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'हम कुछ नहीं कर सकते', सिंधु जल संधि पर वर्ल्ड बैंक ने क्या कहा?

भारत-पाकिस्तान में तनाव बढ़ता जा रहा है। इस बीच भारत दौरे पर आए वर्ल्ड बैंक के चीफ अजय बंगा ने कहा कि सिंधु जल संधि को लेकर हम मध्यस्थता के अलावा और कुछ नहीं कर सकते।

ajay banga

अजय बंगा। (Photo Credit: Social Media)

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव जारी है। पाकिस्तान की सेना बौखलाकर सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश कर रही है, जिसे भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया। हालांकि, पाकिस्तान है कि अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। वह अब भी हमला करने की कोशिश में लगा हुआ है। इस बीच भारत आए वर्ल्ड बैंक के चेयरमैन अजय बंगा ने सिंधु जल संधि को लेकर बड़ा बयान दिया है। अजय बंगा ने साफ कर दिया कि सिंधु जल संधि में वर्ल्ड बैंक की भूमिका मध्यस्थ से ज्यादा और कुछ नहीं है।

क्या बोले अजय बंगा?

सिंधु जल संधि को लेकर अजय बंगा ने कहा, 'वर्ल्ड बैंक की भूमिका सिर्फ मध्यस्थ की है। मीडिया में ऐसी चर्चा है कि वर्ल्ड बैंक हस्तक्षेप कर इस मुद्दे को सुलझाएगा लेकिन यह पूरी तरह गलत है। हम केवल मध्यस्थता कर सकते हैं, उससे आगे हमारी कोई भूमिका नहीं है।'

 


इससे पहले गुरुवार को अजय बंगा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की थी। बताया जा रहा है कि इस दौरान भी अजय बंगा ने साफ कर दिया था कि सिंधु जल संधि को लेकर वर्ल्ड बैंक कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा।

 

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भारत ने रोक दी है सिंधु जल संधि

22 अप्रैल को पहलगाम अटैक के बाद 23 अप्रैल को मोदी सरकार ने सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया था। इसके बाद पाकिस्तान बौखला गया था। पाकिस्तान ने दावा किया था कि भारत एकतरफा इस संधि को रोक नहीं सकता है।


गुरुवार को प्रेस ब्रीफिंग के दौरान विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि पाकिस्तान ने कभी सिंधु जल संधि का सम्मान नहीं किया। उन्होंने कहा, 'दो साल में भारत में कई बार सिंधु जल संधि में जरूरी बदलाव करने के लिए पाकिस्तान को नोटिस भेजा है लेकिन उसने कोई चिंता नहीं दिखाई। भारत ने हमेशा सिंधु जल संधि का सम्मान किया है। 65 साल से भारत संधि को निभा रहा है, यह हमारी सहनशीलता है। भारत ने इसका सम्मान तब भी किया जब पाकिस्तान ने हमला किया लेकिन पाकिस्तान ने हमेशा इसमें अड़चनें लगाईं।'

 

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क्या है सिंधु जल संधि?

वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता से 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि हुई थी। यह संधि इसलिए हुई थी, ताकि सिंधु नदी और उसकी 5 सहायक नदियों- सतलुज, रावी, ब्यास, झेलम और चिनाब के पानी का बंटवारा हो सके। दोनों देश अपनी कृषि और ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए पानी का इस्तेमाल कर सकें।


संधि के तहत, पश्चिमी नदियां- सिंधु, झेलम और चेनाब का लगभग 80% पानी पाकिस्तान को मिला। भारत इन नदियों की सीमित इस्तेमाल कर सकता है। इन नदियों के 13.5 एकड़ फीट पानी का पाकिस्तान इस्तेमाल करता है। पूर्वी नदियां- रावी, ब्यास और सतलुज का पूरा नियंत्रण भारत के पास है। इन नदियों के 3.3 एकड़ फीट पानी का भारत बिना रोक-टोक इस्तेमाल कर सकता है। भारत को पाकिस्तान के साथ पानी के प्रवाह का डेटा साझा करना होता है। साथ ही एक सिंधु जल आयोग बना, जिसकी बैठकें होती रहती हैं।


भारत ने फिलहाल सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया है। भारत इस संधि से पूरी तरह से हट नहीं सकता, क्योंकि इसमें वर्ल्ड बैंक भी शामिल है। संधि से बाहर निकलने के लिए अंतर्राष्ट्रीय चुनौतियां खड़ी हो जाएंगी। संधि को स्थगित करके भारत अब इसके नियम मानने को बाध्य नहीं है।

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