भारत और पाक अधिकृत कश्मीर को अलग करने वाले कमान-अमन पुल को 6 साल में पहली बार खोलना पड़ा है। खलने की वजह दोनों देशों के बीच व्यापार या शांति वार्ता नहीं, एक बुरी खबर है। यह पुल दो लाशों के लिए खोला गया है। इसके तीन हिस्से पाकिस्तान के कब्जे में हैं, 1 हिस्सा भारत के पास है।
6 साल से बंद पड़े इस पुल को खोलने की वजह एक युवक और युवती की लाश है। दोनों की लाशें वापस सौंपने के लिए इसे खोला गया है। दो सप्ताह पहले उन्होंने झेलम नदी में कूदकर खुदकुशी कर ली थी।
क्यों खोला गया कमान ब्रिज?
बारामुला के उरी सेक्टर में बना यह पुल रणनीतिक तौर पर बेहद अहम है। तनावपूर्ण संबंधों की वजह से इसे बंद रखा जाता है। यह पुल झेलम नदी पर बना है। 22 साल के एक युवक और 19 साल की एक युवती ने झेलम में कूदकर जान दी थी।
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पुलिस के मुताबिक उनकी लाश बहकर इसी पुल के पास आई है। दोनों की लाशों को वापस उनके घरवालों को सौंपने के लिए इस पुल को खोलना पड़ा। युवक की लाश लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) के पास देखा गया था लेकिन तेज धाराओं की वजह से उसे निकाला नहीं जा सका।
पाकिस्तानी अधिकारियों ने लौटाई लाश
लाश बहकर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चली गई थी। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चिनारी के पास से उसे निकाला गया। युवती की लाश भी यहीं से एक दिन पहले बरामद हुई थी। भारतीय सीमा ने सीमा पर पाकिस्तानी अधिकारियों से बातचीत की, जिसके बाद लाशों की वापसी प्रक्रिया शुरू की गई।
सैन्य अधिकारियों ने कहा, 'लाशें शनिवार को हमें सौंप दी गई हैं। दोनों ओर के अधिकारी भी इस दौरान मौजूद रहे।'
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क्यों खास है कमान पुल?
यह पुल जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) से जोड़ता है। दोनों देशों के बीच सीमा पार व्यापार और यात्रा के लिए यह एक जमाने तक अहम रहा है। विभाजन की वजह से बंटे भारत-पाकिस्तान के लोगों के लिए यह पुल अपनों से मिलने का सेंटर पॉइंट था। अब यह बंद रहता है।
कब से बंद है यह पुल?
साल 2005 में पहली बार सीमा पार यात्रा और व्यापार के लिए अमन कमान पुल खोला गया था। इसका मकसद भारत-पाकिस्तान में शांतिपूर्ण आवाजाही था। जनवरी 2019 तक यह पुल खुला था। फरवरी में पुलवामा में जवानों के काफिले पर आत्मघाती हमला हुआ, जिसके बाद इसे बंद कर दिया गया। इस हमले में CRPF के 40 जवान शहीद हो गए थे।