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मुर्शिदाबाद: वक्फ कानून पर एक अफवाह जिसमें जल उठा शहर, इनसाइड स्टोरी

मुर्शिदाबाद हिंसा में 3 लोगों की मौत हुई, 200 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है। दंगे अफवाह की वजह से भड़के। पढ़ें रिपोर्ट।

Murshidabad Violence

मुर्शिदाबाद हिंसा। (Photo Credit: PTI)

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में नये वक्फ कानून को लेकर फैली अफवाहें, सोशल मीडिया पर फर्जी अकाउंट्स और बड़ी संख्या में लोगों का एक जगह पर उमड़ जाना, दंगे की वजह बना। हिंसा में तीन लोगों ने जान गंवाई, कई लोग घायल हुए, वहीं 200 से ज्यादा गिरफ्तारियां अब तक हो चुकी हैं। 

हिंसा के बाद, पुलिस ने 1,093 सोशल मीडिया अकाउंट्स को ब्लॉक किया और 221 लोगों को गिरफ्तार किया। राज्य पुलिस, जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों और स्थानीय लोगों का कहना है कि कई संगठनों ने इस कानून के खिलाफ रैलियां बुलाई थीं। 8 अप्रैल को पहली बार हिंसा भड़की थी। उमरपुर में नेशनल हाईवे 12 पर प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के साथ झड़प की और दो पुलिस जीपों को आग लगा दी। 

पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस और लाठीचार्ज का इस्तेमाल किया। 11 अप्रैल को हालात और ज्यादा बिगड़ गए। मुर्शिदाबाद में नेशनल हाइवे-12 पर सबसे ज्यादा हिंसा भड़की। भीड़ ने सजुरमोर और डकबंगलो इलाकों में बसों, निजी वाहनों, पुलिस जीपों और गाड़ियों में आग लगा दी। शमशेरगंज, धुलियन और सुति जैसे इलाकों में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी। 

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कब कैसे भड़का दंगा?
जाफराबाद में एक भीड़ ने हरगोबिंद मंडल और उनके बेटे चंदन मंडल को घर से खींचकर उनकी हत्या कर दी। सजुरमोर में पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए गोलीबारी की, जिसमें तीन युवकों को गोली लगी। एजाज अहमद की अगले दिन मौत हो गई। बेदबोना गांव में भीड़ ने घरों में तोड़फोड़ की, लूटपाट की और आगजनी की। राम कुमार मंडल ने बताया कि उनका घर जल गया और अधिकांश ग्रामीण मालदा भाग गए।

मुर्शिदाबाद हिंसा। (Photo Credit: PTI)

हिंसा की वजह क्या रही?
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक हिंसा से पहले व्हाट्सएप ग्रुप्स और सोशल मीडिया पर भ्रामक और उत्तेजक संदेश फैलाए गए। इनमें दावा किया गया कि नया वक्फ कानून लोगों की जमीन, धार्मिक स्थल और कब्रिस्तान छीन लेगा, साथ ही इबादत करने के अधिकार को भी प्रभावित करेगा।

फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट्स ने इस गलत सूचना को और बढ़ावा दिया। हजारों युवा, जिनमें से कई ईद के लिए गांव लौटे थे, रैलियों में शामिल हुए। एजाज अहमद, चेन्नई के एक होटल में काम करता था। उसकी गोलीबारी में मौत हो गई। 

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कहीं सड़क जाम, कहीं दंगा, कहीं लूटपाट, अफवाहों ने बिगाड़े हालात
सजुरपुर और डकबंगलो क्रॉसिंग पर प्रदर्शनकारियों ने सड़क जाम कर दी, जिसके बाद आगजनी और तोड़फोड़ हुई। एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने कहा कि हजारों की भीड़ ने पत्थर, लाठियां और पेट्रोल का इस्तेमाल किया। NH-12 पर हिंसा के साथ-साथ गांवों में सांप्रदायिक हिंसा शुरू हो गई। पुलिस को सजुरपुर क्रॉसिंग पर चार राउंड गोलीबारी करनी पड़ी। इंटरनेट बंद कर दिया गया जिससे अफवाहें और भ्रामक सूचनाएं न फैलें। 1,093 फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट्स फेसबुक, इंस्टाग्राम, और X पर ब्लॉक किए गए।

मुर्शिदाबाद हिंसा। (Photo Credit: PTI)

पुलिस ने क्या कहा है?
जावेद शमीम (ADG, कानून और व्यवस्था) ने कहा कि पुलिस न केवल पत्थरबाजों और आगजनी करने वालों को पकड़ रही है, बल्कि उन लोगों की भी तलाश कर रही है जिन्होंने भीड़ को उकसाया। हिंसा का पैटर्न एक जैसा नजर आया है। अराजक तत्वों ने इसे साजिशन अंजाम दिया है। 

 

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क्या विदेशी भी हैं हिंसा में शामिल?
यह इलाका बांग्लादेश और झारखंड की सीमा के पास है। ऐसा कहा जा रहा है कि बाहरी उपद्रवियों की वजह से हिंसा भड़की है। लूटपाट बड़ी संख्या में हुई है। अफवाहें फैलाई गईं, जिसकी वजह से पुलिस को कई फोन कॉल आए। अब इलाके में शांति है, शांति बहाल की कोशिशें की जा रही हैं। पुलिसकर्मी गश्त कर रहे हैं। अफवाहें फैलाने वालों को पुलिस तलाश रही है। 

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