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परिसीमन, भाषा से लेकर प्रवास तक, संसद के दोनों सदनों में हंगामा

संसद में बजट सत्र के दूसरे भाग का दूसरा दिन है। सरकार और विपक्ष के बीच कई मुद्दों पर जोरधार हंगामा बरपा है। पढे़ं पूरी रिपोर्ट।

Om Birla

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला। (Photo Credit: PTI)

संसद में बजट सत्र के दूसरे भाग की शुरुआत हो चुकी है। आज सत्र का दूसरा दिन है। कसभा से लेकर राज्यसभा तक, सत्ता पक्ष और विपक्ष में जमकर हंगामा बरपा है। तमिलनाडु के नेताओं ने केंद्र सरकार को परिसीमिन और तीन भाषा नीति को लेकर जमकर घेरा है। उनका कहना है कि देश के संघात्मक ढांचे को नुकसान पहुंचाने की कोशिश हो रही है। 

मतदाता सूचियों में हो रही कथित गड़बड़ी को लेकर भी सदन में हंगामा बरपा है। यह हंगामा इतना बढ़ा कि शुरू होते ही राज्यसभा में दोपहर 12 बजे तक के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। डीएमके ने शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान पर निशाना साधा है। डीएमके सासंद कनिमोझी और उनके नेतृत्व में डीएमके ने विरोध प्रदर्शन किया है। 

आइए जानते हैं संसद में अभी तक क्या-क्या हुआ है?

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परिसीमन के मुद्दे पर हंगामा
वोटिंग लिस्ट में धांधली और परिसीमन के मुद्दे पर कांग्रेस और डीएमके एक सुर में नजर आए। विपक्ष भाषा विवाद पर भी हंगामा किया और जिसकी वजह से सदन की कार्यवाही 12 बजे तक रोकनी पड़ी। 

राज्यसभा में क्या हो रहा है?
सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने पर उपसभापति हरिवंश ने आवश्यक कामकाज पटल पर रखवाने के बाद बताया कि कांग्रेस, द्रमुक, आम आदमी पार्टी, बीजू जनता दल (बीजद) सहित कुछ अन्य दलों के सदस्यों की ओर से नियम 267 के तहत कुल 21 नोटिस मिले हैं। उन्होंने सभी नोटिस अस्वीकार कर दिए।

विपक्षी दलों ने क्यों हंगामा किया?
विपक्षी दलों ने हंगामा और नारेबाजी आरंभ कर दिया। डीएमके के कुछ सदस्य आसन के निकट आकर नारेबाजी भी करने लगे। हंगामे के बीच ही उपसभापति ने शून्यकाल आरंभ किया। 

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दक्षिण भारत के सांसद क्या कह रहे हैं?
प्रस्तावित परिसीमन पर सबसे ज्यादा आपत्ति तमिलनाडु के सांसदों को है। डीएमके सांसद आर गिरिजान ने कहा कि तमिलनाडु इस प्रस्ताव को नहीं स्वीकारेगा। दक्षिण के राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है लेकिन वहां की लोकसभा सीटों की संख्या में कटौती करके उन्हें दंडित किया जा रहा है। 
 
लोकसभा में इस बिल पर हंगामा
लोकसभा में द इमिग्रेशन एंड फॉरेनर्स बिल, 2025 पर हंगामा हो रहा है। माइग्रेशन विधेयक गृहमंत्री अमित शाह पेश कर सकते हैं। यह विधेयक केंद्र को भारत में प्रवेश करने, यहां से बाहर जाने वाले लोगों के संबंध में पासपोर्ट या अन्य दस्तावेजों की जरूरत देने वाली कुछ शक्तियों के बारे में है। विपक्षी सांसदों ने इसे लेकर आपत्ति जताई है। 

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