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नहीं रुकेगा संभल की जामा मस्जिद का सर्वे, इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला

संभल के शाही जामा मस्जिद के सर्वे का स्थानीय अदालत ने आदेश दिया था। कोर्ट ने सर्वे के फैसले को बरकरार रखा है। मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी है।

Sambhal Shahi Jama Masjid

संभल जामा मस्जिद। (Photo Credit: PTI)

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने संभल कोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें स्थानीय अदालत ने शाही जामा मस्जिद का सर्वे कराने का आदेश जारी किया था। मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी गई है। कोर्ट ने कहा है कि ट्रायल कोर्ट के आदेश को रोकने की कोई वजह नहीं है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मस्जिद कमेटी की याचिका खारिज कर दी। मस्जिद कमेटी ने ट्रायल कोर्ट के सर्वे वाले फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख किया था। ट्रायल कोर्ट ने 19 नवंबर को फैसला सुनाया था और एडवोकेट कमिश्नर को मस्जिद का सर्वे कराने का आदेश दिया है। हिंदू पक्ष का दावा है कि हिंदू मंदिर को तोड़कर संभल का शाही मस्जिद तैयार किया गया है।

जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने ट्रायल कोर्ट के फैसले का बरकरार रखा और कहा कि हिंदू याचिकाकर्ता को प्राथमिक तौर पर रोका नहीं जा सकता है। ट्रायल कोर्ट में 8 याचिकार्ताओं ने एक केस दायर किया था। याचिकाकर्तओं में से एक महंत रिशिराज गिरि ने दावा किया है कि संभल मस्जिद का निर्माण हिंदू मस्जिद को गिराकर 1526 में किया गया था। मस्जिद समिति ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

मुस्लिम पक्ष का कहना है कि सिविल जज (जूनियर डिवीजन) ने सर्वे के आदेश दिए थे। इसके बारे में मस्जिद समिति को सूचना नहीं दी गई थी। 19 नवंबर और 24 नवंबर को सर्वे के लिए टीमें गई थीं। दूसरी तरफ हिंदू याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि मस्जिद हरि हर मंदिर पर बना है। यह मंदिर भगवान कल्कि को समर्पित था। कल्कि भगवान विष्णे अवतार हैं। साल 1526 में मुगल बादशाह बाहर के आदेश पर मंदिर को तोड़कर मस्जिद बना दिया गया। 

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जामा मस्जिद पर आए फैसले पर विष्णु शंकर जैन ने क्या कहा?
सीनियर वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, 'बहुत महत्वपूर्ण निर्णय है। जिसने कहा था कि सिविल जज, सीनियर डिवीजन चंदौसी ने जो 19 नवंबर को जो सर्वे कमिश्नर नियुक्त किया था, बिना सुने सर्वे कमिश्नर को नियुक्त किया था, इसे लोगों ने गलत तौर पर फैला दिया था, आज हाई कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया है। कोर्ट सर्वे कमिश्नर नियुक्त कर सकता है। जब वह सर्वे करने जाएंगे तो दोनों पक्षों को सूचित करेंगे, उनकी मौजूदगी में सर्वे करेंगे। दोनों बार सर्वे का पालन किया है। जो लोग फैसले पर सवाल उठा रहे थे, अब उन्हें जवाब मिल गया है। ट्रायल पर स्टे जो लगा था, उसे कोर्ट ने वैकेट कर दिया है। यह जगह ASI एक्ट से चल रहा है, प्लेसेज वर्शिप एक्ट यहां नहीं लागू होगा।'

सर्वे रिपोर्ट में खास क्या है?
अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किय गया है कि सर्वे के दौरान मस्जिद के अंदर से हिंदू धर्म से जुड़े 50 से ज्यादा फूल के निशान या कलाकृतियां मिली हैं। मस्जिद के अंदर बरगद के दो पेड़ भी मौजूद हैं। एक कुआं भी अंदर मिला है। मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी कहा जा रहा है कि पुराने ढांचे को बदला गया है। मंदिर की आकृति वाले ढांचों को प्लास्टर लगाकर बदला गया है। दरवाजों पर भी प्लास्टर लगाकर पेंट किया गया है। 

संभल विवाद की पूरी कहानी क्या है?
 19 नवंबर 2024 को को संभल की निचली अदालत में शाही जामा मस्जिद के हरिहर मंदिर होने का दावा करते हुए हिंदू पक्ष ने याचिका दायर की थी। हिंदू पक्ष ने यहां हरिहर मंदिर होने का दावा किया था और सर्वे कराने की मांग की थी। हिंदू पक्ष की याचिका पर उसी दिन निचली अदालत ने सर्वे का आदेश दिया। अदालत के आदेश पर कोर्ट कमिश्नर रमेश सिंह राघव ने यहां का सर्वे किया। 19 नवंबर को यहां पहला सर्वे हुआ था। 24 नवंबर को जब यहां दूसरा सर्वे हुआ तो हिंसा भड़क गई। इस हिंसा में 5 लोगों की मौत हो गई थी। 

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