चुनाव में नेताओं के स्वास्थ्य को लेकर अक्सर अफवाहें उड़ती हैं। चुनाव प्रचार के लिए जिन 'तंत्रों' को बेहद अहम माना जाता है, उनमें से 'अफवाह तंत्र' भी कम असरदार नहीं होता है। राजनीतिक पार्टियां, अक्सर सत्तारूढ़ दलों के मुखिया को बीमार बताकर चुनावी लाभ हासिल करने की कोशिश करती हैं। एक बड़े वर्ग का मानना है कि नवंबर 2024 में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में जो बाइडेन की सेहत को लेकर अफवाहें उड़ाई गईं, उन्हें खुद पीछे हटना पड़ना, कमला हैरिस को आगे करना पड़ा लेकिन तब तक चुनाव डेमोक्रेट्स के हाथ से निकल चुका था और रिपब्लिकन को अच्छी बढ़त मिल गई थी। भारत में भी ऐसे ही कई नेताओं के बारे में अफवाहें फैली, जिसके बाद चुनाव प्रभावित हुआ। अब नीतीश कुमार के स्वास्थ्य के बारे में भी ऐसे ही अफवाहें सामने आ रही हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के स्वास्थ्य के बारे में भी ऐसी ही अफवाहें फैलाई जा रही हैं। विपक्षी नेताओं का एक धड़ा नीतीश कुमार को बीमार बता रहा है। राष्ट्रीय जनता दल का कहना है कि नीतीश कुमार की उम्र हो गई है, वह भूलने लगे हैं, कुछ भी बोल देते हैं, कैमरे पर अजीब हरकतें करते हैं। 
प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज के सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा जा रहा है कि नीतीश कुमार 'मानसिक' रूप से बीमार हैं। तर्क दिए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार ऑन कैमरा, अजीब हरकतें करते नजर आते हैं, बहस के बीच में भी भूल जाते हैं कि क्या बोलना है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी खुलकर कहने लगे हैं कि नीतीश कुमार बीमार हैं, उनकी मानसिक सेहत ठीक नहीं है।
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बारे में फैल रही हैं अफवाहें 
प्रशांत किशोर:-
मुख्यमंत्री बिहार चलाने लायक नहीं हैं। अगर वह स्वस्थ हैं तो मुझ पर मानहानि का केस करें। वह साबित करें कि मानसिक तौर पर स्वस्थ हैं।
हकीकत क्या है?
भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड, दोनों दल मिलकर इन आरोपों का खंडन कर रहे हैं। नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार ने एक इंटरव्यू में कहा था, 'मुख्यमंत्री 100 फीसदी स्वस्थ हैं, पूरी तरह से फिट हैं। नीतीश कुमार ने बीते 19 साल में राज्य का विकास किया है। 2025 में भी जनता उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के लिए वोट करेगी।' सत्तारूढ़ दल का कहना है कि बिहार में चुनाव का दौर है, विपक्ष अफवाहों के जरिए ही सत्ता में आने की कोशिश कर रहा है। 
कितने सक्रिय हैं नीतीश कुमार?
बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार खासे सक्रिय हैं। वह आए दिन जनसभाओं और रैलियों में नजर आते हैं। वह पार्टी की अहम बैठक में नजर आते हैं, हर सामाजिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं, पद यात्राएं करते हैं। वह अक्सर जनसभाओं में जनता को संबोधित करते नजर आ रहे हैं। 
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और किन नेताओं के बारे में फैली है अफवाह?
- अशोक गहलोत
 अशोक गहलोत के बारे में भी अफवाह उड़ी थी। उनके बारे में भी 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले अफवाह फैली कि वह बीमार हैं। दावा किया गया कि अशोक गहलोत की उम्र हो गई है, अब वह राजनीति करने लायक नहीं बचे हैं। ये चुनाव के तनीजों के बाद भी चलीं। सचिन पायलट खेमे के लोगों पर भी अफवाह फैलाने के आरोप लगे। चुनाव के नतीजे कांग्रेस के पक्ष में नहीं रहे।
 
 
- भूपेंद्र सिंह हुड्डा 
 हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, राज्य में कांग्रेस पार्टी के सबसे बड़े नेताओं में शुमार हैं। साल 2023 में उनके स्वास्थ्य के बारे में अफवाह फैली की वह बहुत बीमार हैं। वह बीमार थे लेकिन इतना भी नहीं कि उनकी सियासत पर ही असर आ जाए। उन्हें सर्वाइकल और की और हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत थी, जिसके बाद उन्हें मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। साल 2024 में आए नतीजे, कांग्रेस के पक्ष में नहीं रहे, बीजेपी ने एक बार फिर सरकार बना ली।
 
 
- सोनिया गांधी
 सोनिया गांधी के बारे में अक्सर अफवाहें फैलती हैं। लोकसभा चुनावों के दौरान अक्सर सुनने को मिलता है कि वह किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं, उनकी सेहत खराब है। वह यूपीए और कांग्रेस अध्यक्ष रही हैं, कांग्रेस 'अलाकमान' उन्हें ही माना जाता है। वह कई बार चुनावों के बीच अस्पताल भी गई हैं। साल 2014 से ही ऐसे दावे किए जा रहे हैं। साल 2014, 2019 और 2025 में भी ऐसी अफवाहें फैलीं। सोनिया गांधी ने लोकसभा चुनाव 2024 से दूरी बरती, सक्रिय राजनीति में उतरने से परहेज किया। उन्होंने रायबरेली की सीट राहुल गांधी के लिए छोड़ दी और अब राज्यसभा सासंद हैं। 2014 से ही कांग्रेस सत्ता से बाहर है।
जब अफवाह पर बदल गई थी अमेरिका में सरकार
नवंबर 2024 में हुए अमेरिकी चुनावों से ठीक पहले अफवाह फैली की जो तत्कालीन राष्ट्रपति और डेमोक्रेट उम्मीदवार बाइडेन बीमार हैं। उनके बारे में कहा गया कि वह भूल जाते हैं। कुछ लोगों ने कहा कि उन्हें डिमेंशिया है। एक बार वह क्वाड समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक का नाम भूल गए थे। उन्होंने कोशिश की लेकिन याद ही नहीं आया। एक मंच पर उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेंलेस्की को व्लादिमीर पुतिन कह दिया। उन्हें चुनाव नजदीक आने पर यह ऐलान करना पड़ा कि तत्कालीन उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, राष्ट्रपति उम्मीदवार होंगी। जो बाइडेन, लगभग जीता हुआ चुनाव हार गए थे। हर सर्वे में उन्हीं की सरकार बन रही थी। ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी सत्ता में आ गई, उनकी विदाई हो गई।