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'कचरे का डिब्बा हैं क्या?', जस्टिस वर्मा के ट्रांसफर पर बार एसोसिएशन

जस्टिस यशवंत वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद हाईकोर्ट किए जाने का बार एसोसिएशन ने विरोध किया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने कहा कि उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।

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जस्टिस यशवंत वर्मा और पीछे इलाहाबाद हाईकोर्ट। (File Photo)

दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा का इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर किए जाने का वहां के बार एसोसिएशन ने विरोध किया है। जज यशवंत वर्मा के घर से करीब 15 करोड़ रुपये कैश मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने उनका ट्रांसफर इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया था। इसका विरोध करते हुए इलाहाबाद बार एसोसिएशन ने कहा कि हम कोई कचरे का डिब्बा नहीं हैं।


दरअसल, जस्टिस वर्मा के घर पर आग लग गई थी। जब आग लगी तब घर पर कोई नहीं था। फायर ब्रिगेड जब आग बुझाने पहुंची तो घर से करीब 15 करोड़ रुपये कैश मिले। मामला सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने उनका ट्रांसफर इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया। इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के बार एसोसिएशन ने इसका विरोध किया है।

 

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'हाईकोर्ट क्या कचरे का डिब्बा है'

इलाहाबाद हाईकोर्ट के बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने कहा, 'न्यायपालिका कैसे चलती है या न्यायपालिका की ताकत क्या है। लोकतंत्र के तीन हिस्से हैं। विधायिका है, आप चुनकर भेजते हैं। उसी में से चुने हुए कुछ लोग कार्यपालिका में आते हैं। तीसरा पार्ट है न्यायपालिका। न्यायपालिका की ताकत जनता है। लोकतांत्रिक व्यवस्था की ताकत है जनता। अगर जनता का विश्वास न्यायपालिका से हटेगा तो पूरी व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी।'

 


उन्होंने कहा, 'एक सामान्य कर्मचारी के घर पर 15 लाख रुपये मिलता है तो उसे जेल भेज देते हैं। एक जज के घर पर 15 करोड़ कैश मिलता है, उसको घर वापसी का इनाम दिया जा रहा है। क्या इलाहाबाद हाईकोर्ट कचरे का डिब्बा है। करप्शन के खिलाफ बार एसोसिएशन खड़ा है। हम उनका स्वागत यहां नहीं होने देंगे।'

 

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'अगर ज्वॉइनिंग हुई तो हड़ताल करेंगे'

अनिल तिवारी ने आगे कहा, 'अगर उनकी ज्वॉइनिंग होती है तो अनिश्चितकालीन हड़ताल होगी। हमारी मांग है कि जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट नहीं भेजना चाहिए।'


उन्होंने कहा, 'हमारी प्रमुख मांग है कि जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद नहीं भेजा जाए। दूसरी मांग है कि किसी तरह की कोई जांच की जरूरत नहीं है क्योंकि जस्टिस वर्मा कोई सफाई देते हैं तो उससे जनता का विश्वास बहाल नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने यह जो फैसला लिया है, हम उसका विरोध करते हैं।'


उन्होंने कहा कि हमारी लड़ाई न्यायपालिका को बचाने की है। अगर न्यायपालिका को नुकसान हुआ तो कुछ नहीं बचेगा। उन्होंने कहा, 'जस्टिस यशवंत वर्मा का न्यायपालिका में बने रहना पूरे हिंदुस्तान के लिए खतरा है। वे कलंक हैं, इसलिए उन्हें तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए।'

 

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कौन हैं जस्टिस वर्मा?

जस्टिस वर्मा का जन्म 6 जनवरी 1969 को इलाहाबाद में हुआ था। दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज से बीकॉम करने के बाद उन्होंने एमपी की रीवा यूनिवर्सिटी से LLB की डिग्री हासिल की। जस्टिस वर्मा 1992 में एडवोकेट बने। 13 अक्टूबर 2014 को उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट का एडिशनल जज नियुक्त किया गया। 1 फरवरी 2016 को जस्टिस वर्मा इलाहाबाद हाईकोर्ट के परमानेंट जज बने। जस्टिस वर्मा 11 अक्टूबर 2021 को दिल्ली हाईकोर्ट के जज नियुक्त हुए थे।

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