बिहार: 17% आबादी, अल्पसंख्यक वोटों की होड़, नेताओं का हाल क्या है?
बिहार में मुस्लिम समुदाय की आबादी करीब 17 फीसदी है। बिहार की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों का कोई भी अध्यक्ष इस वर्ग से नहीं आता। दूसरे और तीसरे स्तर के नेताओं में भी इस समुदाय की हिस्सेदारी कम है।

बिहार विधानसभा चुनाव। (AI Generated Image। Photo Credit: Khabargaon)
बिहार में राष्ट्रीय जनता दल हो, कांग्रेस हो नई नवेली लॉन्च हुई पार्टी जनसुराज, हर पार्टी खुद को अल्पसंख्यकों का हितैषी बता रही है। लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी तो खुलकर कहते हैं कि जिसकी जितनी आबादी, उसकी उतनी हिस्सेदारी। राष्ट्रीय जनता दल तो खुद को अल्पसंख्यकों की पार्टी ही बताती है। ईद आते ही आरजेडी की इफ्तार पार्टी सुर्खियों में आ जाती है। सिर पर कढ़ाई वाली टोपी, चकदार गमछा और इस्लामिक नेताओं के साथ इफ्तार पार्टी करने वाले नेताओं को चुनाव में टिकट बांटते वक्त 17 फीसदी आबादी कम नजर आती है।
मुस्लिम वोटों पर अभी इंडिया ब्लॉक के दल दावा ठोक रहे हैं। वजह यह है कि वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को संसद में समर्थन देने के बाद से ही नीतीश कुमार मुस्लिम नेताओं के निशाने पर हैं। यही नाराजगी लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (HAM) से भी है। एनडीए के सहयोगी दलों से अल्पसंख्यक नेता नाराज भी हैं। भारतीय जनता पार्टी हिंदुत्व की राजनीति करती है, इसलिए अल्पसंख्यक कोटे के प्रभावी नेता कम हैं।
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दिलचस्प बात यह है कि बिहार में भले ही दूसरी राजनीतिक पार्टियों के मुस्लिम नेता चर्चा में न रहते हों, बीजेपी के अल्पसंख्य नेता चर्चा में रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता शहनवाज हुसैन बिहार से ही आते हैं। वह केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं। बिहार की नीतीश कुमार सरकार में भी मंत्री रहे हैं। अब आइए जानते हैं कि 17 फीसदी वोट के बाद भी राजनीतिक पार्टियों की टॉप लीडरशिप में मुसलमान नेता कहां खड़े हैं?
बिहार विधानसभा में कितने मुस्लिम विधायक
बिहार में कुल 19 मुस्लिम विधायक हैं। राष्ट्रीय जनता दल से 8 विधायक हैं। कांग्रेस से 4 और CPI (M-L) से 1 विधायक। बसपा से भी एक मुस्लिम विधायक ने चुनाव जीता था। बिहार की कुल 243 विधानसभाओं में सिर्फ 19 मुस्लिम विधायक हैं। AIMIM से 5 विधायक जीते थे लेकिन 4 विधायक आरजेडी में चले गए। बिहार में मुस्लिम वर्ग की आबादी साल 2024 के आकंड़ों के मुताबिक करीब 17 फीसदी है। 47 सीटें हैं, जहां मुस्लिम वोटर हार और जीत तय करते हैं। साल 2015 में 24 मुस्लिम चेहरा चुनकर आए थे, जिसमें RJD के 11 और JDU से 5 चेहरे सदन में आए।
राष्ट्रीय जनता दल में मुस्लिम नेताओं का क्या हाल है?
राष्ट्रीय जनता दल खुद को अल्पसंख्यक, पिछड़ों और दलितों की पार्टी बताती है। राष्ट्रीय जनता दल के कोर वोटर मुस्लिम और यादव कहे जाते हैं। जहां-जहां मुस्लिम और यादव मतदाताओं की संख्या निर्णायक स्थिति में है, वहां आरजेडी का प्रदर्शन अच्छा है। इस पार्टी के पास बिहार में 75 विधानसभा सीटें हैं। तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री उम्मीदवार हैं। पार्टी की टॉप लीडरशिप में सिर्फ एक मुसलमान नेता हैं।
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- अब्दुल बारी सिद्दीकी: दूसरी पार्टी की तुलना में आरजेडी में मुस्लिम नेताओं का हाल ठीक है। आरजेडी के बड़े नेताओं में अब्दुल बारी सिद्दीकी की गिनती होती है। वह बिहार विधानसभा में विपक्ष भी रहे हैं। अभी वह विधानपरिषद सदस्य हैं। वह दरभंगा जिले से आते हैं। आरजेडी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं, बिहार के पूर्व कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं। प्रादेशिक कार्यकारिणी में भी शामिल रहे हैं।
- मोहम्मद शहनवाज आलम: मोहम्मत शहनवाज आलम अररिया लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदराव रह चुके हैं। वह पूर्व मंत्री रहे हैं, अभी जोकीहाट से विधायक हैं। अपनी विधानसभा में सक्रिय रहते हैं। तेजस्वी के साथ सार्वजनिक मंचों पर नजर आ चुके हैं।
- मोहम्मद इसराइल मंसूरी: आरजेडी के बड़े नेता हैं, बिहार सरकार में आईटी मंत्रालय भी संभाल चुके हैं। वह कांटी विधानसभा से आते हैं। अपने क्षेत्र में सक्रिय हैं। तेजस्वी के करीबी बताए जाते हैं।
- शमीम अहमद: बिहार सरकार में विधि मंत्री रहे हैं। वह नरकटिया से विधायक हैं।
- एमएए फात्मी: पूर्व सासंद और मंत्री रहे हैं। वह जेडीयू आरजेडी के अल्पसंख्यक सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं।
कांग्रेस में मुस्लिम नेताओं का हाल क्या है?
- तारिक अनवर: बिहार कांग्रेस में कई अल्पसंख्यक चेहरे हैं। कांग्रेस नेता तारिक अनवर कटिहार से सासंद हैं, कांग्रेस के बड़े नेताओं में गिनती होती है। वह कटिहार से सासंद भी हैं। वह कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव भी रहे हैं। वह बिहार सरकार में खाद्य और प्रसंस्करण मंत्री भी रहे हैं। वह 3 दसक से राजनीति में हैं। 6 बार लोकसभा और 2 बार राज्यसभा के लिए चुने जा चुके हैं। अभी बिहार के लिए संगठन की रूप-रेखा तय कर रहे हैं।
- मोहम्मद जावेद: किशनगंज के सांसद मोहम्मद जावेद आए दिन चर्चा में रहते हैं। वह पेशे से डॉक्टर हैं और राजनेता हैं। साल 1989 में राजनीति में शामिल हुए। वह किशनगंज का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। साल 2019 और 2024 में लोकसभा चुनाव जीतकर वह संसद भी पहुंचे। बिहार कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार है। अभी बिहार में कांग्रेस संगठन को मजबूत करने की रणनीति तैयर कर रहे हैं।
- शकील अहमद खान: शकील अहमद खान कटिहार जिले की कदवा विधानसभा से विधायक हैं। वह बिहार कांग्रेस के बड़े नताओं में शुमार हैं।
AIMIM का हाल क्या है?
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में AIMIM ने अच्छा प्रदर्शन किया था। कुल 1.3 प्रतिशत वोट पड़े लेकिन पार्टी ने सिर्फ 20 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। 5 विधायक जीते थे। 4 आरजेडी में चले गए। सिर्फ एक विधायक AIMIM के पास है। असदुद्दीन ओवैसी के बाद यहां AIMIM के सिर्फ एक नेता को लोग जानते हैं, जिनका नाम अख्तरुल ईमान है।
अख्तरुल ईमान: वह बिहार AIMIM के अध्यक्ष हैं, अमौर से विधायक हैं। साल 2005 में किशनगंज से RJD के टिकट पर वह विधायक चुने गए, फिर 2010 में कोचाधामन से। 2014 में RJD छोड़कर JD(U) में शामिल हुए, लेकिन लोकसभा चुनाव हार गए। 2015 में AIMIM में शामिल होकर कोचाधामन से लड़े पर हार गए। 2020 में उन्हें जीत हासिल हुई। अब वह पार्टी के बड़े चेहरे हैं। अख्तरुल ईमान के अलावा कमरुल होदा और सलीम परवेज का नाम भी चर्चा में है। अलग बात यह है कि अब सिर्फ बिहार में AIMIM अख्तरुल ईमान के नाम से ही पहचानी जा रही है।
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जेडीयू में अल्पसंख्यकों का हाल क्या है?
मौलाना फजलुर्रहीम मुजद्दीदी:-
नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू, चिराग पासवान, जैसे लोगों ने मुसलमानों की पीठ में छुरा घोंपने का काम किया है। इन सबको पहचान लीजिए किसी को वोट नही देना है।
जेडीयू बीजेपी के साथ हमेशा से रही है लेकिन कभी अल्पसंख्यक विरोधी होने का ठप्पा नहीं लगा है। अलग बात है कि नरेंद्र मोदी सरकार में कई बार पार्टी की नीतियों पर अल्पसंख्यकों ने सवाल उठाए हैं। सीएएए से लेकर वक्फ संशोधन विधेयक तक, पार्टी का रुख अल्पसंख्यक नेताओं को रास नहीं आया है। नीतीश कुमार के इफ्तार की तस्वीरें सुर्खियों में रहती हैं। हाल ही में उन्होंने टोपी पहनने से इनकार किया था, जिस पर अल्पसंख्यक नेताओं ने नाराजगी जाहिर की थी। वक्फ बिल को समर्थन देने की वजह से शाह नवाज मलिक, मोहम्मद कासिम अंसारी जैसे नेताओं ने इस्तीफा दिया। जेडीयू से बिहार में एक भी मुस्लिम विधायक नहीं है। उनकी पार्टी में अल्पसंख्यक नेताओं का हाल क्या है? एक नजर-
- सलीम परवेज: सलीम परवेज बिहार विधान परिषद के उपाध्यक्ष रहे हैं। उनकी गिनती बिहार के सीनियर नेताओं में होती है। साल 2018 में वह आरजेडी में शामिल हुए थे। वहां से जेडीयू में लौटे। वह सारण से आते हैं। अल्पसंख्यक समुदाय में उनकी मजबूत पकड़ है। 2023 में बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष बने और 2025 में फिर से नियुक्त हुए। वह अल्पसंख्यक कल्याण और शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय हैं। उनकी गिनती नीतीश कुमार के करीबियों में होती है।
- इकबाल हैदर: जेडीयू के प्रदेश महासचिव हैं। बिहार में वक्फ बोर्ड पर नीतीश कुमार के रुख से नाराज नेताओं को मनाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी।
बीजेपी में अल्पसंख्यक चेहरों का हाल क्या है?
- शाहनवाज हुसैन: भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के नेता हैं। वह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। देश के दिग्गज नेताओं में उनकी गिनती होती है। वह पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे हैं। वह बिहार सरकार में भी मंत्री रहे हैं। बीजेपी के सबसे बड़े अल्पसंख्यक नेताओं में से एक हैं। वह अटल बिहारी सरकार में भी मंत्री रहे, नरेंद्र मोदी सरकार में भी। किशनगंज लोकसभा सीट से सांसद भी रहे हैं।
- साबिर अली: साबिर अली बीजेपी की राष्ट्रीय महासचिव हैं। वह अल्पसंख्यक मोर्चे का प्रतिनिधित्व करते हैं। वह पूर्व राज्यसभा सदस्य रहे हैं। पसमांदा मुस्लिमों में वह बेहद लोकप्रिय हैं।
- जमाल सिद्दीकी: जमाल सिद्दीकी अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। वह बिहार में सक्रिय हैं, पार्टी के लिए अल्पसंख्यक वोटरों को साधने की रणनीति तैयार कर रहे हैं। बिहार की राजनीति में इन दिनों सक्रिय हैं।
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