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'3 ट्रिलियन इकॉनमी बन गया तो कुछ नया नहीं हो जाएगा...'- मोहन भागवत

मोहन भागवत ने इशारा किया है कि अर्थव्यवस्थाएं किसी देश को बड़ा नहीं बनाती। देश की आध्यात्मिक ताकत, भारत को ज्यादा बड़ी बना सकती है। पढ़ें रिपोर्ट।

Mohan Bhagwat

राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत। (Photo Credit: PTI)

राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था अगर 3 ट्रिलियन डॉलर पार भी कर जाए तो इससे कुछ फर्क नहीं पड़ेगा। दुनिया में तमाम ऐसे देश हैं, जो अमीर हैं, जिनकी अर्थव्यवस्था 3 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा है लेकिन दुनिया में इसका अर्थ क्या है। मोहन भागवत ने भारत को आध्यात्मिक शक्ति बनने की दिशा में प्रयास करना चाहिए। 

मोहन भागवत ने कहा है कि भारत विश्वगुरु धर्म की वजह से है। भारत को धर्म पर काम करना चाहिए, साथ ही साथ अर्थ के लिए भी प्रयत्न करना चाहिए। उन्होंने भारत को आध्यात्मिक शक्ति की ओर बढ़ने की नसीहत दी है, साथ ही यह भी कहा है कि देश को सामरिक विकास की ओर ध्यान देना चाहिए। 

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मोहन भागवत ने 3 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था पर क्या कहा?

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, 'अपना देश भारत किस बात से बड़ा होता है, इसी बात से बड़ा होता है। हम 3 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन भी जाएं तो दुनिया में उसका कोई अर्थ नहीं हैं। क्योंकि अनेक देश हैं  दुनिया में कई अमीर देश हैं। अमीरी वाले देश बहुत हैं। नई बात नहीं है, सभी देशों ने की है, हम भी कर लें। लेकिन जो अध्यात्म है, धर्म है, यह दुनिया के पास नहीं है, यह हमारे पास है। इसके लिए दुनिया हमारे पास आती है।'

'अध्यात्मिक ताकत पर जोर दे भारत'

मोहन भागवत ने कहा, 'अध्यात्म के लिए दुनिया हमारे पास आती है। उसमें जब हम बड़े बनते हैं, तब सारी दुनिया हमारे पास आती है, नमस्कार करती है, विश्वगुरु मानती है। बाकी सारी बातें चाहिए। धर्म, मोक्ष ही नहीं केवल अर्थ लेकिन अर्थ काम भी चाहिए। सारी कूटनीति करना लेकिन इसमें बड़ा बनेंगे तभी हमारा देश माना जाएगा विश्वगुरु।'

 

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मोहन भागवत, RSS प्रमुख:-
शिव जैसा निर्भय होना चाहिए। सांप को गले लपेटते हैं, उन्हें डर नहीं लगता। डर क्यों लगेगा। उन्होंने हलाहल पचाया है। किसी सांप ने काट भी लिया तो क्या होगा। ताकत रखते हैं, सबके प्रति सहानुभूति है, भूत-प्रेत सब उनके गणों में हैं। राक्षस भी उनके गण हैं। देवता तो उन्हें पूजते ही हैं। सभी उनके लिए समान हैं। अपने लिए उन्हें कुछ नहीं चाहिए, तभी तो आशुतोष कहते हैं। थोड़े में प्रसन्न हो जाते हैं। उन्हें चाहिए कुछ नहीं। 

भगवान शंकर पर मोहन भागवत ने क्या कहा?

मोहन भागवत ने कहा, 'दुनिया का सब संकटों से तारण करते हैं। उनके जैसा जीवन होना चाहिए। समाज का भी जीवन अच्छा बनेगा, अपना भी जीवन अच्छा बनेगा। समाज इसी प्रकार के व्यवहार की वजह से टिक कर चलता है।'

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