बिहार में भारतीय जनता पार्टी से लेकर राष्ट्रीय जनता दल तक इलेक्टर्स फोटो आइडेंटिटी कार्ड (EPIC) को लेकर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने डिप्टी सीएम विजय सिन्हा पर आरोप लगाया है उनके पास दो-दो EPIC कार्ड है। खुद तेजस्वी यादव के नाम भी दो-दो EPIC हैं। दोनों नेताओं को चुनाव आयोग ने नोटिस भी भेजा है। बीजेपी ने तेजस्वी यादव पर आरोप लगाते हुए 3 अगस्त को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी किया था। पार्टी का आरोप था कि अगर RJD के सबसे बड़े नेता के पास 2-2 EPIC नंबर हैं तो बाकी कार्यकर्ताओं का हाल क्या होगा।
बीजेपी ने कहा था कि बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) का विरोध राजनीतिक पार्टियों ने सिर्फ इसलिए किया था कि क्योंकि इनके फर्जी वोटर कार्ड बने हुए हैं। कुछ ऐसे ही आरोप, बीजेपी के नेताओं पर राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के नेता लगा रहे हैं। सिर्फ तेजस्वी यादव या विजय सिन्हा ही नहीं, कई लोगों के दो-दो ईपीआईसी नंबर हैं। कभी सोचा है कि अगर कोई शख्स दो EPIC नंबर जानबूझकर बनवाए तो क्या सजा होगी? आइए जानते हैं-
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फेक EPIC पर 1 साल की सजा, जुर्माना भी लगेगा
सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट रुपाली पंवार बताती हैं, 'द रिप्रजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट 1950 की धारा 31 में गलत तरीके से तो वोटर आईडी हासिल करने से जुड़े नियम-कानून दिए गए हैं। अगर कोई शख्स, जानबूझकर, गलत मंशा से वोटर लिस्ट में फर्जीवाड़ा करता है, गलत तरीके से सुधार कराता है, इलेक्टोरल रोल में रजिस्ट्रेशन से जुड़ी धांधली करता है तो यह दंडनीय अपराध है। दोषी शख्स को कम से कम 1 साल की सजा हो सकती है, जुर्माना भी देना पड़ सकता है।'
BNS में क्या हैं नियम?
एडवोकेट रुपाली पंवार ने कहा कि यह द रिप्रजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट के अलावा, भारतीय न्याय संहिता में भी फर्जीवाड़े से जुड़ा अपराध है। भारतीय न्याय संहिता की धारा 335 इससे संबंधित है। अगर इस तरह की छेड़छाड़, किसी की व्यक्ति संपत्ति या उसे नुकसान पहुंचाने या फंसाने के मकसद से की गई है तो यह धोखाधड़ी है। इसके लिए 3 साल तक की सजा हो सकती है, जुर्माना भी देना पड़ सकता है।
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दोहरे EPIC पर क्या कहता है चुनाव आयोग?
चुनाव आयोग के सामने दो अलग-अलग राज्यों के मतदाताओं के एक जैसे ईपीआईसी नंबर होने का मुद्दा उठाया गया है। चुनाव आयोग ने भी संज्ञान लिया है। ईपीआईसी नंबर चाहे जो भी हो, कोई भी मतदाता अपने राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में अपने निर्धारित मतदान केंद्र पर ही वोट डाल सकता है। वोट डालने की शर्त यह है कि सिर्फ वहां उसका नाम मतदाता सूची में दर्ज हो।
EPIC क्या है?
सभी वैध वोटरों को चुनाव आयोग एक इलेक्टर्स फोटो आइडेंटिटी कार्ड जारी करता है। इसे वोटर आईडी या EPIC के तौर पर लोग जानते हैं। EPIC पर एक वैध नंबर होता है।
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अगर EPIC खो जाए तो क्या करें?
voterportal.eci.gov.in पर जाएं, 'इलेक्टोरल रोल' पर अपना नाम चेक करें।
किसके पास हो सकता है EPIC?
सभी वैध वोटरों के पास एक EPIC नंबर होता है। जिन लोगों ने स्पेशल समरी रिवीजन के बाद अपना नाम वोटर के तौर पर दर्ज करवाया होगा, उनका नाम होगा। जिनका नाम EPIC में नहीं है, वे वैध दस्तावेजों को जमा करके अपना नाम फिर से दर्ज करा सकते हैं।