वक्फ संशोधन कानून पर हंगामा मचा है। यह कानून संसद से पास हो गया है, राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर कर दिए हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कुछ ऐसा कहा है जिसकी वजह से सरकार में शामिल लोग नाराज हो गए हैं। केंद्र सरकार का कहना है कि कानून बनाना संसद का काम है, शक्तियों को लेकर संविधान में स्पष्ट विभाजन है फिर क्यों सुप्रीम कोर्ट केंद्रीय की शक्तियों में हस्तक्षेप कर रहा है।
पहले संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट विधायी मामले में दखल न दे। अगर सरकार न्याय पालिका में दखल देने लगे तो ठीक नहीं होगा। शक्तियों का बंटवारा साफ है, जिसे सही तरीके से समझने की जरूरत है। अब निशिकांत दुबे ने भी कुछ ऐसा कहा है, जिस पर विवाद छिड़ गया है।
निशिकांत दुबे ने क्या कहा है?
निशिकांत दुबे ने कहा है, 'कानून यदि सुप्रीम कोर्ट ही बनाएगा तो संसद भवन बंद कर देना चाहिए।' उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के विधायिका में हस्तक्षेप को लेकर सवाल खड़े किए हैं। सुप्रीम कोर्ट के वक्फ से जुड़ी याचिकाओं पर फैसले को लेकर देशभर में सवाल उठे हैं। भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि संसदीय मामलों में कोर्ट को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। कोर्ट की अपनी संवैधानिक सीमाएं हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून पर क्या कहा है?
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा है कि वक्फ बोर्ड पर केंद्र के जवाब आने तक वक्फ की संपत्ति की स्थितियां नहीं बदलेंगी। कोर्ट से वक्फ घोषित हो चुकी संपत्तियां डी-नोटिफाई नहीं की जाएंगी। चाहे वे वक्फ बाय यूजर हों या वक्फ बाय डीड हों। वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में कोई नई नियुक्ति नहीं होगी।
सरकार ने सुनवाई के दौरान क्या कहा था?
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने कहा, 'हम लोगों के प्रति जवाब देह हैं। क्या बेंच कुछ धाराओं को तत्काल पढ़कर ही अधिनियम पर रोक लगाने का विचार कर रही है। बेंच किसी वैधानिक प्रवाधान पर रोक लगाने जा रही है, यह दुर्लभ होगा। कानून लाखों सुझावों के बाद बना है, कई गांवों को वक्फ के नाम पर हड़प लिया गया है, कई निजी संपत्तियों को वक्फ में लिया गया है।' बेंच ने कहा कि हम अंतिम फैसला नहीं सुना रहे हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस संजीव खन्ना ने केस की सुनवाई के दौरान कहा था, 'कोर्ट आमतौर पर कानूनों पर रोक नहीं लगाते हैं, लेकिन व्यक्तियों के अधिकार भी प्रभावित नहीं होने चाहिए।'