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मुजफ्फरपुर: NDA -महागठबंधन के बीच है बराबरी की टक्कर, किसके पाले में जाएगी गेंद?

मुजफ्फरपुर जिले में कुल 11 सीटें हैं जिन पर महागठबंधन और एनडीए के बीच लगभग बराबरी की लड़ाई है। ऐसे में देखना होगा कि इस बारे कौन बाजी मारेगा?

Muzaffarpur । Photo Credit: Khabargaon

मुजफ्फरपुर । Photo Credit: Khabargaon

मुजफ्फरपुर, बिहार का एक ऐसा जिला है, जो अपनी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विशेषताओं के लिए जाना जाता है। यह जिला न केवल बिहार की राजनीति और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, बल्कि देश की आजादी के संघर्ष में भी इसकी उल्लेखनीय भूमिका रही है। कभी स्वतंत्रता संग्राम के दौर में क्रांतिकारियों का गढ़ रहा मुजफ्फरपुर अब बिहार के सबसे विकसित और समृद्ध जिलों में से एक है। यह जिला अपनी लीची की खेती, शैक्षिक संस्थानों और सांस्कृतिक धरोहर के लिए भी विश्वविख्यात है।

 

मुजफ्फरपुर का इतिहास स्वतंत्रता संग्राम से गहराई से जुड़ा हुआ है। 1908 में हुए प्रसिद्ध मुजफ्फरपुर बम कांड ने इस जिले को राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में ला दिया था। यह घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक महत्वपूर्ण कड़ी थी, जब क्रांतिकारी खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी ने ब्रिटिश मजिस्ट्रेट डगलस किंग्सफोर्ड को निशाना बनाने की कोशिश की थी। हालांकि, इस हमले में किंग्सफोर्ड बच गया, लेकिन इस घटना ने स्वतंत्रता संग्राम में युवाओं को प्रेरित किया। खुदीराम बोस की शहादत ने मुजफ्फरपुर को क्रांतिकारियों के लिए एक प्रतीकात्मक स्थान बना दिया। आज भी खुदीराम बोस की स्मृति में शहर में कई स्मारक और स्थल मौजूद हैं, जो उनकी वीरता की गाथा को जीवंत रखते हैं।

 

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राजनीतिक समीकरण

मुजफ्फरपुर बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण केंद्र है। जिले की 11 विधानसभा सीटें—मुजफ्फरपुर, औराई, मीनापुर, बोचहा, सकरा, कुढ़नी, कांटी, बरुराज, पारू, साहेबगंज, और गायघाट—राज्य की राजनीति में अहम भूमिका निभाती हैं। ये सीटें दो लोकसभा क्षेत्रों, मुजफ्फरपुर और वैशाली, के अंतर्गत आती हैं।

 

पिछले कुछ दशकों में मुजफ्फरपुर की राजनीति में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और आरजेडी के बीच कांटे की टक्कर रही है। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में NDA और महागठबंधन के बीच मुकाबला लगभग बराबरी का ही रहा है। BJP ने 4 और JDU ने 1 सीट जीती, जबकि आरजेडी को 4 और कांग्रेस को 1 सीट मिली। मुजफ्फरपुर में कांग्रेस का प्रदर्शन पिछले कुछ दशकों में कमजोर रहा है। 2020 के चुनाव में कांग्रेस केवल एक सीट पर ही जीत हासिल कर सकी।

प्रमुख विधानसभा सीटें

मुजफ्फरपुर: यह सीट जिले का केंद्र है। इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों जीतते रहे हैं। 1980 से 1990 तक कांग्रेस इस सीट पर काबिज रही। उसके बाद कई पार्टियां जीतीं फिर 2010 और 2015 में बीजेपी जीती लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में फिर कांग्रेस के बिजेंद्र चौधरी जीत गए।


कांटी: यह सीट एनडीए के लिए कभी भी अच्छी नहीं रही। आमतौर पर इस सीट से कांग्रेस या आरजेडी जीतती रही है। पिछली बार इस सीट से आरजेडी के मोहम्मद इसराइल खान जीते थे।


कुढ़नी: यह सीट एनडीए का गढ़ रही है। 2020 के विधानसभा चुनाव में यही सीट आरजेडी ने जीत ली थी लेकिन 2022 में हुए उपचुनाव में JDU ने फिर इस सीट पर कब्जा जमा लिया।


सकरा: यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है और यहां JDU का प्रभाव रहा है। यह सीट मुख्य रूप से जेडीयू ही जीतती आई है। पिछली बार भी जेडीयू के अशोक कुमार चौधरी ने जीत दर्ज की थी।


बोचहां: यह सीट अक्सर आरजेडी के कब्जे में रही है। 2020 के विधानसभा चुनाव में वीआईपी के मुसाफिर खान इस पर जीते थे लेकिन 2022 के उपचुनाव में आरजेडी के अमर पासवान को जीत मिली। साल 2000 और 2005 में भी आरजेडी ने ही जीत दर्ज की थी।


औराईः पिछले विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी के रामसूरत राय ने जीत दर्ज की थी। यह सीट मुख्य रूप से बीजेपी या जेडीयू के ही कब्जे में रही है। साल 1977 से 1995 तक इस सीट पर जनता दल का भी कब्जा रहा है।


मीनापुरः इस सीट पर आरजेडी और जेडीयू के बीच बराबर की टक्कर देखने को मिलती है। पिछले दो बार से यहां से आरजेडी का विधायक बना तो उसके पहले दो बार जेडीयू का विधायक बना। 2020 में इस सीट से आरजेडी के राजीव कुमार चुनाव जीते थे।


बरुराजः बरुराज सीट पर इस वक्त बीजेपी के अरुण कुमार सिंह का कब्जा है। हालांकि इसके पहले 2005 से लेकर 2015 तक आरजेडी का कब्जा था। उसके पहले शशि कुमार राय अलग-अलग पार्टियों से 1985 से लेकर 2000 तक इस सीट पर काबिज रहे।


पारूः पारू सीट पर साल 2005 से बीजेपी के अशोक कुमार सिंह का कब्जा रहा है।  उसके पहले 1995 से 2005 तक मिथिलेश यादव का दबदबा रहा। जिसमें उन्होंने दो बार आरजेडी के टिकट पर और एक बार जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ा।


साहेबगंजः इस सीट पर राजू कुमार सिंह का दबदबा रहा है। इस सीट पर वह 2005 में और 2010 में जेडीयू से विधायक रहे इसके बाद 2015 में आरजेडी के राम विचार राय ने यह सीट जीत ली,लेकिन 2020 के चुनाव में वीआईपी से टिकट से लड़कर उन्होंने फिर से इस सीट पर कब्जा कर लिया। इसके पहले 1900 से लेकर 2000 तक राम विचार राय का इस पर कब्जा रहा है।


गायघाट: इस सीट पर मुख्यतः आरजेडी का कब्जा रहा है। पिछले दो बार से इस सीट पर आरजेडी जीतती आ रही है। 2010 में बीजेपी की वीणा देवी ने जीत दर्ज की थी। मौजूदा विधायक आरजेडी के निरंजन रॉय हैं।

जिले का प्रोफाइल

मुजफ्फरपुर जिला बिहार के तिरहुत प्रमंडल का हिस्सा है। जिले का क्षेत्रफल लगभग 3,172 वर्ग किलोमीटर है, और 2011 के अनुमान के अनुसार इसकी जनसंख्या करीब 48 लाख है। जनसंख्या घनत्व 1,514 प्रति वर्ग किलोमीटर है, जो बिहार के अन्य जिलों की तुलना में काफी अधिक है। जिले में लिंगानुपात 900 महिलाएं प्रति 1,000 पुरुष और साक्षरता दर लगभग 63.18% है।

 

प्रशासनिक रूप से, मुजफ्फरपुर जिले में 2 अनुमंडल (पूर्वी और पश्चिमी), 16 प्रखंड, और 1,907 गांव हैं। जिले में 11 नगर पालिका क्षेत्र और 11 विधानसभा सीटें हैं, जो दो लोकसभा क्षेत्रों—मुजफ्फरपुर और वैशाली—में बंटी हुई हैं।

 

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मौजूदा स्थिति

कुल सीटें- 11

कांग्रेस - 1

आरजेडी- 4

बीजेपी- 4

जेडीयू- 1

वीआईपी- 1

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