• KYIV 24 Aug 2025, (अपडेटेड 24 Aug 2025, 7:12 AM IST)
24 महीनों से रूस और यूक्रेन के बीच खूनी जंग चल रही है। यूक्रेन से लाखों लोग विस्थापित हो गए हैं। एक तरफ दुनिया दोनों देशों के बीच शांति वार्ता की कवायद कर रही है, यूक्रेन ने अपनी रणनीति बदल ली है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की। (Photo Credit: Ukraine Army/Facebook)
अमेरिका से लेकर यूरोपियन यूनियन तक, रूस और यूक्रेन के बीच शांति विराम समझौते को आकार देने की कोशिशें कर रहे हैं, दूसरी तरफ यूक्रेन ने अब अपनी युद्ध रणनीति ही बदल दी है। अब यूक्रेन सीधे रूसी सेना से उलझने की जगह, रूस की तेल रिफाइनरियों पर योजनाबद्ध तरीके से ड्रोन हमले कर रहा है। रूसी तेल रिफाइनरियों पर बढ़ते ड्रोन हमलों की वजह से रूस में पेट्रोल की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं।
गर्मियों में ड्राइवरों और किसानों की बढ़ती मांग के बीच रूस सरकार ने पेट्रोल निर्यात पर प्रतिबंध लगाया, लेकिन संकट कम नहीं हो रहा है। CNN की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अगस्त में यूक्रेन ने कम से कम 10 प्रमुख रूसी एनर्जी सर्विस पर हमले किए, जिनमें रिफाइनरियां, पंपिंग स्टेशन और ईंधन ले जा रहीं ट्रेनें शामिल हैं।
यूक्रेन की खुफिया सेवा ने दावा किया है कि इन हमलों ने रूस की 10 प्रतिशत से अधिक रिफाइनिंग क्षमता को नुकसान पहुंचाया है। यहां से हर साल करीब 44 मिलियन टन से ज्यादा उत्पादन होता है। यूक्रेन की अचानक बदली युद्ध रणनीति ने अब रूस की मुश्किलें बढ़ा दीं हैं।
चुन-चुनकर रिफाइनरियों पर हमले कर रहा यूक्रेन
दक्षिणी रूस की सबसे बड़ी लुकोइल रिफाइनरी पर यूक्रेन ने वोल्गोग्राड में 14 अगस्त को ड्रोन हमला किया। रूसी रक्षा मंत्रालय ने नुकसान की पुष्टि की। 19 अगस्त को यह प्लांट फिर से हमले का शिकार बना। सरातोव और रोस्तोव क्षेत्र की रिफाइनरियों पर भी हमले हुए, जहां रोस्तोव में दो दिन बाद भी आग जलती रही। यूक्रेन की अनमैन्ड सिस्टम्स के कमांडर रॉबर्ट ब्रोवदी ने इसकी पुष्टि की।
यूक्रेन की सेना। (Photo Credit: Ukraine Army/Facebook)
तेल की किल्लत, बढ़ गई महंगाई
रूस के कई क्षेत्रों में पेट्रोल की किल्लत शुरू हो गई है। क्रीमिया में भी कुछ ऐसा ही हाल है। क्रीमिया के रूस नियुक्त गवर्नर सर्गेई अक्स्योनोव ने इसे 'लॉजिस्टिक्स समस्याओं' नतीजा बताया। स्थानीय लोग कह रहे हैं कि यूक्रेन के ड्रोन हमलों की वजह से यह संकट पैदा हुआ है। सेंट पीटर्सबर्ग एक्सचेंज पर थोक पेट्रोल की कीमतें इस महीने 10 फीसदी और साल की शुरुआत से 50 फीसदी तक बढ़ी हैं। रूस के दूर इलाकों में रहने वाले लोगों पर हमले का असर सबसे ज्यादा देखने को मिलेगा।
नेफ्ट रिसर्च के एक अधिकारी सर्गेई फ्रोलोव ने रूसी अखबार कोमेर्सेंट को बताया, 'कीमतों में कमी के लिए कम से कम एक महीने तक इंतजार करना पड़ सकता है।' रूस ने जुलाई में पेट्रोल निर्यात पर प्रतिबंध लगाया, जिसकी वजह से कच्चे तेल के निर्यात में अचानक इजाफा होने लगा।
रूस पर कैसे भारी पड़ा यूक्रेन?
यूक्रेन की सेना और खुफिया सेवाएं लंबी दूरी के ड्रोन और मिसाइल का इस्तेमाल कर रही हैं। उनकी सूचनाएं इतनी सटीक हैं वे सीधे तेल रिफाइनरियों को ही निशाना बना रही हैं। यूक्रेन इस जंग में अकेला नहीं है। उशके साथ पूरा यूरोपियन यूनियन चोरी-छिपे खड़ा है। यूक्रेन का दावा है कि इस साल इन हमलों की वजह से रूस को 74 अरब डॉलर का नुकसान हुआ, जिसमें 40 फीसदी हमले रूस के भीतर 500 किलोमीटर से अधिक की गहराई में किए गए।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन। (Photo Credit: Vladimir Putin/Facebook)
क्यों तेल रिफाइनरियों को ठीक नहीं कर पा रहा रूस?
यूरोपीय और अमेरिकी प्रतिबंधों के की वजह से क्षतिग्रस्त बुनियादी ढांचे की मरम्मत में भी देरी हो रही है। यूक्रेन ने हाल ही में स्वदेशी क्रूज मिसाइल 'फ्लेमिंगो' लॉन्च किया है। हर महीने 200 यूनिट तक इसे तैयार किया जा रहा है। इनका मकसद सिर्फ रूस की तेल रिफाइनरियों को तबाह करना है।
यूक्रेन ने रूस के तेल निर्यात को बाधित करने के लिए द्रुजबा पाइपलाइन पर भी हमला किया, जो हंगरी और स्लोवाकिया को तेल आपूर्ति करती है। दोनों देशों ने यूरोपीय संघ से शिकायत की कि ये हमले रूस से ज्यादा उन्हें नुकसान पहुंचा रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बन से हुई बातचीत में नाराजगी जाहिर की है।
अब आगे क्या?
CNN की एक रिपोर्ट के मुताबिक रूस में हजारों गैस स्टेशन हैं, जो अभी आबाद हैं। लगातार हमलों की वजह से रूस की चुनौती बनी है, रूस के पास तेल की कमी नहीं है। इन बातों के बाद भी रूस में महंगाई और तेल आपूर्ति की कमी बनी रहेगी। पेट्रोल निर्यात पर प्रतिबंध सर्दियों तक बढ़ सकता है। इस जंग में रूस अजेय नहीं रहा है, ज्यादा नुकसान झेल रहा है।