़ा है, जिसकी वजह से उन्हें वार्निंग लेटर भेजा गया है।
SEBI के वार्निंग लेटर पर नेस्ले इंडिया का कहना है कि कंपनी नियमित और आर्थिक गतिविधियों को सामान्य तरीके से ही चला रही है। नेस्ले इंडिया ने इस कथित धांधली में शामिल शख्स की पहचान का खुलासा नहीं किया है।
क्या हैं नेस्ले पर आरोप?
कंपनी के कंप्लायंस अधिकारी को कंपनी के एक नॉमिनेटेड शख्स ने SEBI (प्रोहिबिशन ऑफ इनसाइडर ट्रेनिंग) के उल्लंघन के लिए SEBI के डिप्टी जनरल मैनेजर से एक एडमिनिस्ट्रेटिव वॉर्निंग लेटर मिला है।
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नेस्ले ने क्या कहा है?
नेस्ले इंडिया के प्रवक्ता ने कहा कि इसका कंपनी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। नेस्ले इंडिया ने कहा, 'हम साफ तौर पर कह रहे हैं कि इसका कंपनी की वित्तीय और ऑपरेटिंग क्षमताओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। यह जानकारी SEBI लिस्टिंग रेग्युलेशन के रूल 30 के मुताबिक दी गई है।'
इनसाइडर ट्रेडिंग क्या है?
इनसाइडर ट्रेडिंग भारत के बाजारों की बड़ी समस्या बन गई है। लोग प्रभावीशाली पदों पर होते भी बाजार को अस्थिर करने के कदम उठाते रहे हैं। जब किसी कंपनी के लोग इक्विटी और बॉन्ड जैसी गारंटी को बेचाते या खरीदते हैं, जिसमें कर्मचारी, निदेशक, अधिकारी और प्रमोटर शामिल होते हैं, यह प्रक्रिया इनसाइडर ट्रेडिंग कहलाती है।
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इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि अगर किसी कंपनी के कर्मचारी को पता है कि उसकी कंपनी जल्द ही कोई बड़े प्रॉफिट पर दांव खेलने वाली है, या कोई बड़ा डील करने वाली है और वह इस जानकारी के आधार पर पहले से शेयर खरीद लेता है, जिसे बेचकर वह मुनाफा कमा सके तो इसे इनसाइडर ट्रेडिंग कहेंगे। SEBI ने इनसाइडर ट्रेडिंग रोकने के लिए कड़े नियम बनाए हैं, जिसके उल्लंघन पर जेल और जुर्माना दोनों देना पड़ सकता है।
SEBI क्या है?
देश के शेयर बाजार और सिक्योरिटीज को नियंत्रित और संचालित करती है। SEBI की स्थापना 12 अप्रैल 1988 को हुई थी, इसे पूरी तरह से वैधानिक अधिकार 30 जनवरी 1992 को SEBI एक्ट, 1992 के तहत मिले। इसका मुख्यालय मुंबई में है।