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क्या एंटी एजिंग दवाओं से हो रही है लोगों की मौत? डॉक्टर से समझें

एंटी एजिंग ट्रीटमेंट का इस्तेमाल त्वचा को जवान बनाए रखने के लिए किया जाता है। पिछले कुछ सालों में इन ट्रीटमेंट्स का इस्तेमाल काफी तेजी से बढ़ा है। आइए इससे जुड़े निगेटिव इफेक्ट्स के बारे में जानते हैं।

Anti Ageing Treatment

प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Freepik)

अभिनेत्री शेफाली जरीवाला ने 42 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। उनकी मृत्यु हार्ट अटैक की वजह से हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अभिनेत्री शेफाली जरीवाला पिछले 7-8 साल से एंटी एजिंग दवाइयां ले रही थीं। हालांकि, अभी तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आई है। शेफाली की मौत के बाद से इस बात पर चर्चा तेज होने लगी है कि क्या एंटी एजिंग दवाओं की वजह से मौत हो सकती है। सोशल मीडिया पर इस तरह के दावे भी किए जा रहे हैं कि एंटी एजिंग, बोटोक्स और ऐसी अन्य चीजें जो किसी को सुंदर और जवान दिखाने के लिए ली जाती हैं, वे जानलेवा हो सकती हैं।

 

इन चीजों को लेकर खूब चर्चा बटोर रहे दावों का सच जानने के लिए खबरगांव ने पंचकुला के नेशनल स्किन अस्पताल के स्किन स्पेशलिस्ट डॉक्टर विकास शर्मा  से बात की। डॉक्टर विकास ने इन दावों के बारे में अच्छे से समझाया जो सब लोगों के लिए जरूरी है।

 

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क्या होती है एंटी एजिंग ट्रीटमेंट?

एंटी एजिंग ट्रीटमेंट आपकी बढ़ती उम्र को कम दिखाता है जिससे कि आप जवान दिख सकें। पिछले कुछ सालों में इन ट्रीटमेंट्स की मांग तेजी से बढ़ी है। लोग अपनी जरूरत के हिसाब से तरह-तरह के ट्रीटमेंट्स करवाते हैं। इसमें कुछ ऐसी दवाएं या इंजेक्शन दिए जाते हैं जिनसे आपकी त्वचा की झुर्रियां कम हो जाती हैं और अपनी वास्तविक उम्र से कम के दिखते हैं।

 

आज कल लोग स्किन के लिए बोटोक्स, थ्रेड लिफ्ट्स, फिलर्स करवाते हैं। इसके अलावा कुछ ऐसे ड्रग्स और सीरम्स आ गए है जो त्वचा की रंगत को बढ़ाने का काम करते हैं। अगर इन ट्रीटमेंट्स को सही तरीके से नहीं किया गया तो कुछ भी हो सकता है। इसके अलावा कई ऐसी एंटी एजिंग प्रोडक्ट्स होते हैं जिसमें मर्करी जैसे हैवी मेटल का इस्तेमाल किया जाता है जो त्वचा के लिए बेहद नुकसानदायक हो सकता है।

- डॉ. विकास शर्मा (स्किन स्पेशलिस्ट, पंचकुला, नेशनल स्किन अस्पताल)

 

 

क्या हार्ट पर पड़ता है प्रभाव?

कई एंटी एजिंग ट्रीटमेंट्स में ग्रोथ हार्मोन इंजेक्ट किया जाता है ताकि शरीर की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा किया जा सके। इन थेरेपी की वजह से शरीर में हार्मोनल असंतुलन हो सकता है जिसकी वजह हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल की समस्या हो सकता है। इस वजह से दिल पर दबाव पड़ सकता है। अगर आपको हार्ट संबंधी बीमारियां हैं तो किसी भी तरह का एंटी एजिंग ट्रीटमेंट लेने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह लें।

 

एंटी एजिंग सीरम में रेटिनॉल, विटामिन सी और एंटी ऑक्सीडेंट्स का इस्तेमाल होता है। ये चीजें त्वचा की उम्र को धीमा करने का काम करते हैं। ब्रेस्टफीडिंग, प्रेग्नेंसी के समय में इन सीरम का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी है। स्किन पैच टेस्ट लेने के बाद ही इन प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करना चाहिए। कुछ लोगों में इन सीरम को इस्तेमाल करने पर त्वचा में रेडनेस, जलन और स्किन छिलने की समस्या हो सकती हैं।

 

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स्किन ट्रीटमेंट करवाते समय इन बातों का रखें ध्यान

  • डॉक्टर विकास ने बताया कि लोगों के दिमाग में एजिंग को लेकर बहुत सारी गलत धारणाएं बनी हुई है। उन्हें लगता है कि एंटी एजिंग ट्रीटमेंट लेने के बाद आपकी उम्र बढ़ेगी ही नहीं लेकिन ऐसा नहीं होता है। यह ट्रीटमेंट सिर्फ उस प्रोसेस को धीमा कर देता है।
  • उन्होंने बताया कि लोगों के पास सर्टिफाइड डिग्री नहीं होती है लेकिन अपने नाम के आगे स्किन स्पेशलिस्ट लगा लेते हैं। हमेशा इस तरह के ट्रीटमेंट्स को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से योग्यता प्राप्त स्किन चिकित्सक से ही करवाएं।
  • अगर इन ट्रीटमेंट्स को क्वॉलिफाइड डॉक्टर से नहीं कराते हैं तो खतरनाक इफेक्ट देखने को मिल सकते हैं। उदाहरण के लिए अगर कोई हेयर ट्रांसप्लांट कर रहा है और उसमें हाई डोज एनीथिसिया लगाई जाती है तो इससे पहले यह बहुत जरूरत है कि उनका इको और बाकी चीजें कराई जाएं। इसके अलावा उनका स्किन सेंसिटिविटी टेस्ट भी कराया जाता है। अगर इन चीजों की बिना जांच कराएं ट्रीटमेंट हुआ तो कुछ भी हो सकता है। 

किन लोगों को लेना चाहिए एंटी एजिंग ट्रीटमेंट?

 

डॉक्टर विकास ने आगे बताया, 'अगर किसी व्यक्ति का स्क्रीन टाइम ज्यादा है या कोई व्यक्ति जो एक्टिंग प्रोफेशन में हैं उसे एक या दो झुर्रियां भी पसंद नहीं होती है। वे उसे हटाना चाहते हैं। आमतौर पर 40 की उम्र के बाद एंटी एजिंग ट्रीटमेंट लेने की सलाह दी जाती है क्योंकि उसके बाद ही आपकी त्वचा में बदलाव आता है। हालांकि कुछ लोगों की जॉब बहुत थकान भरी होती है, कुछ लोगों की त्वचा में कोलेजन बहुत जल्द ही डिग्रेड कर जाता है। हर व्यक्ति की अलग जरूरत होती है। आप क्या ट्रीटमेंट ले रहे हैं और उसका कितना प्रभाव पड़ रहा है।'

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