लोग गाड़ी का इस्तेमाल अपने रोजमर्रा के कामों में करते हैं। इसमें दफ्तर जाने से लेकर परिवार के साथ वेकेशन तक पर जाना शामिल है। कई लोगों का ऑफिस घर से बहुत दूर होता है और वे रोजाना घंटों ड्राइव करते हैं। क्या आप जानते हैं रोजाना घंटों ड्राइविंग करना सेहत के लिए कितना खतरनाक होता है? यह सिर्फ शारीरिक ही नहीं मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डालता है। इस बात की पुष्टि कई शोधों में भी हुई हैं। आइए हम आपको लंबे समय तक ड्राइव करने से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी देते हैं।
लंबे समय तक ड्राइव करने से सबसे ज्यादा आपके घुटने प्रभावित होते हैं। इसके अलावा लोअर बैक पेन, पीठ दर्द, गर्दन में अकड़न आदि की परेशानी होती है। कई शोधों में भी इस बात का दावा किया गया है कि रोजाना 2 घंटे से ज्यादा गाड़ी चलाना सेहत के लिए नुकसानदायक होता है।
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घुटनों पर पड़ता है सबसे ज्यादा प्रभाव
ड्राइविंग के दौरान ड्राइवर को गियर स्टिक, क्लच और पैडल बदलने की जरूरत होती है। इससे घुटनों पर ज्यादा दवाब पड़ता है। लंबे समय तक गाड़ी चलाने से पैटेलर टेंडिनोपैथी की समस्या हो सकती है। साथ ही शरीर के पॉश्चर पर असर पड़ता है।
पैटेलर टेंडिनोपैथी
पैटेलर टेंडिनोपैथी एक एसी कंडीशन है जिसमें घुटनों की हड्डी और टखने के बीच की हड्डियों को जोड़ने वाले टेंडन में सूजन आ जाती है। इसका मुख्य कारण एक ही पोजिशन में घंटों बैठे रहना है। लंबे समय तक गाड़ी चलाने के कारण घुटने की मांसपेशियां और टेंडन कमजोर हो जाती है।

पैटेलर टेंडिनोपैथी के लक्षण
- दौड़ने, कूदने या सीढ़िया चढ़ने में दर्द
- घुटने में जकड़न और मास पेशियों में कमजोरी महसूस होना
- समस्या बढ़ने पर आराम करते समय भी दर्द
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इलाज- इसका इलाज संभव है। आपको इसके लिए घुटनों पर दबाव देने वाले गतिविधियों को छोड़ना होगा। पर्याप्त आराम करना होगा। दर्द से राहत पाने के लिए फिजियोथेरिपिस्ट की मदद लें। खुद डॉक्टर बनने की गलती न करें।
ब्रेन पर भी पड़ता है प्रभाव
यह बात कई लोगों को सुनने में अजीब लग सकती है लेकिन यह सच है। 2 घंटे से ज्यादा रोजाना गाड़ी चलाने से इंसान की इंटेलिजेंस धीरे-धीरे घटती जाती है। यूके की University Of Leicester ने अपनी स्टडी में बताया कि घंटों ड्राइव करने की वजह से दिमाग के आईक्यू (IQ) लेवल पर प्रभाव पड़ता है। ड्राइविंग को दौरान दिमाग की एक्टिविटी बहुत कम होती है। 2 घंटे से ज्यादा की ड्राइविंग आपके शारीरिक ही नहीं मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डालती है। घंटों ड्राइव करने से स्ट्रेस, एंग्जाइटी और डिप्रेशन का शिकार होते हैं। PubMed की स्टडी में इस बात का पुष्टि हुई है।