सरकार ने संसद में बताया है कि नेशनल हाइवे-48 के जरिए जयपुर-दिल्ली हाइवे पर करीब 12 हजार करोड़ रुपये का टोल टैक्स वसूला गया है। यह जानकारी केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में दी। इसे लेकर राजस्थान की नागौर सीट से लोकसभा सांसद हनुमान बेनीवाल ने सवाल किया था।
हनुमान बेनीवाल ने सवाल किया था कि क्या दिल्ली-जयपुर नेशनल हाइवे पर कंस्ट्रक्शन कॉस्ट से ज्यादा टोल टैक्स लिया गया? उन्होंने यह भी पूछा था कि क्या महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में ज्यादा नेशनल हाइवे होने के बावजूद राजस्थान में टोल टैक्स ज्यादा वसूला गया है? इसी पर नितिन गडकरी ने यह जवाब दिया है।
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सरकार ने क्या बताया?
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकर ने इसका जवाब दिया। उन्होंने बताया कि NH-48 पर बने गुड़गांव-कोतपुली-जयपुर रोड 3 अप्रैल 2009 से शुरू हो गया है। इसकी लागत 6,430 करोड़ रुपये थी। इसपर 9,218.30 करोड़ रुपये का टोल टैक्स लिया गया है।
वहीं, दिल्ली-गुड़गांव रोड को 12 जनवरी 2003 को शुरू किया गया था। इसकी कंस्ट्रक्शन कॉस्ट 2,727.50 करोड़ रुपये थी, जबकि इस पर 2,489.45 करोड़ रुपये का टोल टैक्स लिया गया है।

इस तरह से कुल मिलाकर जयपुर-दिल्ली स्ट्रेच पर 11,945.80 करोड़ रुपये का टोल टैक्स लिया गया है, जबकि इसकी लागत 8,919.45 करोड़ रुपये थी। सड़क मंत्रालय ने बताया कि कंस्ट्रक्शन कॉस्ट में मेंटेनेंस और बाकी खर्चे भी शामिल होते हैं। हालांकि, मंत्रालय ने यह भी बताया कि कलेक्शन शुरू होने के बाद टोल में छूट नहीं दी जाती है, इसलिए कंस्ट्रक्शन कॉस्ट के साथ इसकी तुलना नहीं की जा सकती।
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राजस्थान से कितना टोल टैक्स?
हनुमान बेनीवाल के सवाल का जवाब देते हुए नितिन गडकरी ने बताया कि राजस्थान से 2023-24 में 5,885.03 करोड़ रुपये का टोल टैक्स लिया गया है। उत्तर प्रदेश से 6,695.40 करोड़ और महाराष्ट्र से 5,352.53 करोड़ रुपये का टोल टैक्स लिया है।
सड़कें खराब तो टोल क्यों?: बेनीवाल
हाइवे पर टोल टैक्स इसलिए लिया जाता है, ताकि इसका मेंटेनेंस अच्छे से रखा जा सके और लोगों को अच्छी सड़क मिल सके। हालांकि, सरकार से जवाब मिलने के बाद बेनीवाल ने कहा, 'कंस्ट्रक्शन कॉस्ट से ज्यादा टोल वसूलने के बाद स्टेट हाइवे की हालत खराब बनी हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही कहा है कि सड़कें खराब हैं तो यात्री टोल क्यों दें? आम आदमी इसका खामियाजा क्यों भुगते? हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का सरकार पर कोई असर नहीं हुआ है, क्योंकि हाइवे के हालात खराब होने के बावजूद जनता से टोल वसूला जा रहा है।' उन्होंने कहा कि सरकार को टोल वूसली पर पुनिर्विचार करना चाहिए।
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टोल को लेकर क्या है नियम?
नेशनल हाइवे, स्टेट हाइवे, पुल, सुरंग, एक्सप्रेसवे जैसी सड़कों के रखरखाव के लिए टोल टैक्स लिया जाता है। इसके नियम नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) और सड़क-परिवहन मंत्रालय तय करता है।
टोल टैक्स कितना लिया जाएगा? यह सड़क की लंबाई-चौड़ाई, उसकी कंस्ट्रक्शन कॉस्ट और गाड़ी के प्रकार जैसे फोर व्हीलर, ट्रक या बस के आधार पर तय होता है। आमतौर पर हर 60 किलोमीटर पर टोल प्लाजा होता है। हालांकि, एंबुलेंस, सैन्य वाहन, टू व्हीलर, वीआईपी गाड़ियों और स्थानीयों से टोल नहीं लिया जाता।
पिछले साल ही सरकार ने टोल वसूली को लेकर नए नियम जारी किए थे। इसके तहत 20 किलोमीटर तक की यात्रा पर कोई टोल नहीं लगता है। यह GPS पर काम करता है। अगर कोई यात्री किसी हाइवे या एक्सप्रेसवे पर 20 किलोमीटर से कम का सफर करता है तो उसे कोई टैक्स नहीं देना होगा लेकिन इससे ज्यादा होने पर पूरा टैक्स देना पड़ता है।