समाजवादी पार्टी (एसपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार को उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर तंज कसते हुए कांवड़ यात्रियों के लिए बेहतर व्यवस्था करने की मांग की। उन्होंने सरकार से कहा कि वह सावन के पवित्र महीने में पैदल चलने वाले कांवड़ यात्रियों के लिए भोजन और स्वास्थ्य सुविधाओं पर ध्यान दें। अखिलेश ने मजाकिया अंदाज में कहा, 'सरकार को आदेश जारी करना चाहिए कि कमिश्नर, डीएम और एसपी को कांवड़ यात्रियों के लिए भोजन की व्यवस्था करने में लगाया जाए। सीओ और एसडीएम को उनके पैर दबाने के लिए तैनात करें। इससे शायद यात्रियों को कुछ राहत मिले। यह हमारी वैदिक परंपरा है।'
अखिलेश ने आगे कहा कि सरकार को आधिकारिक तौर पर जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) और पुलिस अधीक्षक (एसपी) को भोजन और स्वास्थ्य सेवाओं का प्रबंधन करने की जिम्मेदारी सौंपनी चाहिए। उनके इस बयान में सरकार की तैयारियों पर सवाल उठाने के साथ-साथ एक व्यंग्यात्मक टिप्पणी भी थी, जिसमें उन्होंने कहा कि सीओ और एसडीएम को यात्रियों की सेवा में पैर दबाने जैसे कामों में लगाया जा सकता है।
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नाम डिस्प्ले करने के आदेश पर सवाल
अखिलेश ने हाल ही में सरकार के उस आदेश पर भी निशाना साधा, जिसमें कांवड़ यात्रा मार्ग पर सभी दुकानों को अपने मालिकों और कर्मचारियों के नाम डिस्प्ले करने के लिए कहा गया है। उन्होंने इस कदम को सरकार की 'अक्षमता' छिपाने का एक तरीका बताया। अखिलेश ने कहा, 'सरकार को वह कॉरिडोर बनाना चाहिए था, जिसके बारे में वे बार-बार बात करते रहे। उन्होंने यात्रियों के लिए ठीक ढंग से सुविधाएं क्यों नहीं बनाईं? कांवड़ियों के लिए आराम करने की जगह और भोजन की व्यवस्था करना उनकी जिम्मेदारी थी। लेकिन इसके बजाय, वे क्यूआर कोड और ऐप जैसी चीजों का नाटक कर रहे हैं।’
जब उनसे यात्री मार्ग पर दुकानों के मालिकों और कर्मचारियों के नाम लिखने के हाल के सरकारी आदेश के बारे में पूछा गया, तो अखिलेश ने इसकी आलोचना की। उन्होंने कहा कि सरकार अपनी 'नाकामी' को क्यूआर कोड जैसे कदमों के पीछे छिपा रही है, जबकि मूलभूत सुविधाएं देनी चाहिए थीं।
कांवड़ यात्रा और सरकारी व्यवस्थाएं
सावन के महीने में हर साल लाखों कांवड़ यात्री शिव मंदिरों की ओर पैदल यात्रा करते हैं। इस दौरान उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में कांवड़ यात्रा के लिए विशेष व्यवस्थाएं की जाती हैं। लेकिन इस बार सरकार के नेम प्लेट लगाने के आदेश ने विवाद को जन्म दिया है। कई लोग इसे धार्मिक भावनाओं से जोड़कर देख रहे हैं, जबकि विपक्षी दल इसे सरकार की नाकामी छिपाने का हथकंडा बता रहे हैं।अखिलेश ने सरकार से सवाल किया कि कांवड़ यात्रियों की सुविधा के लिए बुनियादी ढांचा क्यों नहीं तैयार किया गया। उन्होंने कहा कि सरकार को कांवड़ यात्रा मार्ग पर विश्राम स्थल, स्वच्छ पेयजल, भोजन और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए थीं। इसके बजाय, सरकार ने दुकानों पर नेम प्लेट लगाने जैसे आदेश जारी किए, जो यात्रियों की सुविधा से सीधे तौर पर जुड़े नहीं हैं।
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विपक्ष का सरकार पर हमला
अखिलेश यादव का यह बयान उस समय आया है, जब कांवड़ यात्रा को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तनाव बढ़ता दिख रहा है। नेम प्लेट लगाने के आदेश ने न केवल विपक्षी दलों बल्कि कई सामाजिक संगठनों की भी आलोचना को जन्म दिया है। कई लोगों का मानना है कि यह आदेश सामाजिक सौहार्द्र को प्रभावित कर सकता है।अखिलेश ने अपनी बात को दोहराते हुए कहा, 'सरकार को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। कांवड़ यात्रा एक पवित्र परंपरा है, और इसे सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए। लेकिन इसके बजाय, वे ऐसी नीतियां ला रहे हैं जो विवाद पैदा कर रही हैं।' कांवड़ यात्रा के दौरान सरकार की व्यवस्थाएं और नेम प्लेट लगाने का आदेश अब चर्चा का केंद्र बन गया है। अखिलेश यादव के बयान ने इस मुद्दे को और हवा दी है।