मॉनसून का मौसम तपती हुई गर्मी से राहत दिलाता है। इस मौसम में एलर्जी और बीमारियां के होने का खतरा बढ़ जाता है। खासतौर से बारिश के मौसम में अस्थमा के मरीजों को सबसे ज्यादा दिक्कत होती है। यह मौसम अस्थमा के मरीजों के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। ऐसे मौसम में अस्थमा के मरीजों को अपना खास ख्याल रखने की जरूरत होती है। आइए जानते हैं कि मॉनसून में अस्थमा के मरीजों की संख्या क्यों बढ़ जाती है।
मॉनसून के मौसम में नमी का स्तर बढ़ जाता है जिस वजह से हवा भारी हो जाती है जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है। Medical Channel Asia की स्टडी के मुताबिक, ज्यादा नमी हवा में मौजूद हानिकारक तत्व फॉर्मेल्डिहाइड के प्रभाव को ज्यादा बढ़ा देती है। इस वजह से फेफड़ों की अंदरूनी परत में सूजन और बलगम की समस्या बढ़ जाती है। यह समस्या अस्थमा के मरीजों के लिए खतरनाक हो सकती है क्योंकि उनके फेफड़े बहुत ही सेंसिटिव होते हैं। इसी कारण से अस्थमा के मरीजों को सांस लेने में दिक्कत होती है।
यह भी पढ़ें- बुढ़ापे में नहीं होगी चलने फिरने में दिक्कत, रोजाना करें यह एक्सरसाइज
बारिश के मौसम में अस्थमा के मरीजों को होती है दिक्कत
बारिश के मौसम में घर ज्यादा बंद और घुटनभरे लगते हैं क्योंकि हवा में नमी का स्तर ज्यादा होता है। इसके अलावा एलर्जन भी मौजूद होते हैं। बारिश में घर की दीवारें, बिस्तर, कालीन आदि गीले और नम हो जाते हैं। नम माहौल में फंफूदी तेजी से पनपती है। European Respiratory Review की रिपोर्ट में बताया गया कि लंबे समय तक फफूंदी वाले हिस्से में रहने से खांसी और सांस लेने में दिक्कत होती है।
अस्थमा के मरीज मॉनसून में इन बातों का रखें ध्यान
- गर्म पानी में चादर, पर्दे और तकिए के कवर को धोएं।
- घर को वैक्यूम क्लीनर से साफ करें।
- घर के फर्श को साफ करने के लिए डिसइंफेक्टेंट का इस्तेमाल करें।
- मॉनसून में इनडोर प्लांट्स लगाने से बचें।
- इस मौसम में अपनी दवाएं और इनहेलर अपने साथ रखें।
- पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं ताकि डिहाइड्रेशन की समस्या ना हो।
- हाथों को साबुन से धोएं ताकि किसी भी तरह का संक्रमण ना हो।
यह भी पढ़ें- क्या है आइस फेशियल? त्वचा की चमक के लिए कितनी असरदार?
ये लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं
- सीने में दर्द महसूस होना
- जरूरत से ज्यादा इनहेलर की जरूरत पड़ना।
- सांस लेने में दिक्कत होने के कारण बोलने में समस्या होना।