19 साल से नहीं बन रही थी मां, IVF भी हुआ फेल, अब AI की मदद से बनी मां
हेल्थ
• NEW YORK CITY 12 Jun 2025, (अपडेटेड 13 Jun 2025, 2:33 PM IST)
AI की नई तकनीक 'STAR' की मदद से 19 साल बाद एक महिला प्रेगनेंट हुई खास बात यह है कि 15 बार असफल IVF के बाद वह प्रेग्नेंट हुई है। पढ़िए यह कैसे हुआ।

सांकेतिक तस्वीर, Photo Credit: Grok
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल आजकल हर एक क्षेत्र में हो रहा है। AI ने लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी आसान कर दी है और अब स्वास्थय क्षेत्र में भी AI का इस्तेमाल हो रहा है। AI की मदद से अब एक बच्चे का भी जन्म हुआ है। हैरान कर देने वाली बात यह है कि जिस महिला ने इस बच्चे को जन्म दिया है वह पिछले 19 सालों से मां बनने की कोशिश कर रही थी और IVF तकनीक का इस्तेमाल भी कर चुकी थी। अब इस महिला का मां बनने का सपना AI आधारित IVF तकनीक की मदद से पूरा हुआ है।
जिस कपल को यह बच्चा हुआ है वह माता-पिता बनने के लिए तमाम कोशिशें कर चुके थे। माता-पिता बनने के लिए इस कपल ने 15 बार IVF करवाया था लेकिन हर बार उनके हाथ निराशा ही लगी। इसके बाद उन्होंने डॉक्टरों की सलाह से एक नए टेस्ट(प्रयोग) में हिस्सा लिया। इस टेस्ट में AI तकनीक 'स्पर्म ट्रैकिंग और रिकवरी' (STAR) का इस्तेमाल किया। यह टेस्ट सफल हुआ और महिला AI तकनीक की मदद से प्रेग्नेंट हुई।
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कोलंबिया यूनिवर्सिटी के फर्टिलिटी सेंटर के डॉक्टरों ने इस नई तकनीक को तैयार किया है और उन्होंने इसकी सफलता को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट भी शेयर की। हेल्थ सेक्टर में AI की मदद से प्रेग्नेंसी का यह पहला ही मामला है। यह प्रजनन तकनीक और IVF तकनीक में एक मील का पत्थर है क्योंकि यह AI और रोबोटिक्स की मदद से उन लोगों को माता-पिता बनने में मदद कर जिन्हें किसी मेडिकल कारण से माता-पिता बनने में दिक्कत आ रही है।
क्या थी समस्या?
यह कपल माता-पिता इसलिए नहीं बन पा रहा था क्योंकि प्रेग्नेंट हुई महिला के पति को 'एजोस्पर्मिया' था। एजोस्पर्मिया एक ऐसी कंडीशन है जिसमें पुरुषों के सीमन (वीर्य) में स्पर्म नहीं पाए जाते। बच्चा पैदा करने के लिए महिला के अंडाणु और पुरुष के स्पर्म का मिलना जरुरी है लेकिन एजोस्पर्मिया में पुरुष के वीर्य में स्पर्म न होने के कारण यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाती। इसका हल IVF तकनीक से निकाला जा सकता है लेकिन इस कपल के मामले में पुरुष के स्पर्म को अलग करने में बहुत दिक्कत आ रही थी जिस कारण IVF 15 बार फेल हुआ और 19 साल तक कोशिश करने के बाद भी यह कपल माता-पिता नहीं बन पा रहा था।
AI ने कैसे की मदद?
वैसे तो IVF तकनीक का इस्तेमाल सालों से किया जा रहा है लेकिन इसमें सफलता की संभावना बहुत कम है। AI ने इस STAR तकनीक में वह काम किया जो डॉक्टर नहीं कर पा रहे थे। AI ने उन चीजों को दिखाया जिन्हें इंसान की आंखे नहीं देख सकती हैं। एजोस्पर्मिया में पुरुष के वीर्य में बहुत कम स्पर्म होते हैं जिन्हें देख पाना बहुत मुश्किल होता है। STAR तकनीक में रिसर्चर ने एक मशीन तैयार की जिसमें 1 घंटे में 80 लाख फोटो लिए जा सकते हैं। इन फोटोज में AI की मदद से छोटे-छोटे छिपे हुए स्पर्म को ढूंढ कर निकाला गया। इसके बाद एक खास मशीन में स्पर्म को बिना कोई नुकसान पहुंचाए सुरक्षित तरीके से अलग किया गया। अलग किए हुए स्पर्म में से डॉक्टर AI की मदद से हेल्दी स्पर्म्स का चयन करते हैं। इन्हीं हेल्दी स्पर्म में से किसी एक स्पर्म को महिला के अंडे में डाला गया जिससे भ्रूणतैयार हुआ। इस तरह 19 साल के लंबे इंतजार और 15 बार IVF के असफल होने के बाद महिला प्रेग्नेंट हुई।
IVF तकनीक में आएगा बदलाव
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) एक सहायक प्रजनन तकनीक है जिसमें लैब में महिला के अंडे को पुरुष के शुक्राणु के साथ मिलाया जाता है और भ्रूण तैयार किया जाता है। भ्रूण तैयार होने के बाद इसको महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है ताकि महिला प्रेग्नेंट हो सके। यह तकनीक बहुत मंहगी है और इसमें भ्रूण से प्रेग्नेंट होने की संभावना कम है। अब जब इस तकनीक में AI की मदद ली जा रही है तो इससे संभावना है कि आने वाले समय में इसके असफल होने की संभावना कम होगी और इसकी लागत भी कम होगी। इस तकनीक के सफल होने से प्रजनन चिकित्सा में क्रांतिकारी बदलाव आने की संभावना है और यह सुविधा समाज के सभी लोगों को मिल सकेगी।
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AI से होंगे बड़े बदलाव?
कोलंबिया यूनिवर्सिटी में फर्टिलिटी सेंटर के मुखिया डॉ. जेव विलियम्स इस प्रोजेक्ट के हेड थे। इसकी सफलता के बाद उन्होंने कहा कि यह सिर्फ शुरुआत है। इस तकनीक की मदद से आगे चलकर भ्रूण का चयन करने में, जेनेटिक जांच करने में और अन्य इलाज भी किए जा सकेंगे।
STAR तकनीक का यह पहला टेस्ट था और इसमें यह सफल हुई है। इसकी सफलता से रिप्रोडक्शन मेडिशन के क्षेत्र में नई उम्मीदें जगाई हैं। इससे IVF के सफल होने की संभावना बढ़ सकती है और मरीजों को कई बार इलाज नहीं कराना पड़ेगा। AI की मदद से इस तकनीक में सफलता के चांस और भी ज्यादा बढ़ जाएंगे। इस तकनीक के विकास से IVF में लगने वाला समय और डॉक्टरों की मेहनत दोनों कम होंगे जिससे यह सस्ती भी हो जाएगी। हालांकि, STAR तकनीक के सफल टेस्ट के बाद उन लोगों के मन में उम्मीद की किरण जगी है जो प्राकृतिक तरीके से माता-पिता नहीं बन पा रहे हैं।
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