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ह्युस्टन यूनिवर्सिटी में हिंदुत्व कोर्स पर हंगामा, समझिए विवाद की ABCD

यूनिवर्सिटी ऑफ ह्यूस्टन के लिव्ड हिंदू रिलीजन कोर्स पर हंगामा बरपा है। वहां मौजूद हिंदू समुदाय का कहना है कि यह कोर्स हिंदुत्व विरोधी है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

University of Houston

ह्युस्टन यूनिवर्सिटी. (Photo Credit: HU/Facebook)

अमेरिका के ह्युस्टन यूनिवर्सिटी में 'लिव्ड हिंदू रिलीजन' कोर्स पर हंगामा बरपा है। इसे हिंदू और भारत विरोधी बताया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि यह कोर्स भारत विरोधी है। यह भारत के राजनीति को गलत तरीके से पेश कर रहा है। बढ़ती आपत्तियों को लेकर ह्युस्टन यूनिवर्सिटी ने कहा है उनकी संस्था, एकेडमिक फ्रीडम का समर्थन करती है। अमेरिका में रह रहे हिंदू समुदाय कुछ छात्रों ने इस पर आपत्ति जताई है।

यूनिवर्सिटी के कोर्स को लेकर कुछ न्यूज चैनलों ने सवाल पूछा तो जवाब मिला, 'यूनिवर्सिटी ऑफ ह्युस्टन एकेडमिक फ्रीडम को महत्व देता है। शिक्षकों को चुनौतीपूर्ण विषयों को समझाने की इजाजत दी जाती है। यूनिवर्सिटी ह्युस्टन आमतौर पर व्यक्तिगत व्याख्यानों की समीक्षा नहीं करता है। 

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जिस कोर्स पर बरपा हंगामा, उसमें खास क्या है?
लाइव्ड हिंदू रिलीजन कोर्स, एक ऑनलाइन कोर्स है। प्रोफेसर आरोन माइकल उलरी सप्ताह में 1 बार लेक्चर देते हैं। उनका कहना है, 'हिंदू धर्म एक पुरानी जीवंत परंपरा नहीं है, यह एक कॉलोनियल कंस्ट्रक्शन है, हिंदू राष्ट्रवादियों का हथियारबंद पॉलिटिकल टूल और शोषण की प्रणाली है।' 

अब तक क्या-क्या हुआ है?
ह्युस्टन के कॉलेज ऑफ लिबरल आर्ट्स एंड सोशल साइंसेज के डीन से इस संबंध में कुछ लोगों ने शिकायत भी दी। इसी कॉलेज में लिव्ड हिंदू रिलीजन कोर्स सिखाया जाता है। इंडिया टुडे ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि विश्वविद्यालय प्रशासन से जुड़े एक अधिकारी ने कहा है कि इस कोर्स पर मिली शिकायतों की समीक्षा की जा रही है।

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विवाद की जड़ में क्या है?

जिस प्रोफेसर के लेक्चर पर बवाल हो रहा है, उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हिंदी कट्टरपंथी करार दिया है। जब सवाल पूछा गया तो अधिकारियों की ओर से जवाब आया, 'यह कोर्स, धर्म के अध्ययन, एकेडमिक्स पर आधारित है। इसमें ईसाई, इस्लाम, बौद्ध और हिंदू धर्म की परंपराओं और धार्मिक परंपराओं को समझने के लिए विश्लेषण किए गए हैं।' जब सवाल पूछे गए तो विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से कहा गया कि इसे गलत समझा गया है। धर्म का अध्ययन करते वक्त शब्दों की प्रासंगिकता अलग हो सकती है। 

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विश्वविद्यालय प्रशासन का क्या कहना है?

विश्वविद्यालय ने इस आरोप के जवाब में कहा है कि इसे अकादमिक स्वतंत्रता के नजरिए से देखा जाना चाहिए। यह कोर्स धर्मों की समझ से जुड़ा है। यह हिंदू धर्म को ऐतिहासिक, सामाजिक और राजनीतिक संदर्भों में समझाता है। जिस प्रोफेसर पर आरोप लगे हैं, उन्होंने अपने बचाव में कहा, 'कोर्स का उद्देश्य हिंदू धर्म की जटिलता और विविधता को समझाना है, न कि इसे बदनाम करना।' अमेरिका में हिंदूफोबिया और एकेडमिक फ्रीडम को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। 

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