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जनगणना में 4 साल की देरी, संसद में क्यों आया सोनिया गांधी को गुस्सा?

देश में अंतिम बार जनगणना 2011 में हुई थी। तब से लेकर अब तक जनगणना नहीं हो पाई है। कांग्रेस जातीय जनगणना की मांग करती है। अब संसद के बजट सत्र में भी इसे लेकर हंगामा हुआ है।

Sonia Gandhi

सोनिया गांधी। (Photo Credit: Sansad TV)

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राज्यसभा में सोमवार को जनगणना में हो रही देरी को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को घेरा है। सोनिया गांधी ने कहा है कि जनगणना न होने की वजह से देश के 14 करोड़ लोगों को उनका हक नहीं मिल पा रहा है। 

सोनिया गांधी ने कहा है कि जनगणना न होने की वजह से ही नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट (NFSA) के तहत 14 करोड़ लोग वंचित हो गए हैं। यह उनका विशेषाधिकार है और मूल अधिकार भी है।

राज्यसभा में सोनिया गांधी ने कहा कि जनगणना में 4 साल की देरी बरती गई है। उन्होंने आशंका जाहिर की है कि इस साल भी जनगणना नहीं हो सकेगी। उन्होंने दावा किया है कि इससे जरूरतमंदों को उनका हक नहीं मिल पाएगा। 

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'NFSA अन्न योजना का है आधार'
सोनिया गांधी ने कहा, 'यूपीए सरकार नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट सितंबर 2013 में लेकर आई थी। यह देश की 140 करोड़ आबादी के लिए खाद्य और पोषण की गारंटी बनकर आई थी। यह कानून कोविड काल के दौरान करोड़ों लोगों के लिए बेहद अहम साबित हुआ। यह वही एक्ट है जो प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के आधार में है।'

'2011 में आखिरी बार, 4 साल की देरी, वजह क्या है'
सोनिया गांधी ने कहा, 'NFSA के तहत 75 फीसदी ग्रामीण आबादी और 50 फीसदी शहरी आबादी को खाद्य पदार्थों पर छूट दी जाती है। इस कोटे का दायरा अभी और सिमटा है। वजह यह है कि 2011 में आखिरी बार जनगणना हुई थी। भारत के स्वतंत्र इतिहास में यह पहली बार है जब जनगणना 4 साल के लिए टाली गई है। 2021 में होने वाली थी लेकिन अभी तक यह साफ ही नहीं है कि कब जनगणना कराई जाएगी।'

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'14 करोड़ की आबादी का छीना जा रहा है हक'

सोनिया गांधी ने कहा, 'जनगणना न होने की वजह से देश की 14 करोड़ आबादी NFSA के तहत अपने अधिकारों को हासिल नहीं कर पा रही है। यह अनिवार्य है कि सरकार प्राथमिकता के आधार पर जनगणना जल्द से जल्द कराए। खाद्य सुरक्षा किसी का विशेषाधिकार नहीं बल्कि उसका बुनियादी हक है।'



जनगणना पर क्या चाहती है कांग्रेस?
कांग्रेस की मांग सिर्फ जनगणना की नहीं बल्कि जाति आधारित जनगणना की है। राहुल गांधी अपनी जनसभाओं में बार-बार कहते हैं कि देश में जातिगत जनगणना होनी चाहिए, जिससे किस वर्ग की कितनी आबादी है, उसी आधार पर उसके प्रतिनिधित्व का पता चले। राहुल गांधी का कहना है कि अगर जाति आधारित जनगणना होगी तो समुदायों की संख्या के आधार पर ही लोगों को सरकारी नौकिरयों में, स्कूलों में और राजनीति में संरक्षण मिलेगी।

 

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