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J-K का बुलडोजर जस्टिस दूसरे राज्यों से अलग क्यों? समझिए कानून

जम्मू और कश्मीर में संदिग्ध आतंकियों के घरों को ढहाया जा रहा है। बांदीपोरा, पुलवामा और शोपियां में बुलडोजर चला है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की क्या यहां अनदेखी हो रही है, समझिए।

Jammu and Kashmir

जम्मू और कश्मीर में संदिग्धों के घर गिराए गए हैं. (Photo Credit: PTI)

जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद प्रशासन, आतंकियों के घरों को ध्वस्त कर रहा है। बांदीपोरा, पुलवामा और शोपियां जिले में कई सक्रिय आतंकियों के घरों पर बुलडोजर चला है, कुछ घरों को ब्लास्ट में उड़ा दिया गया है। स्थानीय प्रशासन का दावा है कि शनिवार रात शोपियां जिले के वंडिना में आतंकवादी अदनान शफी का घर ध्वस्त कर दिया गया है। बीते साल वह आतंकियों के साथ जुड़ा था। पुलवामा में एक और सक्रिय आतंकवादी आमिर नजीर के घर भी बुलडोजर चला है।

बांदीपुरा जिले में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी जमील अहमद शेरगोजरी का घर को भी जमींदोज कर दिया। शेरगोजरी 2016 से सक्रिय आतंकवादी है। पहलगाम हमले के बाद से अब तक आतंकवादियों और उनके सहयोगियों के 9 से ज्यादा घरों को ध्वस्त किया गया है। 

दूसरे राज्यों में 'बुलडोजर जस्टिस' असंवैधानिक
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और कई दूसरे राज्यों में 'बुलडोजर जस्टिस' को सुप्रीम कोर्ट असंवैधानिक बता चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने ध्वस्तीकरण को लेकर एक गाइडलाइन भी जारी की है लेकिन कश्मीर में इसका पालन नहीं हो रहा है।  क्या अदालत में जम्मू-कश्मीर सरकार और प्रशासन को इस तरह के न्याय पर फटकार लग सकती है? ऐसे वक्त में जब जम्मू और कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा संवैधानिक तौर पर खत्म हो चुका है, भारत के सारे अधनियम, कोर्ट के निर्देश वहां लागू होते हों, तब भी वहां के 'बुलडोजर जस्टिस' को सही ठहराया जा सकता है, क्या अदालतें वैसे ही फैसले देंगी, जैसे यूपी और मध्य प्रदेश के लिए देती हैं? आइए समझते हैं।

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क्या असंवैधानिक तरीके से गिराए जा रहे हैं घर?
सुप्रीम कोर्ट की नजर में बुलडोजर जस्टिस असंवैधानिक है। यूपी सरकार को त्वरित न्याय की इस प्रक्रिया पर फटकार लग चुकी है। 13 नवंबर 2024 को जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा था कि कार्यकारी आदेश, न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन नहीं कर सकते हैं। सु्प्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा था, 'कार्यपालिका को न्यायाधीश की भूमिका निभाने और किसी आरोपी को दोषी ठहराकर, उसकी सजा तय करने का अधिकार नहीं है। ऐसा करना कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन होगा।'



जम्मू और कश्मीर के विषय में यह नियम, अपवाद क्यों हो सकता है, आइए जानते हैं।

कश्मीर में ऐसे ऐक्शन को छूट क्यों मिल सकती है?
आर्म्ड फोर्स स्पेशल पॉवर एक्ट
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट शुभम गुप्ता ने कहा, 'जम्मू और कश्मीर में आर्म्ड फोर्स स्पेशल पॉवर एक्ट (AFSPA) लागू है। AFSPA की धारा 4(बी) के मुताबिक अगर किसी कमीशंड अधिकारी, वारंट अधिकारी या सुरक्षाबलों के अधिकृत अधिकारी को यह लगता है कि यह करना जरूरी है तो वह हथियारों के गोदाम, हमले की जगह, सशस्त्र समूहों के प्रशिक्षण शिविर, या अपराधियों के छिपने के ठिकाने को नष्ट कर सकता है, बशर्ते उसे लगे कि यह कानून-व्यवस्था के लिए जरूरी है।'

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अपवाद क्या है?

AFSPA के तहत इस हद तक तभी ऐक्शन लिया जा सकता है, जब वह ठिकाना, आतंकी गतिविधियों के इस्तेमाल हो रहा हो, हथियारों को रखा गया हो, विद्रोही उसे अपने ठिकाने के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हों। कार्रवाई बिना चेतावनी के नहीं होना चाहिए।

कानूनी सीमाएं क्या हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने 1998 के नगा पीपुल्स मूवमेंट ऑफ ह्यूमन राइट्स बनाम भारत सरकार मामले में कहा कि AFSPA के तहत बल प्रयोग न्यूनतम होना चाहिए। मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि AFSPA के तहत बदले की भावना के साथ कोई कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।

जम्मू और कश्मीर लोक सुरक्षा अधिनियम, 1978
जम्मू और कश्मीर लोक सुरक्षा अधिनियम, 1978 भी कुछ हद तक ऐक्शन लेने की इजजात देता है। इस एक्ट के तहत लोगों को हिरासत में रखा जा सकता है। अगर कोई शख्स इस अधिनियम के तहत हिरासत में है और उसके घर आतंकवादी गतिविधियां पाई जाती हैं तो उसके घर पर भी ऐक्शन हो सकता है।

अनलॉफुल एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) एक्ट 1967
UAPA, 1967 की धारा 25 में आतंकी गतिविधियों से जुड़ी संपत्ति को जब्त करने की या नष्ट करने शक्ति मिली है। अगर कोई संपत्ति अवैध गतिविधियों के लिए इस्तेमाल की जा रही है या उनसे जुड़ी हुई है, तो भारत सरकार को उस संपत्ति को जब्त करने और कुर्क करने का अधिकार है।  इसके अलावा, कश्मीर के स्थानीय नगरपालिका और भूमि कानून हैं, जिनके आधार पर ऐसे ऐक्शन को सही ठहराया जा सकता है। 

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दूसरे राज्यों में बुलडोजर ऐक्शन पर फटकार क्यों पड़ती है?
सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर ऐक्शन को असंवैधानिक कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया, 'बिना नोटिस दिए कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है, नोटिस के बाद 15 दिन का समय दिया जाए, रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजा जाए। संपत्ति पर इसे चस्पा किया जाए, नोटिस में विध्वंस की वजहें साफ हों, कलेक्टर ऑफिस में भी नोटिस दिया जाए, पीड़ित को सुनवाई को मौका मिले, किसी भी आदेश के उल्लंघन को अवमानना माना जाए।'

अपवाद क्या है?
सार्वजनिक स्थल, सड़क पर अवैध संरचना, अदालतों की ओर से जारी आदेशों को अपवाद कहा जा सकता है।
 

पहलगाम में हुआ क्या था?
अनंतनाग जिले के पहलगाम में मंगलवार को आतंकवादियों की गोलीबारी में कम से कम 26 लोग मारे गए हैं, जिनमें अधिकतर पर्यटक शामिल थे। हमले की वजह से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि न्याय होकर रहेगा। 

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