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डिजिटल स्पेस पर नजर, रडार में सोशल मीडिया, IT बिल पर सवाल क्यों?

नए इनकम टैक्स बिल में अधिकारी आपके कंप्युटर को खंगाल सकते हैं। वे आपके सोशल मीडिया अकाउंट पर भी नजर रख सकते हैं। इससे जुड़ी आपत्तियां क्या हैं, समझिए।

New Income Tax Bill 2025.

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण। (Photo Credit: PIB)

नए आयकर विधेयक 2025 के कुछ प्रावधान ऐसे हैं जिन पर इन दिनों खूब चर्चा हो रही है। विधेयक के कुछ प्रावधानों को लोग व्यक्तिगत जानकारियों के लिए बड़ा खतरा बता रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर यह विधेयक कानून बना तो अधिकारी ज्यादती कर सकते हैं। वजह यह है कि अब इनकम टैक्स अधिकारी आपके कंप्युटर की जांच कर सकेंगे, आपके सोशल मीडिया अकाउंट्स को खंगाल सकेंगे।

नए कानून में एक टर्म 'अथराइज्ड ऑफीसर' है, जिसकी ताकतें बढ़ाई गई हैं। अब आयकर से जुड़े मामलों में ऐसे अधिकारी, आपके बैंक खातों, सोशल मीडिया अकाउंट्स, जैसे वॉट्सऐप, ट्विटर या फेसबुक, ईमेल और सोशल मीडिया प्रोफाइल की जांच कर सकती है। 

'डिजिटल स्पेस में दखल दे सकते हैं अधिकरी'

वित्त मंत्री निर्मला सीतरामण ने नया इनकम टैक्स विधेयक 2025 संसद में पेश करते हुए कहा था कि यह 6 दशकों पुराने टैक्स नियमों को बदल देगी। इस विधेयक के कुछ प्रावधान ऐसे हैं, जिन्हें लेकर सवाल उठ रहे हैं। विधेयक अभी बना नहीं है। कानून बनने से पहले ही कई सवाल उठ रहे हैं। समिति इन बदलावों की पहले जांच करेगी। जिस प्रावधान पर सबसे ज्यादा सवाल उठ रहे हैं, वह है 'डिजिटल स्पेस।' 

आयकर विधेयक 2025। 

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'बैंक, ईमेल, सोशल मीडिया, सब रडार पर'

विधेयक का क्लॉज 247 में यह कहा गया है कि जो भी 'डेसिगनेटेड इनकम टैक्स अधिकारी' होगा, उसके पास आपके ईमेल, सोशल मीडिया, बैंक खातों और इन्वेस्टमेंट अकाउ्टस को खंगालने का हक होगा। यह कानून 1 अप्रैल 2026 से प्रभावी हो जाएगा। अगर अधिकारी को यह लगता है कि आपने अपनी संपत्तियों का जिक्र नहीं किया गया है, आपने कर नहीं जमा किया है तो उन्हें अपनी ताकत इस्तेमाल करने का हक भी होगा। 

आयकर विधेयक 2025।

 


अधिकारियों की बढ़ाई गई है ताकत 
क्लॉज 247 सक्षम अधिकारी को यह अधिकार देता है कि वह किसी दरवाजे, बक्से, लॉकर, तिजोरी, अलमारी का ताला तोड़ना सकता है, किसी भी इमारत, जगह में घुस सकता है, तलाशी ले सकता है, अगर उसकी चाबी नहीं है, ऐसी बिल्डिंग या जगह तक पहुंच नहीं है, या किसी भी कंप्यूटर सिस्टम या वर्चुअल डिजिटल स्पेस का एक्सेस कोड नहीं है तो भी उसे ओवर राइड करके हासिल कर सकता है।

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प्रस्तावित विधेयक में अधिकारियों को यह ताकत दी गई है कि वे करदाता के वर्चुअल डिजिटल स्पेस में दाखिल हो सकते हैं, कंप्युटर की जांच कर सकते हैं, क्लाउड सर्वर से जानकारी ले सकते हैं, सोशल मीडिया और ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर भी जानकारी खंगाल सकते हैं। 

नया आयकर विधेयक। 


नए विधेयक पर क्या कहते हैं कानून के जानकार?

फाइनेंशियल लॉ के जानकार अधिवक्ता शुभम गुप्ता बताते हैं कि इनकम टैक्स एक्ट 1961 यह पुराने कानून को पूरी तरह से बदल देगा। यह अधिकारियों की ताकत हद से ज्यादा बढ़ा देगा। अगर इस पर नजर नहीं रखी गई तो यह व्यपारियों और आम आदमी के उत्पीड़न का कानून बन जाएगा। 

एडवोकेट रूपाली पंवार ने कहा, 'इनकम टैक्स एक्ट 1961 में डिजिटल स्पेस और डोमेन का जिक्र नहीं था। यह प्राइवेसी में सेंध की तरह है। अगर सही नियम नहीं बनाए गए तो किसी के पर्सनल स्पेस में अधिकारी घुस सकता है। यह जरूरी नहीं कि वह हमेशा सही मंशा के साथ ही हो, अगर भ्रष्ट हुआ तो चीजें बहुत अलग जा सकती हैं।'

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अधिकारी एक अरसे से डिजिटल स्पेस में दखल की मांग कर रहे थे। उनका कहना था कि नए दौर में अगर डिजिटल स्पेस में एंट्री नहीं मिली तो बहुत सारी चीजें ट्रेस नहीं की जा सकेंगी। अब नए कानून में बहुत बदलाव किए गए। अगर यह विधेयक कानून बन गया तो सभी पर लागू होगा। इसके जोखिम भी होंगे, जिन्हें दूर करने की जरूरत है। 

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