देश के नए मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार होंगे। वह राजीव कुमार की जगह लेंगे। राजीव कुमार मंगलवार को रिटायर होंगे। उनकी उम्र 65 साल हो गई है। नए कानून के तहत नियुक्त होने वाले वह पहले चुनाव आयुक्त हैं।
साल 1989 बैच के IAS अधिकारी डॉ. विवेक जोशी को चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति उनके कार्यभार संभालने की तिथि से प्रभावी होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की अध्यक्षता वाली चयन समिति की बैठक में ज्ञानेश कुमार के नाम को अंतिम रूप दिया गया। समिति ने सोमवार शाम साउथ ब्लॉक स्थिति प्रधानमंत्री कार्यालय में बैठक हुई। समिति ने उनके नाम की सिफारिश की थी।
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कौन हैं देश के नए मुख्य चुनाव आयुक्त?
ज्ञानेश कुमार 1988 बैच के केरल कैडर के अधिकारी हैं। वह पिछले साल जनवरी में सहकारिता मंत्रालय के सचिव के पद से रिटायर हुए थे। वह मई 2022 से मंत्रालय में सचिव थे। यह विभाग भी गृहमंत्री अमित शाह के अंतर्गत आता है।|
ज्ञानेश कुमार गृह मंत्रालय में 5 साल रहे। पहले मई 2016 से सितंबर 2018 तक उन्होंने संयुक्त सचिव का कार्यभार संभाला। सितंबर 2018 से अप्रैल 2021 तक उन्होंने अतिरिक्त सचिव की भूमिका निभाई।
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गृहमंत्री अमित शाह के हैं करीबी!
अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के वक्त अतिरिक्त सचिव के तौर पर उन्होंने जम्मू और कश्मीर डेस्क का नेतृत्व किया। जब अनुच्छेद 370 को रद्द करने वाला विधेयक पेश किया जाना था, वह गृहमंत्री के साथ संसद में जाते थे।
सुखबीर सिंह संधू के साथ ज्ञानेश कुमार को बीते साल मार्च में चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था। वह कानपुर से इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग से सिविल इंजीनियरिंग में बी-टेक हैं। उन्होंने इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड फाइनेंशियल एनालिस्ट्स ऑफ इंडिया से बिजनेस फाइनेंस की भी पढ़ाई की है।
कैसे होती है नए नियम के हिसाब से नियुक्ति?
मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति 'मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की शर्तें) अधिनियम, 2023' के तहत होती है। चुनाव आयुक्त की चयन प्रक्रिया में दो समितियां काम करती हैं। कानून मंत्री के नेतृत्व में 3 सदस्यों वाली एक खोज समिति होती है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय चयन समिति होती है। कानूनी मंत्री की अध्यक्षता वाली चयन समिति मुख्य चुनाव आयुक्त के लिए 5 नाम तय करती है।
कानून मंत्रालय की समिति के प्रस्ताव को प्रधानमंत्री के पास भेजा जाता है। प्रधानमंत्री के अध्यक्षता वाली चयन समिति इस पर मुहर लगाती है। प्रधानमंत्री की चयन समिति में लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष और प्रधानमंत्री की ओर से अनुमोदित एक केंद्रीय मंत्री होता है। अब इन 5 नामों में से एक नाम चुना जाता है। चयन समिति के पास, कानून मंत्री की अध्यक्षता से बाहर वाले किसी अधिकारी को भी चुनाव आयुक्त चुनने का अधिकार है।
क्यों राहुल गांधी ने जताया है ऐतराज?
राहुल गांधी ने बैठक के दौरान कहा था, 'मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। 19 फरवरी को फैसला आ सकता है या कुछ और हफ्ते लग सकते हैं। ऐसे में नई नियुक्ति कुछ दिनों के लिए टाल दी जाए। जल्दबाजी क्यों दिखाई जा रही है। इसमें अहंकार जैसा कुछ नहीं है, यह लोकतंत्र और गणतंत्र की जरूरत है।'
सुप्रीम कोर्ट में 19 फरवरी को क्या सुनवाई होगी?
मुख्य चुनाव आयुक्त के चुनाव पर नए नियमों को चुनौती देने वाली एक याचिका पर 19 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। पहले इस केस की सुनवाई 12 फरवरी को होने वाली थी लेकिन केस लिस्ट नहीं हो पाया था. सीनियर वकील प्रशांत भूषण ने जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटीश्वर सिंह की बेंच के सामने एक अर्जी दी थी।
प्रशांत भूषण का तर्क था कि 18 फरवरी को राजीव कुमार रिटायर हो रहे हैं, सरकार नए मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कर सकती है। कोर्ट इस याचिका पर जल्द से जल्द सुनवाई करे। सुप्रीम कोर्ट ने 19 फरवरी को सुनवाई की तारीख तय की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर नया चुनाव आयुक्त चुना जाता है तो वह कोर्ट के फैसले के आधीन होगा।