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पंजाब: सुखबीर बादल 'तनखैया' घोषित, अब क्या गुनाह किया?

पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ पटना साहिब के पंच प्यारों ने सख्ती दिखी है। उन्हें दो बार तलब किया गया था लेकिन वह पेश ही नहीं हुए। आखिर वह फंसे क्यों, पूरी कहानी।

Sukhbir Singh Badal

सुखबीर सिंह बादल। (Photo Credit: PTI)

शिरोमणि अकाली दल के मुखिया सुखबीर सिंह बादल को 'तनखैया' घोषित कियागया है। तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब ने यह आदेश जारी किया है। आदेश में कहा गया है कि सुखबीर सिंह बादल को सफाई पेश करने के लिए दो बार तलब किया गया लेकिन वह पहुंचे ही नहीं। अब ऐसे में यह फैसला लिया जा रहा है।

श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब के फैसले के मुताबिक सुखबीर बादल ने सिख धर्म के सिद्धांतों, पंज प्यारे के आदेशों और मर्यादाओं को नहीं माना है। तख्त की प्रबंधक समिति के अधिकारों में उन्हें दखल दी है। 9 और 10 मई 2023 को जो फैसले लिए गए थे, उन्हें चुनौती दे दी। पंज प्यारे सिंह साहिब की जांच में यह सामने आया है कि सुखबीर बादल इस साजिश में शामिल थे।

क्यों उन पर हुआ है ऐक्शन?

पंज प्यारों ने 21 मई को 1 जून को सुखबीर बादल को अपना पक्ष रखने के लिए कई मौके दिए गए। वह दोनों दिन तख्त के सामने नहीं आए। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने अनुरोध किया कि 20 दिन का और वक्त दिया जाए, फिर भी वे नहीं आए। 

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पहले भी मिल चुकी है सजा 

दिसंबर 2024 में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को 9 साल पहले माफे देने और बेअदबी पर ऐक्शन न लेने की वजह से सुखबीर बादल तनखैया घोषित हुए थे। गोल्डन टेंपल के बाहर वह तख्ती लेकर सेवादार बने थे। 2 दिनों की सजा मिली थी। 4 दिसंबर को सुखबीर बादल पर गोल्डन टेंपल के गेट पर ही डेरा बाबा नानक के रहने वाले एक शख्स नारायण सिंह चौड़ा ने गोली दाग दी। वह बाल-बाल बच गए। 

तनखैया है क्या?

धार्मिक गुनहगारों को तनखैया कहा जाता है। अगर कोई सिख, धार्मिक नियम नहीं मानता है तो उसे अकाल तख्त जा देता है। उसे किसी तख्त तक जाने का अधिकार नहीं होता, अरदास कराने का अधिकार छीन लिया जाता है, जो उसकी ओर से अरदास करता है, उसे भी गुनहगार माना जाता है।

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सजा क्या मिलती है?

तनखैया के दौरान जो सजा मिलती है, उसका कड़ाई से पालन करना होता है। गुरुद्वारे में जो सजा सुनाई जाती है, उसे अपनाना होता है। तनखैया को पांच ककार, कछहरा, कंघा, कड़ा, केश और कृपाण धारण कर सजा भुगतनी होती है। सजा के दौरान अरदास में शामिल होना होता है। सजा के तौर पर सेवा कराई जाती है। 

 

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