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कौन हैं चैतन्य बघेल, ED की गिरफ्तारी के बाद सुर्खियों में कैसे आए?

चैतन्य बघेल एक बार फिर चर्चा में हैं। उन्हें ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है। किस केस में उनका नाम आया है, क्यों फंस गए हैं, पूरी कहानी जानिए।

Chaitanya Bagel and Bhupesh Baghel

चैतन्य बघेल, अपने पिता भूपेश बघेल के साथ। (Photo Credit: Facebook/Chaitanya)

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के परिसर पर ईडी ने छापेमारी की है। चैतन्य बघेल के खिलाफ कथित आबकारी घोटाले से जुडे़ मनी लॉन्ड्रिंग एक मामले में जांच चल रही है। ईडी ने को इस केस से जुड़े कुछ विवरण मिले हैं, जिसके बाद नए सिरे से जांच शुरू की गई है। भूपेश बघेल का आवास दुर्ग जिले के भिलाई शहर में है। ईडी की रडार पर चैतन्य बघेल हैं, जिन्हें अब गिरफ्तार कर लिया गया है। 

भूपेश बघेल के आवास के बाहर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। ईडी ने 10 मार्च को भी चैतन्य बघेल के घर पर रेड डाली थी। भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया पर कहा, 'आज विधानसभा के मॉनसून सत्र का अंतिम दिन है। तमनार में अदाणी के लिए काटे जा रहे पेड़ों का मुद्दा आज उठना था। भिलाई निवास में 'साहेब' ने ईडी भेज दी है।'



भूपेश बघेल ने 10 मार्च को हुई रेड पर कहा था कि यह विपक्ष की आवाज दबाने की साजिश है। उन्होंने रेड खत्म होने के बाद सोमवार को कहा, 'ED घर से चली गई है। मेरे घर में उनको तीन चीजें मिली हैं, मंतूराम और डॉ पुनीत गुप्ता (डॉ रमन सिंह जी के दामाद) के बीच करोड़ों के लेनदेन की बातचीत की पेनड्राइव। डॉ. रमन सिंह जी के पुत्र अभिषेक सिंह की सेल कंपनी के कागज। पूरे संयुक्त परिवार में खेती, डेयरी, स्त्रीधन, कैश इन हैंड मिलाकर लगभग 33 लाख रुपए, जिनका हिसाब उनको दिया जाएगा। मुख्य बात यह है कि ED के अधिकारी कोई ECIR नंबर नहीं दे पाए हैं।'

 

ईडी की रेड के बाद सबसे ज्यादा चर्चा चैतन्य बघेल की हो रही है। आइए जानते हैं उनके बारे में।

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केस क्या है? कौन हैं चैतन्य बघेल? 


चैतन्य बघेल कांग्रेस पार्टी से जुड़े हैं लेकिन राजनीति से दूर रहते हैं। कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि उन्हें सक्रिय राजनीति में उतारने का मन पार्टी ने बनाया था लेकिन राज्य में सत्ता पलटने के बाद ऐसा नहीं हो सका। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि चैतन्य साल 2018 से 2023 के बीच, अपने पिता के शासनकाल में भी राजनीति में आने वाले थे लेकिन बात नहीं बन पाई। 


कांग्रेस से जुड़े नेताओं का कहना है कि बीते साल जब भूपेश बघेल को राजनांदगांव लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए नामित किया गया था। अटकलें लगाई जा रही थीं कि अगर उनके पिता जीतते हैं तो चैतन्य को पाटन विधानसभा सीट से मैदान में उतारा जाएगा। यह सीट भूपेश बघेल की है। भूपेश बघेल की हार हुई तो यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई। 

क्यों चर्चा में रहते हैं चैतन्य? 

ईडी पहले भी चैतन्य बघेल से कड़े सवाल कर चुकी है। जब भूपेश बघेल ने तत्कालीन CJI चंद्रचूड़ को केंद्रीय एजेंसियों के गलत इस्तेमाल करने, उनके राजनीतिक करियर को खत्म करने को लेकर चिट्ठी लिखी थी, तब दुर्ग में पुलिस ने भिलाई के एक प्रोफेसर की हत्या की कोशिश में चैतन्य बघेल से पूछताछ की थी। चैतन्य बघेल रियल एस्टेट कारोबार से जुड़े हैं। वह सब्जी की खेती के कारोबार में शामिल हैं। वह उद्योग जगत में सक्रिय हैं। 

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रेड पर कांग्रेस ने क्या कहा? 

भूपेश बघेल की सोशल मीडिया टीम ने लिखा, 'जब सात साल से चल रहा एक झूठा मामला अदालत में खारिज हो गया तो आज ईडी के मेहमान पूर्व मुख्यमंत्री, कांग्रेस महासचिव भूपेश बघेल के भिलाई आवास में घुस गए। अगर कोई इस साजिश के जरिए पंजाब में कांग्रेस को रोकने की कोशिश कर रहा है, तो यह गलतफहमी है।'

कांग्रेस के मीडिया प्रमुख पवन खेड़ा ने भी एक्स पर लिखा, 'आज जब संसद सत्र शुरू हो रहा है तो चारों तरफ से घिरी बीजेपी ने सुर्खियां बदलने और टैरिफ, गिरती अर्थव्यवस्था, मतदाता सूची में धोखाधड़ी आदि से देश का ध्यान भटकाने के लिए वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपेश बघेल जी के घर पर ईडी से छापेमारी करवाई है।'

क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला?

छत्तीसगढ़ में 2019 से 2022 के बीच लगभग 2,000 करोड़ रुपये का शराब घोटाला उजागर हुआ, जिसमें राजनेता, वरिष्ठ नौकरशाह और आबकारी विभाग के अधिकारी शामिल थे। मुख्य आरोपी अनवर ढेबर, रायपुर के मेयर एजाज ढेबर के भाई, और पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा थे। 

आरोप है कि इस सिंडिकेट ने नकली होलोग्राम के माध्यम से अवैध शराब की बिक्री की, जिससे सरकारी राजस्व को भारी नुकसान हुआ। ईडी की जांच के अनुसार, इस घोटाले से होने वाली अवैध कमाई का उपयोग निजी और राजनीतिक लाभ के लिए किया गया। इस मामले में कई गिरफ्तारियां हुईं और जांच जारी है।

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