चीन के तियानजिन में 3 सितंबर को 'विक्ट्री परेड' होने वाली है। यह परेड दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान पर चीन की जीत की 80वीं सालगिरह पर होने जा रही है। इस परेड में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन भी शामिल होंगे। इसके लिए किम जोंग उन अपनी बख्तरबंद ट्रेन से चीन पहुंच गए हैं।
उत्तर कोरियाई शासक किम जोंग वैसे तो विदेशी दौरे पर बहुत कम जाते हैं लेकिन जब भी जाते हैं तो इसी ट्रेन से सफर करते हैं। देशभर में भी किम इसी ट्रेन से यात्रा करते हैं। हरे रंग की यह ट्रेन किम के परिवार का अहम हिस्सा है। किम के पिता और पूर्व शासक किम जोंग इल हवाई यात्रा के विरोधी थे और ट्रेन से सफर करना ही पसंद करते थे।
उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया रोडोंग सिनमुन ने बताया है कि किम की ट्रेन चीन पहुंच गई है। ट्रेन में बैठे उनकी कुछ तस्वीरें भी आई हैं। यह 2019 के बाद किम की पहली चीन यात्रा है। 2011 में जब से किम जोंग ने सत्ता संभाली है, तब से यह उनका 10वां विदेशी दौरा है। किम इस ट्रेन से चीन, रूस और वियतनाम की यात्रा कर चुके हैं। हालांकि, किम कभी-कभी प्राइवेट जेट से भी सफर करते हैं।
क्या खास है इस ट्रेन में?
किम जोंग का परिवार पीढ़ियों से इस ट्रेन का इस्तेमाल करता आ रहा है। हालांकि, यह साफ नहीं है कि ऐसी कितनी ट्रेनें हैं। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, इस ट्रेन में वह सब कुछ है जो किसी राष्ट्राध्यक्ष के दफ्तर में होता है।
ट्रेन में कॉन्फ्रेंस रूम, ऑडियंस चैंबर, बेडरूम, सैटेलाइट फोन कनेक्शन और फ्लैट स्क्रीन टीवी जैसी सुविधाएं हैं। यह सुरक्षा और आराम के लिए डिजाइन की गई है।
साउथ कोरिया के विशेषज्ञ आह्न ब्युंग-मिन ने रॉयटर्स को बताया कि इस ट्रेन में 10 से 15 डिब्बे होते हैं। इनमें से कुछ का इस्तेमाल सिर्फ किम जोंग करते हैं। बाकी डिब्बों में सिक्योरिटी गार्ड और डॉक्टर्स होते हैं। इस ट्रेन में एक रेस्टोरेंट भी है। दो बख्तरबंद मर्सिडीज के लिए भी इसमें जगह है।

इस ट्रेन में किम के पिता और दादा जब विदेश दौरे पर गए तो उन्होंने इस ट्रेन में ही डिनर पार्टी होस्ट की थी। CNN ने 2002 के एक दस्तावेज के हवाले से बताया है कि डिनर के लिए पेरस से वाइन की पेटियां लाई गई थीं। विदेशी मेहमानों ने झींगा मछली और सुअर का मांस खाया था।
उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया ने किम जोंग की तस्वीरें साझा की हैं। इसमें किम जोंग अपनी ट्रेन के बाहर खड़े होकर स्मोकिंग करते नजर आ रहे हैं। रॉयटर्स के मुताबिक, ट्रेन में किम की टेबल पर दोनों ओर उत्तर कोरियाई झंडा लगा है। इस पर सोने से जड़ा एक लैपटॉप, सिगरेट का पैकेट, बोतलें और खिड़कियों पर नीले और सुनहरे रंग के पर्दे लगे हैं।
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बॉर्डर कैसे पार करती है यह ट्रेन?
यह खास ट्रेन है और किम विदेश इसी से आना-जाना करते हैं। आह्न ब्युंग ने रॉयटर्स को बताया कि 2023 में जब किम रूस गए थे, तो बॉर्डर के पास इसके पहियों को बदला गया था, क्योंकि दोनों देश अलग-अलग रेल गेज का इस्तेमाल करते हैं।
साउथ कोरिया के पूर्व ट्रेन इंजीनियर किम हान-ताए ने बताया कि चीन जाने के लिए ऐसा करने की जरूरत नहीं है। हालांकि, चीन पहुंचने पर एक चीनी इंजन से इस ट्रेन को खींचा जाता है, क्योंकि वह वहां के रेलवे सिस्टम और सिग्नल से वाकिफ होता है।
मीडिया में सामने आई तस्वीरों के मुताबिक, जब पिछली बार किम चीन गए थे तो उनकी ट्रेन के आगे एक हरे रंग का DF11Z इंजन था, जिस पर चीन की सरकारी कंपनी चाइना रेलवे कॉर्पोरेशन का लोगो था।
आह्न ने बताया कि यह ट्रेन चीन के नेटवर्क पर 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक चल सकती है, जबकि उत्तर कोरिया की पटरियों पर इसकी स्पीड लगभग 45 किलोमीटर प्रति घंटा है।
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कौन करता है इन ट्रेनों का इस्तेमाल?
उत्तर कोरिया के संस्थापक और किम जोंग के दादा किम इल सुंग इसका इस्तेमाल करते थे। 1994 में अपनी मौत तक वह इसी ट्रेन से सफर किया करते थे।
किम के पिता किम जोंग इल भी इसी से विदेश जाते थे। उन्होंने तीन बार रूस की यात्रा की और हर बार इसी ट्रेन से गए। 2001 में उन्होंने 20 हजार किलोमीटर का सफर कर मॉस्को की यात्रा की थी। 2011 में ट्रेन में सफर करते समय दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई थी।
2011 में जब किम जोंग ने सत्ता संभाली तो उन्होंने भी इस ट्रेन का इस्तेमाल करना जारी रखा। किम देशभर में भी इसी ट्रेन से यात्रा करते हैं।