अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को दावा किया कि भारत पर रूसी तेल खरीदने के लिए लगाए गए 50% टैरिफ ने रूस की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका दिया है। व्हाइट हाउस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने कहा कि भारत रूस का सबसे बड़ा या दूसरा सबसे बड़ा तेल खरीदार है। इस टैरिफ से रूस की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचा है। डोनाल्ड ट्रंप ने यह भी कहा कि रूस में बहुत संभावनाएं हैं, लेकिन अभी वह मुश्किल में है।
ट्रंप ने कहा, 'रूस की अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही। अमेरिकी टैरिफ और वैश्विक दबाव ने इसे काफी प्रभावित किया है। जब अमेरिका के राष्ट्रपति उनके सबसे बड़े तेल खरीदार को कहते हैं कि रूस से तेल खरीदने पर 50% टैरिफ लगेगा, तो यह रूस के लिए बड़ा झटका है।'
यह भी पढ़ें: क्या कुछ बड़ा करने वाले ट्रंप? वॉशिंगटन में नेशनल गार्ड की होगी तैनाती
भारत पर सख्त, चीन पर नरम हैं ट्रंप के तेवर
हैरान करने वाली बात यह है कि एक तरफ डोनाल्ड ट्रंप भारत पर टैरिफ लाद रहे हैं, दूसरी तरफ चीन पर टैरिफ लादने के लिए ट्रंप ने 90 दिन की समय सीमा और बढ़ा दी है। डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत चीन पर लगने वाले टैरिफ की समय सीमा को 90 दिन और बढ़ा दिया गया है।अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव कम करने की कोशिशें जारी हैं। पहले यह राहत अवधि 12 अगस्त को खत्म होने वाली थी, लेकिन अब इसे नवंबर तक बढ़ा दिया गया है।
अप्रैल में ट्रंप ने चीनी सामान पर टैरिफ को बढ़ाकर 145% कर दिया था, जिसके जवाब में चीन ने भी अमेरिकी सामान पर 125% टैरिफ लगा दिया था। हालांकि, दोनों देशों ने बाद में तनाव कम करने के लिए टैरिफ को घटाया। चीन से आने वाले सामान पर अमेरिका 30% टैरिफ लगा रहा है, जबकि चीन ने अमेरिकी सामान पर 10% टैरिफ तय किया है। यह हाल तब है जब भारत को ट्रंप अपना मित्र देश बताते हैं और चीन-रूस घोषित तौर पर उनके विरोधी देशों में शुमार रहे हैं।
यह भी पढ़ेंः भारत- अमेरिका तनाव के बीच ट्रंप से मिलेंगे पुतिन, क्या है वजह?
50% टैरिफ, भारत ने जताई नाराजगी
वहीं ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 25% टैरिफ के साथ-साथ रूसी तेल खरीदने के लिए अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाया है। अब भारतीय उत्पादों पर कुल 50 फीसदी तक टैरिफ बढ़ गया है। भारत ने अनुचित और अन्यायपूर्ण रवैया करार दिया है।
अलास्का में होगी पुतिन और ट्रंप की मुलाकात
डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन अलास्का में मिलेंगे। उन्होंने कहा, 'यह बहुत सम्मान की बात है कि रूस के राष्ट्रपति हमारे देश में आ रहे हैं, न कि हमें उनके देश या किसी तीसरे देश में जाना पड़ रहा है। मुझे लगता है कि हमारी बातचीत सकारात्मक होगी।'
यह भी पढ़ेंः अमेरिका में ही उठ रही विरोध की आवाज़, ट्रंप के टैरिफ की हो रही आलोचना
पुतिन से मुलाकात के बाद क्या करेंगे ट्रंप?
ट्रंप ने यह भी कहा कि वह इस मुलाकात के बाद यूरोपीय नेताओं से बात करेंगे। पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच मध्यस्थता कराने की कोशिश करेंगे।
क्यों ट्रंप नहीं चाहते रूस से तेल खरीदे भारत?
ट्रंप ने भारत के रूस से तेल खरीदने को लेकर कई बार चिंता जताई है। उनका कहना है कि भारत का यह कदम यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन देता है। भारत ने इसका जवाब देते हुए कहा है कि उसका तेल आयात राष्ट्रीय हितों और 140 करोड़ लोगों की ऊर्जा जरूरतों को ध्यान में रखकर किया जाता है। पुतिन और ट्रंप की मुलाकात से पहले पीएम मोदी और वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच भी बातचीत हुई है।