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'जहां आतंकी मरते हैं, अब वहीं दफना देते हैं', कश्मीर पर बोले अमित शाह

गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि पहले आतंकी मरते थे तो उनके जनाजों का जुलूस निकाला जाता था। अब आतंकी जहां मरते हैं, उन्हें वहीं दफना देते हैं।

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राज्यसभा में अमित शाह। (Photo Credit: X@sansandtv)

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को गृह मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा का जवाब दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय बहुत विषम परिस्थिति में काम करता है, क्योंकि कानून व्यवस्था का जिम्मा राज्यों पर है। हालांकि, 10 साल में मोदी सरकार में गृह मंत्रालय में एक साथ कई सारे बदलाव हुए हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने का काम किया है। 


अमित शाह ने कहा, 'कानून व्यवस्था राज्यों के पास है जबकि सरहदी सुरक्षा, आंतरिक सुरक्षा यह सारे विषय गृह मंत्रालय के अंतर्गत आए। इसमें कोई बदलाव की जरूरत नहीं। अब 76 साल के बाद ऐसी परिस्थिति खड़ी हो गई है कि कई प्रकार के क्राइम राज्य की सीमा तक सीमित नहीं होते। वह अंतरराज्यीय भी होते हैं। बहुराज्यीय भी होते हैं। कई अपराध ऐसे होते हैं जो देश की सीमा से बाहर से भी किए जाते हैं। इन सबको देखते हुए गृह मंत्रालय में बदलाव होना जरूरी है। 10 साल में मोदीजी ने कई सालों के परिवर्तन नहीं किए गए थे, उन्हें एक साथ करके राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने का काम किया है।'

'10 दिन में एयरस्ट्राइक कर जवाब दिया'

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, 'तीन समस्याएं देश का नासूर बनकर रह गई थीं। एक जम्मू-कश्मीर का आतंकवाद, दूसरा वामपंथी उग्रवाद और तीसरा पूर्वोत्तर का उग्रवाद। यह समस्याएं 4 दशकों तक देश की शांति को खलल में डालती रहीं। देश की सुरक्षा पर सवालिया निशान खड़े करती रहीं। विकास की गति को धीमा करती रहीं। कभी-कभी तो देश की व्यवस्था को हास्यास्पद भी बना दिया। इन तीनों समस्याओं के कारण 4 दशक में 92 हजार से ज्यादा लोग मारे गए लेकिन इन्हें खत्म करने के लिए कोई प्रयास कभी नहीं हुआ।'


उन्होंने कहा, 'जम्मू-कश्मीर में पहले आतंकी आते थे। कोई त्योहार नहीं होता था। मोदीजी के आने के बाद भी हमले हुए। उरी में हुआ। पुलवामा में हुआ। 10 दिन में पाकिस्तान के घर में घुसकर एयरस्ट्राइक कर इसका जवाब दिया गया। पूरी दुनिया में दो ही ऐसे देश थे जो अपनी सीमा और सेना की सुरक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। इजरायल और अमेरिका। उन दो देशों की लिस्ट में मेरे भारत का नाम जोड़ने का काम नरेंद्र मोदी ने किया है और वहीं से शुरू हुई आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति।'

 

 

उन्होंने कहा, 'धारा 370 कश्मीर के अलगाववाद का मूल। हम भी कभी अलग हो सकते हैं, इस भाव के बीज धारा 370 के अंदर डाले गए थे। मगर संविधान निर्माता बड़े दूरदर्शी थे। उन्होंने इसको अस्थायी बनाया था। धारा 370 को हटाने का बीज भी धारा 370 में ही डाल दिया। इसी सदन में 5 अगस्त 2019 को धारा 370 को खत्म कर दिया। हमारे संविधान निर्माताओं का वह स्वप्न कि एक देश में दो प्रधान, दो विधान, दो निशान नहीं हो सकते। 5 और 6 अगस्त 2019 को इस देश में एक विधान, एक प्रधान और एक निशान का नया दौर शुरू हुआ और वहीं से शुरू हुई कश्मीर को भारत के साथ एकरूप करने की प्रक्रिया।'


शाह ने आगे कहा, 'कन्याकुमारी से कश्मीर तक मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व में यात्रा निकाली थी। हमें लाल चौक जाने की अनुमति नहीं मिल रही थी। सेना को ले जाना पड़ा और तिरंगा फहराकर आना पड़ा। आज उसी लाल चौक पर कोई घर ऐसा नहीं था, जहां हर घर तिरंगा अभियान में तिरंगा न हो।'

 

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'जहां आतंकी मरते हैं, वहीं दफना देते हैं'

अमित शाह ने कहा, 'हमने कई ऐसे कदम उठाए जिसकी वजह से आतंकियों से बच्चों के जुड़ने की संख्या करीब-करीब शून्य हो गई। आतंकी जब मारे जाते थे, तो बड़ा जुलूस निकलता था। आज भी आतंकी मारे जाते हैं और जहां मारे जाते हैं, वहीं दफना दिए जाते हैं। घर का कोई आतंकी बन जाता था और परिवार के लोग आराम से सरकारी नौकरी करते थे। ङमने उनको निकालने का काम किया। आज वे श्रीनगर या दिल्ली की जेल में हैं।'

 


शाह ने बिना नाम लिए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर भी निशाना साधा। शाह ने कहा, 'इन्होंने पैदल यात्रा निकाली। कश्मीर तक गए। अपने कार्यकर्ताओं के साथ बर्फ की होली खेली और कहा कि आतंकवादी दूर से दिखाई पड़ते हैं। अरे भाई, जिनकी नजर में आतंकवादी है तो आपको सपने में भी आएगा और आपको कश्मीर में भी दिखाई देगा। हम तो आतंकवादी देखते ही सीधा दो आंखों के बीच गोली मारते हैं। हमारी सरकार ने आतंकवाद को सह सकती है और न आतंकवादियों को।'

 

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'31 मार्च 2026 तक खत्म हो जाएगा नक्सलवाद'

राज्यसभा में अमित शाह ने एक बार फिर 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद खत्म होने का वादा किया। उन्होंने कहा, 'दिसंबर 2023 में छत्तीसगढ़ में शासन बदला और बीजेपी की सरकार आई। इसके बाद से एक साल के अंदर 380 नक्सली मारे गए। इसमें कल के 30 जोड़ना बाकी हैं।'


उन्होंने छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के आंकड़े गिनाते हुए कहा कि बीजेपी सरकार आने के बाद से राज्य में 1,194 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है और 1,045 ने सरेंडर किया है। उन्होंने कहा, 'मैं बड़ी जिम्मेदारी से सदन में कहना चाहता हूं कि 31 मार्च 2026 तक देश से वामपंथी उग्रवाद का सफाया हो जाएगा।'

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