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मोहल्ला क्लीनिक से कोविड तक, CAG की दूसरी रिपोर्ट में क्या खुलासे हुए?

दिल्ली विधानसभा में शुक्रवार को CAG की दूसरी रिपोर्ट पेश कर दी गई। यह रिपोर्ट स्वास्थ्य पर है। रिपोर्ट में बताया गया है कि आम आदमी पार्टी सरकार ने स्वास्थ्य पर काफी कम खर्च किया।

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दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता। (Photo Credit: PTI)

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शुक्रवार को हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी CAG की रिपोर्ट विधानसभा में पेश की। इस रिपोर्ट में आम आदमी पार्टी की सरकार के दौरान दिल्ली में स्वास्थ्य को लेकर हुए कामकाज पर सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट में आम आदमी पार्टी की सरकार में स्वास्थ्य पर फंड का सही से इस्तेमाल न करने की बात भी कही गई है। 


दिल्ली में बीजेपी सरकार बनने के बाद CAG की यह दूसरी रिपोर्ट है, जिसे विधानसभा में पेश किया गया है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने CAG की सभी 14 रिपोर्ट विधानसभा में पेश करने का वादा किया था। इससे पहले सीएम रेखा गुप्ता ने आबकारी नीति पर CAG की रिपोर्ट पेश की थी। 


शुक्रवार को पेश हुई CAG की दूसरी रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड से निपटने के लिए केंद्र सरकार से मिले फंड का इस्तेमाल नहीं किया गया। इसके अलावा, ये भी खुलासा हुआ कि आम आदमी पार्टी की सरकार में 8 नए अस्पताल बनने वाले थे, जिनमें से 5 के कंस्ट्रक्शन में देरी की गई। इसके साथ ही हेल्थ सेक्टर में स्टाफ की कमी की बात भी सामने आई है।

 

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CAG की रिपोर्ट में क्या खुलासे हुए?

- कोविड के फंड का सही इस्तेमाल नहींः रिपोर्ट में बताया गया है कि कोविड से निपटने के लिए दिल्ली सरकार को केंद्र सरकार से 787.91 करोड़ रुपये का फंड मिला था लेकिन इसमें से आम आदमी पार्टी की सरकार ने 582.84 करोड़ का ही इस्तेमाल किया। इसमें से 52 करोड़ रुपये का फंड स्टाफ बढ़ाने के लिए था लेकिन 30.52 करोड़ ही खर्च हुए। जरूरी दवाइयां, PPE किट्स और मास्क के लिए 119.85 करोड़ रुपये दिए गए थे लेकिन सरकार ने 83.14 करोड़ ही खर्च किए।


- न अस्पताल बने न बेड बढ़ेः रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016-17 की बजट स्पीच में सरकार ने 10 हजार बेड बढ़ाने का वादा किया था लेकिन 2016-17 से 2020-21 के बीच सिर्फ 1,357 बेड ही बढ़ाए गए। और तो और जून 2007 से दिसंबर 2015 के बीच 6.48 करोड़ रुपये खर्च कर 15 जमीनों का अधिग्रहण किया गया था। इस पर हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार होना था। इन जमीनों पर सारे प्रोजेक्ट 6 से 15 साल में पूरे होने थे लेकिन इसमें देरी हुई। 8 नए अस्पतालों में से सिर्फ 3 ही पूरी तरह से बनकर तैयार हुए हैं। इन अस्पतालों को पूरी तरह तैयार होने में अभी 6 साल और लगेंगे।


- स्टाफ की भी भारी कमीः रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2022 तक डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर में 3268, डायरेक्टर जनरल हेल्थ सर्विसेज में 1532, स्टेट हेल्थ मिशन में 1036 और ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट में 75 पद खाली थे। वहीं, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलज में 503, राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में 579, लोकनायक अस्पताल में 581, जनकपुरी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में 298 और चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय में कुल 322 पद खाली थे।


- अस्पतालों में सुविधाएं नहींः रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली के 27 अस्पतालों में से 14 में ICU नहीं हैं। 16 अस्पतालों में ब्लड बैंक नहीं बनाए गए हैं। 8 अस्पतालों में ऑक्सीजन की सुविधा नहीं है। 15 अस्पतालों में मॉर्चुरी नहीं हैं और 12 में एंबुलेंस की सुविधा तक नहीं है।


- मोहल्ला क्लीनिक में टॉयलेट नहींः CAG की इस रिपोर्ट में आम आदमी पार्टी सरकार की मोहल्ला क्लीनिक में भी बुनियादी सुविधाओं की कमी को उजागर किया गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 21 मोहल्ला क्लीनिक में टॉयलेट नहीं हैं, 15 में पावर बैकअप की सुविधा नहीं हैं, 6 में चेकअप के लिए टेबल तक नहीं हैं और 12 क्लीनिक में दिव्यांगों के लिए कोई सुविधा नहीं हैं। यही हालत AYUSH डिस्पेंसरी की भी हैं। निरीक्षण की गई 49 में से 17 डिस्पेंसरी में पावर बैकअप की सुविधा नहीं है। 7 डिस्पेंसरी में टॉयलेट तो 14 में पीने के पानी की भी सुविधा नहीं हैं।

 

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स्वास्थ्य पर कितना खर्च?

CAG की रिपोर्ट में सामने आया है कि आम आदमी पार्टी सरकार ने स्वास्थ्य पर कम खर्चा किया है। इसमें बताया गया है कि 2021-22 के बजट में आम आदमी पार्टी की सरकार ने अपने कुल बजट का 12.51% स्वास्थ्य के लिए रखा था। सरकार ने दिल्ली की जीडीपी का महज 0.79% ही स्वास्थ्य पर खर्च किया। जबकि, राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में जीडीपी का कम से कम 2.5% खर्च स्वास्थ्य पर करने की सलाह दी गई है। 


रिपोर्ट में बताया गया है कि मांओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर खर्च करने के लिए जितना पैसा दिया गया, उसका सिर्फ 94.98 करोड़ रुपये यानी 57.79 फीसदी खर्च नहीं किया गया। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत दिल्ली को जो फंड मिला, उसमें से 510.71 करोड़ रुपये खर्च ही नहीं हुए।

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