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समोसा-जलेबी पर सिगरेट की तरह छपेगी चेतावनी? खबर का सच जान लीजिए

मीडिया में 14 जुलाई को खबरें पब्लिश हुई थीं जिसमें कहा गया था कि समोसे और जलेबी पर सिगरेट की तरह वॉर्निंग का लेबल लगाए जाने का सरकार का आदेश है। लेकिन सच कुछ और है।

Representational Image । Photo Credit: AI Generated

प्रतीकात्मक तस्वीर । Photo Credit: AI Generated

मीडिया में सोमवार को एक खबर चली कि समोसे और जलेबी पर सिगरेट की डिब्बी पर छपी वॉर्निंग की तरह लेबल लगाना जरूरी होगा। जिसने भी पढ़ा वह चौंक गया। बात भी बड़ी थी क्योंकि भारत में खासकर उत्तर भारत में तो समोसा और जलेबी तो ऐसी चीजें हैं जिनको लगभग हर कोई खाता है। इसको लेकर कयास भी लगाए जाने लगे कि आखिर समोसे जलेबी पर लेबल लगेगा कैसे?

 

हालांकि, पीआईबी के फैक्ट चेक में यह बात सामने आ गई है कि इस बात में सच्चाई नहीं हैं और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा ऐसी किसी भी तरह की एडवाइजरी जारी नहीं हुई है। यह खबर पूरी तरह से अफवाहों पर आधारित थी। स्वास्थ्य मंत्रालय ने 21 जून 2025 को एक एडवाइजरी जारी की थी जिसमें कहा गया था कि ऐसा प्रस्तावित किया जाता है कि सरकारी कार्यालयों, मंत्रालयों, विभागों और सार्वजनिक स्थानों में एक ‘ऑयल एंड शुगर बोर्ड’ लगाया जाए जिसमें यह बताया जाए कि अधिक मात्रा में तेल या शुगर के सेवन से किस तरह का नुकसान हो सकता है ताकि लोगों में जागरुकता फैलायी जा सके और मोटापे की बढ़ती हुई समस्या से निजात पाया जा सके।

 

इस पहल का उद्देश्य लोगों को नुकसानदायक खाने-पीने की आदतों से अवगत कराना और बेहतर जीवनशैली की ओर प्रेरित करना है। मंत्रालय ने यह कदम बढ़ते मोटापे और उससे जुड़ी बीमारियों जैसे डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग और कुछ प्रकार के कैंसर को रोकने के उद्देश्य से उठाया है।

 

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मोटापा बन रहा गंभीर खतरा

पत्र में The Lancet GBD 2021 की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि भारत में 2021 में 18 करोड़ लोग मोटापे से ग्रसित थे, जो 2050 तक बढ़कर 44.9 करोड़ हो सकते हैं। यह संख्या भारत को दुनिया में दूसरा सबसे अधिक मोटापे से ग्रस्त लोगों वाला देश बना देगी। NFHS-5 (2019-21) के आंकड़े दर्शाते हैं कि शहरी क्षेत्रों में हर पांच में से एक बच्चा या वयस्क अधिक वजन या मोटापे का शिकार है।

 

पीएम की अपील और 'फिट इंडिया मूवमेंट'

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी 2025 में देहरादून में आयोजित 38वें नेशनल गेम्स के उद्घाटन समारोह में देशवासियों से ‘सक्रिय जीवनशैली’ अपनाने की अपील की थी। अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में भी उन्होंने तेल की खपत में 10% की कटौती करने की अपील भी की थी।

 

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क्या है प्रस्ताव

  1. ऑफिसों और सार्वजनिक स्थलों पर डिजिटल या स्टैटिक ‘ऑयल और शुगर बोर्ड’ लगाए जाएंगे जो चीनी और तेल के अधिक उपयोग के नुकसान को दर्शाएंगे।

  2. सरकारी पत्राचार में स्वास्थ्य संदेश जैसे पत्रों, लिफाफों, नोटपैड्स, फ़ोल्डर आदि पर मोटापा रोकने के संदेश प्रकाशित किए जाएंगे।

  3. हेल्दी फूड और एक्सरसाइज को प्रोत्साहन: कार्यालयों में अधिक फल-सब्ज़ी, कम फैट वाले खाने-पीने के विकल्पों और कम शुगर वाले ड्रिंक्स उपलब्ध कराए जाएंगे। साथ ही, सीढ़ियों के उपयोग, शॉर्ट टर्म एक्सरसाइज सेशन और वॉकिंग रूट्स को बढ़ावा दिया जाएगा।

जागरुकता फैलाना उद्देश्य

इस एजवाइजरी से साबित होता है कि सरकार का उद्देश्य जागरुकता फैलाना है न कि बैन लगाना या कि हर दुकान के लिए समोसे और जलेबी पर लेबल लगाने जैसा कोई कानून बनाना। आधिकारिक पत्र में कहीं भी बैन शब्द का उल्लेख नहीं है, बल्कि ‘लाइफ स्टाइल में बदलाव’ और ‘हेल्दी लाइफ स्टाइल को बढ़ावा देने’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया है।

 

इस अभियान को प्रभावी बनाने के लिए FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) ने कई विजुअल कॉन्टेंट भी जारी किए हैं जो कि विभिन्न संस्थानों द्वारा अपने हिसाब से कस्टमाइज़ किया जा सकता है।

 

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