कांवड़ यात्रा: तीर्थयात्रा में कहां से 'घुसपैठ' कर बैठती है सियासत?
देश
• NEW DELHI 04 Jul 2025, (अपडेटेड 04 Jul 2025, 7:01 AM IST)
कांवड़ यात्रा पर दशकों से सियासत होती रही है। कभी कावंड़ियों पर फूल बरसाने पर, कभी कावंड़ियों के उत्पात मचाने पर, कभी उनकी राह में पड़ने वाली दुकानों के नेम प्लेट पर। क्यों विवादित रहती है यह यात्रा, आइए समझते हैं।

कांवड़ यात्रा। (Photo Credit: PTI)
कांवड़ा यात्रा और सावन, अभी कई दिन दूर हैं लेकिन सियासत शुरू हो गई है। उत्तराखंड से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक हंगामा मचा है। उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ यात्रा की तैयारियों के मद्देनजर एक ऐसा आदेश दिया है, जिस पर समाजवादी पार्टी से लेकर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (AIMIM) तक भड़क गई हैं। उत्तराखंड सरकार ने आदेश दिया है कि ढाबा, रेस्त्रां और दुकानों के बाबह नेम प्लेट, फूड लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट को प्रमुखता से दिखाया जाए। सरकार का तर्क है कि कांवड़ यात्रियों की इससे सुरक्षा होगी।
कांवड़ रूट पर जब ढाबा-दुकान मालिकों के नाम लिखने पर जब हंगामा बरपा तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि लोग गंगा का जल ले जाते हैं, कांवड़ की राह में पड़ने वाली दुकानें शुद्ध होनी चाहिए। खाने-पीने की चीजों में मिलावट नहीं होनी चाहिए। उत्तराखंड में यह विवाद हुआ लेकिन इसका सबसे बुरा रूप दिखा मुजफ्फनगर में।
यह भी पढ़ें: क्रांति का केंद्र रहा औघड़नाथ मंदिर है कांवड़ यात्रा का मुख्य पड़ाव
विपक्ष क्यों कांवड़ यात्रा पर नाराज है?
विपक्ष का एक धड़ा दावा कर रहा है कि कांवड़ यात्रा से पहले हिंदू संगठन सबका धर्म देख रहे हैं। वैष्णव ढाबे पर लोगों को नंगा करने की कोशिश हुई है, हिंदू और मुस्लिम दोनों को प्रताड़ित किया जा रहा है। हंगामा बरपने की एक वजह यह भी है स्वामी यशवीर नाम के एक शख्स ने कांवड़ मार्ग में एक अभियान चलाया है। अभियान का मकसद है कि दुकानों, ढाबों और होटलों के मालिकों को चेक करना कि कोई फर्जी पते से तो अपनी दुकान नहीं चला रहा है। वह यह चेक करना चाहते हैं कि दुकान का मालिक हिंदू है या मुसलमान है।
विवाद की वजह यह है कि न तो उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें जांचने के लिए अधिकृत किया है, न ही उत्तर प्रदेश पुलिस ने। वह दुकानदारों की पैंट तक उतरवा बैठे, जिसकी वजह से हंगामा बरपा है। नई मंडी पुलिस ने इस तथाकथित स्वामी की टीम के 6 सदस्यों को नोटिस जारी किया है, 3 दिन का समय दिया गया है। वह पुलिस को भी चुनौती दे बैठे हैं। उन्होंने कहा है कि पुलिस के आदेश का प्रतिकार किया जाएगा, पूरे प्रदेशभर में यह अभियान चलाया जाएगा।
यूपी सरकार का कांवड़ पर आदेश क्या है?
यूपी सरकार का आदेश है कि कांवड़ रूट पर पड़ने वाली दुकानों, होटल और ढाबों पर नेम प्लेट लगाया जाए। मुजफ्फरनगर के दिल्ली-देहरादूरन नेशनल हाइवे-58 के रूट पर पड़ने वाली जगहों पर यह नियम लागू किया जा रहा है। स्थानीय लोगों और हिंदू संगठनों का तर्क है कि हरिद्वार से कांवड़िए, पवित्र गंगा जल को लेकर आते हैं। जिस दुकान पर बैठकर वे खाना खाएं उन्हें यह तो पता हो किसकी दुकान है, जिससे शुचिता का ख्याल रख लिया जाए।
यह भी पढ़ें: उत्तरकाशी में भी बसा है जगन्नाथ मंदिर, जानें क्या है इस जगह की खासियत
'पंडितजी' होटल वाला विवाद क्या है?
शनिवार को हिंदू संगठन के कुछ कार्यकर्ता मुजफ्फरनगर में दिल्ली-देहरादून हाइवे पर स्थित 'पंडित जी वैष्णव ढाबा' पर हुंचे। हिंदू संगठन के कार्यकर्ता वहां काम करने वाले लोगों से आधार मांगने लगे। लोगों ने इनकरा कर दिया। वहां पेमेंट के लिए स्कैनर लगा था, जब नाम देखा तो मुस्लिम का नाम था। इसे लेकर उन्होंने हंगामा काट दिया। होटल मालिक को धमकी दी कि वह होटल का नाम बदले वरना धरना होगा।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश क्या था?
सुप्रीम कोर्ट ने 22 जुलाई 2024 को कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों के लिए उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकारों द्वारा जारी नेमप्लेट लगाने के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि दुकानदारों या उनके कर्मचारियों को अपनी दुकानों पर नाम या पहचान प्रदर्शित करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
क्यों सुप्रीम कोर्ट को देनी पड़ी दखल?
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा, एनजीओ एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स और कई अन्य याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि सरकारों का यह आदेश, संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 17 और 19(1)(ग) का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया था कि इसका मकसद, मुस्लिम दुकानदारों के आर्थिक बहिष्कार का है, जिससे उनकी आजीविका प्रभावित होगी।
अभी क्या स्थिति है?
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के फैसले पर अंतरिम लगाई थी। यूपी सरकार ने 24 सितंबर 2024 को फिर आदेश जारी किया। आदेश में कोई बदलाव नहीं किया गया। सीसीटीवी को अनिवार्य बनाया गया, शेफ और वेटर के लिए मास्क अनिवार्य कर दिया। कर्मचारियों का पुलिस वेरिफिकेशन होने लगा।
अब क्यों हंगामा हो रहा है?
एक बार फिर से यही आदेश जारी दिए गए हैं। 11 जुलाई से कांवड़ यात्रा शुरू हो रही है, अब कांवड़ रूट पर ये नियम लागू हों। मांसाहारी खाना नहीं बेचा जाएगा। 2023 से लेकर अब तक इस यात्रा पर खूब विवाद हो रहा है।
यह भी पढ़ें: कांवड़ यात्रा: उत्तराखंड में खाने की दुकान पर लाइसेंस नहीं तो ऐक्शन
नेताओं ने अब तक क्या कहा है?
अखिलेश यादव:-
कांवड़ यात्रा कोई नई बात नहीं, सभी की इसमें आस्था है। केंद्र और राज्य सरकार को इतने सालों में कांवड़ियों के लिए बेहतर इंतजाम करने चाहिए थे। बीजेपी नेता खुद फ्लाइट में मीट खाते हैं।
असदुद्दीन ओवैसी:-
होटलों में जाकर आधार कार्ड मांगने का अधिकार विजिलेंट ग्रुप को किसने दिया है? समझ नहीं आ रहा कि सरकार, प्रशासन चला रही है या फिर ये ऐसे दल?
कांवड़ियों की आलोचना क्यों होती है?
हर साल कुछ कांवड़ियो के उत्पात की खबरें सामने आती हैं। सरकारें इन पर पुष्पवर्षा करती हैं। सावन महीने में कई बार खबरे सामने आती हैं कि कुछ कांवड़िए हिंसक गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं। कांवड़ यात्रा के दौरान नशा करते पाए जाते हैं। गाड़ियों को तोड़ने, पुलिस से भिड़ने और आम आदमी से उलझने की खबरें सामने आती हैं। स्थानीय लोग, कांवड़ रूट की वजह से ट्रैफिक संबंधी दिक्कतों से भी जूझते हैं। कांवड़ियों के कानून व्यवस्था पर हमले को लेकर सवाल उठते हैं।
और पढ़ें
Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies
CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap