पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में भड़की हिंसा पर फैक्ट फाइडिंग कमेटी की रिपोर्ट आ गई है। कलकत्ता हाईकोर्ट को सौंपी रिपोर्ट में कमेटी ने बताया है कि मुर्शिदाबाद के बेतबोना गांव में 113 गांवों को बुरी तरह नुकसान पहुंचा है। इस रिपोर्ट में पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं। साथ ही यह भी खुलासा किया गया है कि हिंसा को भड़काने में स्थानीय पार्षद की अहम भूमिका रही थी।
मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के विरोध प्रदर्शन के दौरान 11 अप्रैल को हिंसा भड़क गई थी। इसके बाद हिंदुओं के घरों को जला दिया गया था। आगजनी के साथ-साथ लूटपाट की घटना भी हुई थी। कलकत्ता हाईकोर्ट ने 17 अप्रैल को इस हिंसा के पीड़ितों की पहचान करने और उनके पुनर्वास के लिए तीन सदस्यों की एक कमेटी बनाई थी। इस कमेटी में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के रजिस्ट्रार (लॉ) जोगिंदर सिंह, पश्चिम बंगाल लीगल सर्विस अथॉरिटी के मेंबर सेक्रेटरी सत्या अरनब घोषाल और WBJS के रजिस्ट्रार सौगत चक्रवर्ती थे। इस कमेटी ने हाईकोर्ट में पिछले हफ्ते अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। हालांकि, अब इस रिपोर्ट में हुए खुलासों की जानकारियां सामने आई हैं।
हाईकोर्ट की जस्टिस सौमन सेन और जस्टिस राजा बसु चौधरी की बेंच ने कहा कि कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि राज्य सरकार अपने लोगों की सुरक्षा करने में नाकाम रही है। कोर्ट ने कहा कि कमेटी की रिपोर्ट में सामने आया है कि पीड़ितों को पुनर्वास की सख्त जरूरत है और इसके लिए वैल्युएशन एक्सपर्ट्स की मदद लेना जरूरी है।

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रिपोर्ट में क्या-क्या सामने आया? 5 बड़ी बातें
- मेन अटैकः कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 'मेन अटैक' 11 अप्रैल को धुलियां में दोपहर 2.30 बजे हुआ था। उग्रवादियों ने वार्ड नंबर 12 में बने एक शॉपिंग मॉल को लूट लिया था। धुलियां में कई दुकानें पूरी तरह तबाह हो गईं हैं। कई जरूरी दस्तावेज भी जलकर राख हो गए।
- पार्षद ने भड़काई हिंसाः इस रिपोर्ट में बताया गया है कि मुर्शिदाबाद में हिंसा को भड़काने में स्थानीय पार्षद की अहम भूमिका थी। यहां के पार्षद टीएमसी के महबूब आलम हैं।
- पुलिस की भूमिकाः रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि हिंसा के दौरान पुलिस 'निष्क्रिय' और 'गायब' रही। बेतबोना गांव के लोगों ने 11 और 12 अप्रैल को 4 बजे फोन किया था लेकिन पुलिस ने कोई जवाब नहीं दिया। बेतबोना गांव के ज्यादातर लोगों ने मालदा में शरण ली थी लेकिन पुलिस ने उन्हें वापस जाने को मजबूर किया।
- पानी काटा और घर जला दिएः रिपोर्ट में बताया है कि उग्रवादियों ने पानी का कनेक्शन काट दिया था, ताकि घर जलाने पर उसे बुझाया न जा सके। उग्रवादियों ने केरोसिन डालकर सारे कपड़े भी जला दिए थे और महिलाओं के पास तन ढकने के लिए भी कपड़े नहीं बचे थे।
- वापस आकर जला दिए घरः धुलियां गांव के एक शख्स ने कमेटी को बताया कि हमले के बाद एक व्यक्ति वापस आया, उसने देखा कि किन घरों को अब तक नुकसान नहीं पहुंचा है और फिर उन्हें भी जला दिया। कई लोगों ने बताया है लोग आकर धमकाते हैं कि BSF कब तक तुम्हारी हिफाजत करेगी।
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हत्याओं पर क्या सामने आया?
मुर्शिदाबाद में 8 से 12 अप्रैल तक तनाव बना रहा था। सबसे ज्यादा हिंसा 11 और 12 अप्रैल को हुई थी। इस हिंसा में हरगोविंद दास और उनके बेटे चंदन दास की भी हत्या कर दी गई थी।
रिपोर्ट में बताया गया है कि 'उग्रवादियों ने आकर पहले घर का दरवाजा तोड़ दिया। फिर चंदन दास को पहले बाहर निकाला और उसके बाद उनके पिता हरगोविंद दास को लेकर आए। दोनों की पीठ पर कुल्हाड़ी से हमला किया।' रिपोर्ट में बताया गया है कि जब तक दोनों की मौत नहीं हो गई, तब तक एक व्यक्ति वहां खड़ा होकर उन्हें देखता रहा।
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मुर्शिदाबाद में क्या हुआ था?
वक्फ (संशोधन) कानून के खिलाफ मुर्शिदाबाद में प्रदर्शन हो रहे थे, तभी यहां हिंसा भड़क गई थी। राज्य सरकार की तरफ से हाईकोर्ट में दी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि 8 से 12 अप्रैल के बीच वक्फ कानून को लेकर मुर्शिदाबाद में कई जगहों पर हिंसा भड़की थी। मुर्शिदाबाद के सूती, धुलियां, श्मशेरगंज और जांगीपुर जैसे इलाकों में हिंसा भड़की थी।
12 अप्रैल को श्मशेरगंज पुलिस थाने में आने वाले जाफराबाद इलाके में हरगोविंद दास और चंदन दास की भीड़ ने हत्या कर दी थी। हालात बिगड़ने के बाद 11 अप्रैल को श्मशेरगंज में केंद्रीय बलों को तैनात किया गया था। 12 अप्रैल को यह तैनाती और बढ़ा दी गई थी।
मुर्शिदाबाद में भड़की हिंसा में हरगोविंद और चंदन दास के अलावा एजाज अहमद नाम के शख्स की भी मौत हो गई थी। इस मामले में 100 से ज्यादा FIR दर्ज की गई हैं। वहीं, करीब 276 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।