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आग लगी तो Exit का रास्ता नहीं, नोएडा सेक्टर 18 मार्केट में ताक पर नियम

कुछ दिनों पहले ही नोएडा सेक्टर 18 में आग लगी थी। जिस इमारत में आग लगी थी, उसके एग्जिट के रास्ते बंद थे जिसके चलते लोग बाहर नहीं निकल पाए। 

kirshna apra plaza noida sector 18

1 अप्रैल को इसी बिल्डिंग में लगी थी आग, Photo Credit: Khabargaon

उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले का नोएडा इलाका अपनी आर्थिक गतिविधियों के लिए मशहूर है। दजनों शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, मॉल और हजारों ऑफिस नोएडा में ही हैं। नोएडा के सेक्टर 18 इन सारी गतिविधियों का केंद्र माना जाता है। इसी केंद्र में मंगलवार को आग लग गई। यह आग कृष्णा अपरा प्लाजा नाम के कॉम्प्लेक्स में लगी जिसमें दर्जनों ऑफिस और दुकानें मौजूद हैं। मंगलवार को जब आग लगी तो दर्जनों लोग अपने दफ्तरों में मौजूद थे लेकिन ग्राउंड फ्लोर पर आग लगने के चलते धुआं ऐसा भर गया था कि लोगों का निकलना मुश्किल हो गया था। इस हादसे के बाद अग्निशमन विभाग का कहना है कि इस बिल्डिंग के लिए फायर NOC ही नहीं ली गई थी। 


बुधवार के दिन सुबह कई लोग इस उम्मीद में आए कि वे अपने ऑफिस में जा सकेंगे। हालांकि, वहां बैठे गार्ड ने उन्हें बताया कि बिल्डिंग की बिजली फिलहाल काटी गई है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो गौतम बुद्ध नगर के अग्निशमन विभाग ने बिल्डिंग का फायर NOC ना होने की वजह से बिल्डिंग सील करने और जांच के लिए कमेटी बनाने की बात कही है। 

कृष्णा अपरा प्लाजा की हालत क्या है?

 

आग इसी बिल्डिंग में लगी थी। बताया जा रहा है कि इस बिल्डिंग में पांच या 6 गेट हैं। बुधवार को मुख्य गेट को जानबूझकर बंद किया गया था क्योंकि इसके ठीक ऊपर टूटे हुए कांच लटक रहे थे। पीछे एक शटर को काटा गया था जो बुधवार को भी खुला था। बुधवार को पीछे से खुले गेट के पास एक गार्ड को बिठाया गया था जो रजिस्टर में नाम लिखकर ही किसी को अंदर जाने दे रहा था। गुरुवार को मुख्य गेट को छोड़कर बगल के 4 गेट खोल दिए गए थे। हालांकि, हादसे वाले दिन सिर्फ मुख्य गेट ही खुला था और बाकी के गेट न खुल पाने के चलते लोग बाहर नहीं निकल पाए। आखिर में बाईं ओर के एक गेट को काटा गया तब लोग बाहर आए।

 

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गेट न खोलने के बारे में वहां मौजूद लोगों ने अलग-अलग तरह की बातें बताईं। इसी बिल्डिंग में मौजूद एक स्पा के कर्मचारियों ने नाम छिपाने की शर्त पर कहा, 'हम कई बार शिकायत कर चुके हैं लेकिन बिल्डिंग में कोई काम करवाया ही नहीं जाता। हम सभी गेट खुलवाने की बात भी कहते हैं लेकिन ये गेट नहीं खोले जाते।' वहीं, इसी बिल्डिंग में एक लॉ फर्म में कंसल्टेंट के तौर पर काम करने वाले डी के श्रीवास्तव ने बताया, 'गेट तो हमने जानबूझकर बंद करवाए हैं क्योंकि ग्राउंड फ्लोर के बाहरी हिस्से की ओर खाने-पीने की कई दुकानें हैं जो गेट खुला रहने की स्थिति में अपना सामान रास्ते में रख देते हैं। इसलिए हम गेट को बंद ही रखते हैं क्योंकि हर गेट पर गार्ड नहीं रखे जा सकते।'

 

कृष्णा अपरा प्लाजा के बगल के गेट पर खुला रहता है रेस्तरां, Photo Credit: Khabargaon

 

 

खबरगांव की टीम ने बिल्डिंग के अंदर जाकर देखा तो पता चला कि मुख्य गेट से घुसते ही एक कॉरिडोर है जिसके दोनों छोर पर गेट हैं। जिस दुकान में आग लगी थी वह दाहिने वाले गेट की ओर है लेकिन वह गेट उस दिन खुल नहीं सका। इसी तरह बिल्डिंग में आंगन वाला हिस्सा पार करने के बाद एक और कॉरिडोर है और इस कॉरिडोर के भी दोनों तरफ गेट हैं लेकिन ये दोनों गेट बंद थे। हादसे के दिन इसी कॉरिडोर के दाहिने हिस्से वाले गेट को काटकर लोगों को निकाला गया। 

 

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बिल्डिंग के अंदर आग बुझाने के लिए स्प्रिंकलर सिस्टम लगा है लेकिन वह काम नहीं करता। सीढ़ियों के पास कुछ फायर एक्स्टिंगुइशर भी दिखे लेकिन हादसे वाले दिन वे भी काम नहीं आए।

 

आग लगने पर इसी गेट को काटकर निकाले गए थे लोग, Photo Credit: Khabargaon

 

प्रशासन के निर्देशों की अनदेखी

 

अग्निशमन विभाग और पुलिस का कहना है कि बिल्डिंग के पास NOC नहीं है तो नोटिस जारी किया गया है। हालांकि, बिल्डिंग में मैनेजमेंट की ओर से मौजूद एक शख्स ने हमारे सामने ही कई लोगों को आश्वासन दिया कि थोड़ा समय लगेगा लेकिन सब खुल जाएगा। रोक के बावजूद बिल्डिंग के दोनों ओर मौजूद कई दुकानें खोल भी दी गई हैं। एक तरफ खाने-पीने की चीजों की दुकानें हैं जो ऑनलाइन डिलीवरी भी करती हैं। ये सारी दुकानें खुली हैं और बिल्डिंग के एग्जिट गेट के पास ही कुर्सियां भी बिछा दी गई हैं।

बाकी इमारतों का क्या हाल है?

 

कृष्णा अपरा प्लाजा को मिलाकर वहां ऐसे कुल 6 कॉम्प्लेक्स हैं। सबके बीच में जगह भी छोड़ी गई है लेकिन अब यह जगह अतिक्रमण का शिकार है। ग्राउंड फ्लोर पर खुले रेस्तरां इस खाली जगह का इस्तेमाल धड़ल्ले से कर रहे हैं। कृ्ष्णा अपरा के एक तरफ चोखानी स्क्वायर तो दूसरी तरफ ओपी प्लाजा है। ओपी प्लाजा की बात करें तो वहां ग्राउंड फ्लोर पर मुख्य गेट को छोड़कर बाकी के सभी एग्जिट ब्लॉक हैं। जहां गेट हैं भी उन्हें भी शटर लगाकर बंद ही रखा जाता है। पीछे की ओर मौजूद एक गेट पर बाहर से ताला लगाया गया है। इसी तरह चोखानी स्क्वायर की बात करें तो वहां पर भी बाईं ओर का गेट बंद और अंदर से ग्राउंड फ्लोर का बुरा हाल है।

 

इमारतों के बीच अतिक्रमण की स्थिति, Photo Credit: Khabargaon

 

 

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इन तीनों के पीछे मौजूद तीन में से एक कॉम्प्लेक्स में गतिविधियां कम हैं लेकिन बाकी के दो कॉम्प्लेक्स में ग्राउंड फ्लोर पर कई ऑफिस और शोरूम हैं। कोने पर मौजूद इमारत में कई कोचिंग संस्थान चल रहे हैं लेकिन उस इमारत में भी एग्जिट एक ही है। बाकी के एग्जिट या तो पूरी तरह से बंद हैं या फिर ऐसी स्थिति में हैं कि उन्हें आपात स्थिति में खोला न जा सके।

स्थानीय दुकानदारों की शिकायत है कि कई बार कहने के बावजूद इन रास्तों को खोला नहीं जाता है। हैरान करने वाली बात यह भी है कि इन इमारतों के ग्राउंड फ्लोर पर ही एसी के बड़े-बड़े आउटडोर यूनिट रखे गए हैं जो गर्म हवा छोड़ते हैं। CFO प्रदीप चौबे ने ही बताया कि 2024 में नोएडा में ही AC के चलते आग लगने के 280 मामले सामने आए थे। इन इमारतों के बीचोंबीच बिजली के ट्रांसफॉर्मर भी लगाए गए हैं।


मीडिया को दिए अपने बयान में मुख्य अग्निशमन अधिकारी प्रदीप चौबे ने कहा था, 'जांच में यह पता चला है कि कृष्णा अपरा प्लाजा के पास न तो NOC है और न ही इसके लिए आवेदन किया गया था। यह भी पाया गया है कि हमने पिछले साल उन्हें नोटिस भेजा था लेकिन उन्होंने मानकों का पालन नहीं किया। बिल्डिंग में मेंटेनेंस स्टाफ तैनात हैं लेकिन आग लगने के बाद वे बिल्डिंग से फरार हो गए और फायर सेफ्टी सिस्टम का इस्तेमाल नहीं किया।'

 

उत्तर प्रदेश फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज रूल 2024 के मुतुबाकि, रिहायशी, गैर-रिहायशी, कमर्शियल और अन्य हाई राइज इमारतों में फायर सेफ्टी ऑफिसर और स्टाफ तैनात करना अनिवार्य है। CFO प्रदीप चौबे ने बताया कि इस इमारत में एक भी फायर सेफ्टी ऑफिसर नहीं है। उन्होंने यह भी कहा है कि सेक्टर 18 की मार्केट में एक अभियान चलाकर जांच की जाएगी कि किन इमारतों के पास NOC है और किसके पास NOC नहीं है।

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