मंदिरों से मदद मांग फंसी सुक्खू सरकार, BJP भड़की, माजरा क्या है?
देश
• SHIMLA 03 Mar 2025, (अपडेटेड 03 Mar 2025, 1:59 PM IST)
हिमाचल प्रदेश पर कर्ज करीब 1.05 लाख करोड़ रुपये का है। हिमाचल प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी तक इस मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुके हैं।

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू। (Photo Credit: Himachal Congress/X)
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेताओं ने आरोप लगाया है कि हिमाचल प्रदेश सरकार की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है। आलम यह है कि राज्य सरकार की कुछ योजनाओं पर पैसे खर्च करने के लिए मंदिरों से मदद लेनी पड़ रही है। सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने मंदिरों के ट्रस्ट से, राज्य सरकार की दो प्रमुख योजनाओं पर खर्च करने के लिए आर्थिक सहायता मांगी है।
सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार सुख आश्रय योजना और सुख शिक्षा योजना को जारी रखने के लिए मंदिरों से मदद चाहती है। भारतीय जनता पार्टी ने इस सुक्खू सरकार की इस पहल को लेकर आरोप लगाए हैं कि सरकार मंदिरों से पैसे लेना चाहती है, जिससे आर्थिक संकट थम जाए।
किन योजनाओं के लिए पैसे मांग रही हिमाचल सरकार?
हिमाचल प्रदेश की राज्य सरकार ने सुख आश्रय योजना और सुख शिक्षा योजना के लिए साल 2024-25 के लिए 272.27 करोड़ रुपये के खर्च का लक्ष्य रखा था। योजना का मकसद, बच्चों के लिए आश्रय, शिक्षा और कल्याणकारी योजनाओं पर यह राशि खर्च होने वाली थी। सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण विभाग यह योजना चलाता है।
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सुख आश्रय और सुख शिक्षा योजनाओं का ऐलान मुख्यमंत्री सुक्खू ने दिसंबर 2022 में किया था। 28 फरवरी 2023 और 3 सितंबर 2023 को इन्हें अधिसूचित किया गया था। ये योजनाएं कमजोर और अनाथ बच्चों के लिए शुरू की गई थीं। राज्यभर के आश्रयों और अनाथालयों में रहने वाले कम से कम 6,000 बच्चों को राज्य के बच्चों का दर्जा दिया गया है।
एक चिट्ठी और बुरी तरह से घिरी कांग्रेस
29 जनवरी को समाजिक न्याय और सशक्तीकरण विभाग के सचिव राकेश कंवर ने मंदिरों के ट्रस्ट से जुड़े सभी डिप्टी कमिश्नरों को चिट्ठी लिखी। पत्र में उन्होंने लिखा, 'हिमाचल प्रदेश हिंदू पब्लिक रिलीजियस इंस्टीट्युशंस चैरिटेबल एंपॉवरमेंट एक्ट, 1984' के तहत आने वाले अलग-अलग मंदिर ट्रस्ट, राज्य सरकार की ओर से संचालित धार्मिक गतिविधियों और कल्याणकारी योजनाओं में आर्थिक मदद करते हैं। मंदिर ट्रस्ट कल्याणकारी योजनाओं के लिए धन उपलब्ध कराने के मकसद से सुख आश्रय योजना और सुख शिक्षा योजना में योगदान दे सकते हैं।'
सुक्खू जी ने मुख्यमंत्री बनते ही हिंदुत्व को हराने की बात कही थी।
— BJP Himachal Pradesh (@BJP4Himachal) March 1, 2025
इतना ही नहीं कांग्रेस के बड़े नेता और इनके सहयोगी इंडी गठबंधन के नेता भी सनातन को गालियां देते हैं।
आज यही लोग मंदिरों के पैसों से सरकार चलाना चाहते हैं जोकि दुर्भाग्यपूर्ण है।
-श्री जयराम ठाकुर जी, नेता… pic.twitter.com/nL52XEOo36
सरकार ने मंदिरों से मांगा पैसा, BJP भड़की, वजह क्या है?
भारतीय जनता पार्टी का आरोप है कि कांग्रेस सरकार की नजर हिंदू मंदिरों के धन पर है। बीजेपी का कहना है कि हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट बढ़ गया है, मंदिरों के पैसों पर सूक्खू सरकार नजर डाल रही है। राज्य की वित्तीय स्थिति खराब करने के बाद कांग्रेस सरकार हिंदू मंदिरों का शोषण कर रही है, वहीं अन्य धर्म संस्थाओं को इससे बिलकुल अछूता रखा जा रहा है। यह कांग्रेस की तुष्टिकरण वाली राजनीति है।
बीजेपी नेता जयराम ठाकुर ने कहा, 'कांग्रेस के शासन में मंदिरों को केवल एटीएम मशीन की तरह माना जाता है। सत्य सनातन से कांग्रेस को न पहले मतलब था, न अब मतलब है। सरकार एक बाद समझ ले, आस्था के साथ खिलवाड़ महंगा पड़ेगा।'
#WATCH | दिल्ली: हिमाचल प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने कहा, "हिमाचल प्रदेश सरकार के फैसले लेने का तरीका विवादास्पद और हास्यास्पद है। हम मानते हैं कि हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट है लेकिन क्या यह सच नहीं है कि कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय नेता, यहां के… pic.twitter.com/yt7zifO7qW
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 1, 2025
बीजेपी का कहना है, '29 जनवरी की अधिसूचना से पता चलता है कि मंदिर ट्रस्ट पर मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना और मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना में योगदान देने के लिए दबाव डाला जा रहा है। फरवरी 2023 में शुरू की गई इस योजना का मकसद अनाथों, महिलाओं और बुजुर्गों की मदद करना है, लेकिन केवल मंदिरों से पैसे मांगे जा रहे हैं।'
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बीजेपी नेता जयराम ठाकुर ने कहा, 'सुखविंदर सिंह सुक्कू ने मुख्यमंत्री बनते ही हिंदुत्व को हराने की बात कही थी। इतना ही नहीं कांग्रेस के बड़े नेता और इनके सहयोगी इंडी गठबंधन के नेता भी सनातन को गालियां देते हैं। आज यही लोग मंदिरों के पैसों से सरकार चलाना चाहते हैं जोकि दुर्भाग्यपूर्ण है।'
जयराम ठाकुर ने कहा, 'सुख शिक्षा अभियान पर केवल 1.38 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। सुख आश्रय योजना पर भी बेहद कम खर्च हुआ है। इस योजना को बढ़-चढ़कर बताया गया था।'
सुक्खू राज में कुछ ऐसी है हिमाचल की स्थिति..! pic.twitter.com/XxcWsgbkc2
— BJP Himachal Pradesh (@BJP4Himachal) March 2, 2025
भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता करण नंदा का दावा है कि मंदिरों से मिलने वाली धनराशि का इस्तेमाल कर्मचारियों को वेतन और पेंशन देने के लिए किया जाएगा। सरकारी तंत्र दे अधीन आने वाले मंदिरों पर दबाव बनाया जा रहा है।
क्या सच में भगवान भरोसे है हिमाचल प्रदेश की सरकार?
हिमाचल प्रदेश के राज्य सचिव राकेश कंवर ने इन आरोपों पर कहा है कि सरकार ने मंदिरों को सलाह दी है, जिससे गरीब और अनाथ बच्चों की मदद हो से। यह एक चैटिटेबल पहल है, सभी दाताओं के लिए खुला है। मंदिरों के ट्रस्ट हिमाचल प्रदेश में लोककल्याणकारी नीतियों पर खर्च करे रहे हैं, दिव्यांग और महिलाओं की मदद मंदिर करते रहे हैं। मंदिरों का पैसा वेतन और पेंशन में सरकार नहीं खर्च करेगी।'
पंचायती राज और ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने X पोस्ट किया है, 'केंद्र सरकार की ओर से हिमाचल प्रदेश को दिया गया रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट (RTGs) 10,300 करोड़ रुपये साल 2021-22 के बीच में था। इसे 3,257 करोड़ रुपये 2025-26 के बीच घटाने की तैयारी है। हिमाचल प्रदेश को हर साल 3,257 रुपये GST क्षतिपूर्ति के तौर पर मिलते थे, जिसे जुलाई 2022 में रोक दिया गया।'
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अनिरुद्ध सिंह ने आरोप लगाए हैं कि बीजेपी के नेतृत्व वाली सराकर कर्मचारियों और वेतनभेगियों को पैसे नहीं दे रही थी। तब बीजेपी के सत्तारूढ़ रहने के दौरान 10 हजार करोड़ रुपये RDGs के तौर पर मिलते थे और GST क्षतिपूर्ति के तौर पर 3000 करोड़ रुपये दिए जाते थे। उन्होंने दावा किया कि बीजेपी ने सिर्फ चुनावी लाभ के लिए 5 हजार करोड़ रुपये की 'मुफ्त की रेवड़ियां' बांटी, जिससे सरकार की अर्थव्यवस्था खराब हो गई।
The RDG for Himachal is going down. This year, it will be a little over 3,000 crore but there’s no reduction in the grant for Uttarakhand. Why is there this discrimination?
— Anirudh Singh (@anirudhsinghMLA) March 2, 2025
The Central Government had even stopped the Rs 1,600 crore grant after the state government restored the… pic.twitter.com/5ciQtUfmtF
क्या सच में हिमाचल प्रदेश का बढ़ गया है राजकोषीय घाटा?
हिमाचल प्रदेश की पर करीब 1.05 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। हिमाचल प्रदेश सरकार के मंत्री राजेश धर्माणी का कहना है कि बीजेपी सरकार ने हिमाचल पर 75 हजार करोड़ रुपये का कर्ज छोड़ा था। दिसंबर 2022 से 2024 तक 2 साल में 30 हजार 80 करोड़ रुपये का कर्ज सुक्खू सरकार ने लिया, जिसमें 9337 करोड़ रुपये, बीजेपी राज के दौरान लिया गया कर्ज था। हिमाचल प्रदेश सरकार ने अब तक 11,590 करोड़ रुपये का कर्ज लौटाया है।
राज्य सरकार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सरकार को 2631 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल हुआ है। राज्य की आमदनी से ज्यादा खर्च है। केंद्र सरकार की ओर से 10 हजार करोड़ के आसपास ग्रांट दिया जाता था, जिसे 65 फीसदी तक घटा दिया गया है। सरकार पेंशन और सैलरी पर हर महीने 2800 करोड़ खर्च करती है। कांग्रेस ने ओल्ड पेंशन को बहाल करने का वादा भी हिमाचल प्रदेश में किया था। ऐसे में राजकोषीय घाटा इस राज्य में बढ़ा है। बीजेपी इसे मुद्दा बना रहा है।
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