डोनाल्ड ट्रंप को गिफ्ट में मिला 3300 करोड़ वाला प्लेन इतना खास क्यों?
दुनिया
• WASHINGTON D.C. 13 May 2025, (अपडेटेड 13 May 2025, 6:34 PM IST)
अमेरिकी राष्ट्र्पति डोनाल्ड ट्रंप को तोहफे में एक हवाई जहाज मिल रहा है और इसको लेकर अब हंगामा मच गया है। हंगामा मचा रहे विपक्षियों को डोनाल्ड ट्रंप ने जमकर लताड़ा भी है।

बोइंग 747-8 प्लेन, Photo Credit: Boing
अमेरिका में फिर से एक बार डेमोक्रैट्स और रिपब्लिकन्स में राजनीतिक लड़ाई ठन गयी है। इस बार वजह कुछ अलग है। इस बार इस राजनीतिक टकराव की वजह है एक हवाई जहाज, वह भी कोई आम जहाज़ नहीं, बल्कि दुनिया का सबसे शानदार और आलीशान बोइंग 747-8। हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये यह जानकारी दी कि क़तर का शाही परिवार उन्हें बोइंग 747-8 गिफ्ट के तौर पर दे रहा है। चलिए आपको बताते हैं ट्रंप की नई सवारी में क्या है ख़ास?
जिस विमान की बात हो रही है, वह कोई आम प्राइवेट जेट नहीं, बल्कि एक ‘फ्लाइंस पैलेस’ है यानी उड़ता फिरता महल। Boeing 747-8 मॉडल, जिसे खासतौर पर कतर के शाही परिवार यानी जिन्हें 'द ग्रेट शेख्स ऑफ अरब वर्ल्ड' भी कहा जाता है, उनके लिए लिए डिज़ाइन किया गया था। इसमें सोने के लैम्प, महंगे इंटीरियर्स और प्रेसिडेंशियल ट्रैवल से कहीं ज़्यादा सुविधाएं हैं। इसकी कीमत लगभग 400 मिलियन डॉलर से भी ज़्यादा है, यानी करीब 3300 करोड़ रुपये।
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क्यों खास है यह प्लेन?
747-8 एक ऐसा हवाई जहाज़ जो तकनीक, पर्यावरण और सुविधाओं के मामले में सब पर भारी है। इसी वजह से इसे मॉडर्न एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की एक मिसाल माना जाता है। इसका पायलट कॉमनैलिटी सिस्टम बोइंग के दूसरे ट्विन-आइल प्लेन से काफी हद तक मेल खाता है। लब्बो लुआब यह है कि 747 उड़ाने वाले पायलट बिना किसी अतिरिक्त ट्रेनिंग के 747-8 भी उड़ा सकते हैं।
747-8 का विंग डिज़ाइन भी सबसे मॉडर्न है, जिसमें है बेहतर एरोडायनामिक्स, ज्यादा फ्यूल स्टोरेज और शांतिपूर्ण उड़ान। इतना ही नहीं बल्कि इसकी क्रूज़िंग स्पीड 1060 km/h है यानी वह एवरेज स्पीड जिस पर कोई विमान अपनी चढ़ाई पूरी करने के बाद उड़ता है। आम तौर पर किसी प्लेन जैसे इंडिगो, एयर इंडिया, स्पाइसजेट की क्रूज़िंग स्पीड लगभग 800 से 900 किलोमीटर प्रति घंटा होती है। क्रूज़िंग स्पीड पर ट्रेवल एक्सपीरियंस इसलिए डिपेंड करता है क्योंकि यही वह स्थिर और इकोनॉमिकल स्पीड होती है जिस पर कोई भी विमान लंबी दूरी तक आराम से, कम आवाज करते हुए और कम टर्बुलेंस के साथ उड़ता है।
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इस प्लेन में ऐसे खास पंख लगे हैं जो टेकऑफ, लैंडिंग और उड़ते समय उसे संतुलित बनाए रखते हैं। इसमें इनबोर्ड डबल स्लॉटेड फ्लैप्स यानी पंखों के अंदर की तरफ दो हिस्सों में खुलने वाले हिस्से जो टेकऑफ और लैंडिंग में मदद करते हैं। आउटबोर्ड सिंगल स्लॉटेड फ्लैप्स जिससे प्लेन धीरे और सुरक्षित तरीके से उतर सकता है। रेक्ड विंगटिप्स जिसकी मदद से हवा में उड़ान के समय ईंधन की बचत होती है। कुल मिलाकर, ये सब मिलकर प्लेन को भारी वजन के साथ भी आराम से उड़ने और उतरने में मदद करते हैं। इसके हाई-लिफ्ट गैप्ड क्रूगर फ्लैप्स भी टेकऑफ के दौरान भारी वजन उठाने की कैपेसिटी को सपोर्ट करते हैं।
Boeing 747-8 की तकनीकी खूबियां
इसकी खूबियों में थोड़ा और डिटेल में जाएँगे तो पता चलता है कि 747-8 में इस्तेमाल की गई नई मटेरियल टेक्नोलॉजी, जैसे ग्रेफाइट कंपोज़िट्स और एडवांस्ड एल्युमिनियम अलॉय, इसे न सिर्फ हल्का बनाते हैं बल्कि इसे जंग और टूट-फूट से भी बचाते हैं। इससे इसके रखरखाव पर होने वाला खर्च कम हो जाता है। इसके अलावा, जैसा कि हमने पहले भी बताया था कि इसका इंटीरियर बोइंग 787 से इंस्पायर्ड है जिसमें एलईडी लाइटिंग, बड़े पिवट बिन्स, चौड़ी खिड़कियां, बेहतर हेडरूम और लाइटिंग शामिल हैं। यह यात्रियों को लंबी उड़ानों के दौरान ज़्यादा आराम देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। ऊपरी डेक की बिजनेस क्लास और निचले डेक की फर्स्ट क्लास दोनों ही पैसेंजर को प्राइवेसी और लग्जरी का अनुभव कराते हैं।
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) May 12, 2025
आवाज और पर्यावरण की नजर से देखें तो यह विमान इस मामले में भी काफी आगे है। इसमें जो GenX इंजन लगे हैं, वे बोइंग 787 ड्रीमलाइनर जैसे एडवांस प्लेन से लिए गए हैं। ये इतने मॉडर्न और शांत हैं कि लंदन के हीथ्रो जैसी शांत जगहों वाले एयरपोर्ट से भी दिन-रात उड़ सकते हैं। इसका इंजन ज़हरीली गैसें, जैसे नाइट्रोजन ऑक्साइड, बाकी प्लेनों से 52% कम छोड़ता है, जिससे पर्यावरण को नुकसान न हो और सतत विकास को भी सपोर्ट किया जा सके। इसके अलावा, इसमें काफी बेहतरीन सुरक्षा फीचर्स हैं, जैसे न्यूक्लियर अटैक से सुरक्षा, मिसाइल डिफेंस सिस्टम और बेहतर सैटेलाइट कम्युनिकेशन, जिससे राष्ट्रपति कहीं से भी संपर्क कर सकते हैं।
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पुराना और नया एयरफोर्स-1
साफ है कि बोइंग 747-8 अमेरिका के साथ-साथ इन्हीं वजहों से दुनिया भर में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। इससे पहले पुराना एयरफोर्स-1 यानी Boeing 747-200B, 1970 के दशक में डिज़ाइन किया गया था और तब यह एक अद्वितीय विमान था, जो राष्ट्रपति को सुरक्षा और आराम देता था। हालांकि, इसके तकनीकी सिस्टम अब पुराने हो चुके थे और इसकी स्पीड और ईंधन क्षमता सीमित होने की वजह से लंबी दूरी की यात्रा में परेशानी हो सकती थी। दूसरी तरफ, नया एयरफोर्स-1 यानी बोइंग 747-8 पूरी तरह से अडवांस है।
इस विमान को लेकर क्या विवाद हो रहा है?
ट्रंप इसे भले ही एक ‘गिफ्ट’ कहें लेकिन टेक्नोलॉजी की भाषा में यह एक ‘स्टेटमेंट’ है। इसके बारे में कहें तो यह पुराने एयर फ़ोर्स-1 के लिहाज से ज्यादा उन्नत है और सुरक्षित इतना कि अगर अमेरिका पर न्यूक्लियर अटैक भी हो जाए, तो ट्रम्प आसमान में ही सरकार चला सकते हैं। एक रोचक बात मैं आपको यहां बताऊ कि ट्रंप के अपने पहले कार्यकाल में बोइंग से दो नए 747-8S का कॉन्ट्रैक्ट हुआ था लेकिन डिलीवरी पहले 2024 तक आनी थी, अब वह 2027 से पहले नहीं आएगी। प्रोजेक्ट पर कुल खर्च 5.3 बिलियन डॉलर पहुंच चुका है यानी करीब 44,000 करोड़ रुपए। इस देरी और बढ़ते खर्च को देखते हुए ट्रंप का कहना है कि अगर कतर का विमान मुफ्त में मिल रहा है, तो ये अमेरिका के टैक्सपेयर्स के लिए फायदे की बात है लेकिन इस प्रपोजल को लेकर अमेरिका में सियासी काफ़ी बवाल मचा है। इससे डेमोक्रेट्स भड़के हुए हैं, एथिक्स की बात हो रही है, पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं लेकिन ट्रंप ने अपने स्टाइल में पलटवार करते कहा कि डेमोक्रेट्स को यह बात हज़म नहीं हो रही है कि अमेरिका को एक अरबों डॉलर का विमान मुफ़्त में मिल रहा है।
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क्या कहता है अमेरिका का कानून?
दरअसल, अमेरिका का कानून कहता है कि कोई भी विदेशी सरकार अगर अमेरिका के राष्ट्रपति को गिफ्ट देती है, तो उसे कांग्रेस और एथिक्स कमेटी से क्लियरेंस लेनी होती है और अगर गिफ्ट की वैल्यू 415 डॉलर से ज्यादा है तब उसे निजी इस्तेमाल के लिए नहीं दिया जा सकता। विपक्ष की शिकायत है क्योंकि यह प्लेन बाद में ट्रंप की प्रेसिडेंशियल लाइब्रेरी को दे दिया जाएगा- इसका मतलब ट्रंप के ब्रांड का हिस्सा बनेगा। यहां आपके लिए यह जानना जरूरी है कि अमेरिका में प्रेसिडेंशियल लाइब्रेरीज़ निजी संपत्ति होती हैं लेकिन इन्हें फंडिंग जनता और गवर्नमेंट से भी मिलती है। इस पर भी पहले कई बार विवाद हो चुका है… खासकर जब ओबामा की लाइब्रेरी पर करोड़ों खर्च हुए। डेमोक्रेटिक पार्टी इसे सीधा-सीधा विदेशी प्रभाव का केस बता रही है।
हालांकि, व्हाइट हाउस का कहना है कि गिफ्ट देने का यह प्रोसेस पूरी तरह से ट्रांसपेरेंट रहेगा और अमेरिकी कानूनों के मुताबिक ही इसे स्वीकार किया जाएगा। वहीं दूसरी ओर क़तर की सरकार ने भी यह साफ किया है कि अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। इसका मतलब है कि कतर डील को अभी पब्लिकली ओन नहीं कर रहा। शायद इसलिए क्योंकि उसे भी पता है कि मामला ‘दिखावे’ का नहीं, ‘डिप्लोमैटिक गेम’ का है।
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