बांग्ला को बांग्लादेशी बताने पर भड़कीं ममता, हंगामे की इनसाइड स्टोरी
राजनीति
• NEW DELHI 04 Aug 2025, (अपडेटेड 04 Aug 2025, 2:14 PM IST)
पुलिस ने बंग भवन को दिल्ली में एक चिट्ठी लिखी। अनुरोध किया गया था कि 'बांग्लादेशी भाषा' भाषा में उपलब्ध दस्तावेजों को हिंदी में लिखें। अब इस पर हंगामा हो रहा है। क्या है विवाद की पूरी कहानी।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी। (Photo Credit: Khabargaon)
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिल्ली पुलिस की एक चिट्ठी पर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने इस चिट्ठी को निंदनीय, अपमानजनक और राष्ट्रविरोधी करार दिया है। दिल्ली पुलिस ने 3 अगस्त को एक चिट्ठी लिखी, जिसमें बंगाली और बांग्ला भाषा को 'बांग्लादेशी भाषा' करार दिया था। बंगाली कलाकारों, साहित्यकारों और समुदाय के लोगों ने दिल्ली पुलिस की इस चिट्ठी पर नाराजगी जाहिर की है। ऐसा पहली बार है, जब ममता बनर्जी की राज्य में धुर विरोधी रहे कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) दलों के नेताओं ने भी उनके साथ सहमति जताई है।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने ममता बनर्जी के आरोपों पर जवाब दिया है। उन्होंने कहा है कि ममता बनर्जी वोट बैंक की राजनीति कर रही हैं और झूठ फैला रही हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा है कि ममता बनर्जी राजनीति स्क्रिप्ट लिख रही हैं, यह महज एक राजनीतिक स्टंट हैं। उन्होंने कहा दिल्ली पुलिस ने यह भाषा बांग्लादेशियों की तरफ से बोली जा रही भाषा से संबंधित है, भारत की बांग्ला भाषा से नहीं। ममता बनर्जी ध्रुवीकरण की राजनीति कर रही हैं।
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ममता बनर्जी:-
निंदनीय, अपमानजनक, राष्ट्र-विरोधी, असंवैधानिक। यह भारत के सभी बंगाली भाषी लोगों का अपमान है। वे ऐसी भाषा का प्रयोग नहीं कर सकते जो हम सभी को नीचा दिखाए और अपमानित करे। हम देश की बंगाली-विरोधी सरकार के खिलाफ सभी कड़े विरोध की अपील करते हैं। भारत के बंगाली-भाषी लोगों का अपमान और अपमान करने के लिए ऐसी संविधान-विरोधी भाषा का प्रयोग कर रही है।
ममता बनर्जी ने कहा, 'अब देखिए कैसे भारत सरकार के गृह मंत्रालय के सीधे नियंत्रण में दिल्ली पुलिस बंगाली को 'बांग्लादेशी' भाषा बता रही है। बंगाली, हमारी मातृभाषा, रवींद्रनाथ टैगोर और स्वामी विवेकानंद की भाषा, जिस भाषा में हमारा राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत लिखा गया है, जिस भाषा में करोड़ों भारतीय बोलते और लिखते हैं, जिस भाषा को भारत के संविधान द्वारा पवित्र और मान्यता प्राप्त है, उसे अब बांग्लादेशी भाषा बताया जा रहा है।'
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See now how Delhi police under the direct control of Ministry of Home, Government of India is describing Bengali as " Bangladeshi" language!
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) August 3, 2025
Bengali, our mother tongue, the language of Rabindranath Tagore and Swami Vivekananda, the language in which our National Anthem and the… pic.twitter.com/2ACUyehSx8
BJP क्यों बचाव कर रही है?
अमित मालवीय:-
दिल्ली पुलिस ने घुसपैठियों की भाषा को 'बांग्लादेशी' कहा था। ममता बनर्जी की यह प्रतिक्रिया न केवल अनुचित है, बल्कि भड़काऊ भी है। दिल्ली पुलिस के पत्र में कहीं भी बांग्ला या बंगाली को 'बांग्लादेशी' भाषा नहीं बताया गया है। बंगालियों से केंद्र के खिलाफ आवाज उठाने की अपील करना बेहद गैरजिम्मेदाराना है। भाषाई संघर्ष भड़काने के लिए ममता बनर्जी को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
अमित मालवीय ने कहा, 'बांग्लादेशियों की भाषा को बांग्लादेशी कहना बिल्कुल सही है। इस शब्द का इस्तेमाल उन बोलियों, वाक्यविन्यास और भाषण शैलियों के समूह के लिए किया जा रहा है जो भारत में बोली जाने वाली बांग्ला से बिल्कुल अलग हैं। बांग्लादेश की आधिकारिक भाषा बोलने की शैली के आधार पर भी अलग है, इसमें सिलहटी जैसी बोलियां भी शामिल हैं पश्चिम बंगाल की भाषा से अलग है।'
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अमित मालवीय:-
असलियत में बंगाली नाम की कोई ऐसी भाषा नहीं है जो इन सभी को जोड़ सके। बंगाली जातीयता को दर्शाता है, भाषाई एकरूपता को नहीं। इसलिए जब दिल्ली पुलिस 'बांग्लादेशी भाषा' कह रही है तो यह बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासियों की पहचान करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले भाषाई चिह्नों से संबंधित है। पश्चिम बंगाल में बोली जाने वाली बंगाली भाषा पर दिल्ली पुलिस ने टिप्पणी नहीं की है।
अमित मालवीय ने कहा, 'आनंद मठ, उस दौर की बांग्ला भाषा में, संन्यासी विद्रोह की पृष्ठभूमि में लिखा गया था। वंदे मातरम की रचना अलग से, संस्कृत में की गई थी और बाद में इसे उपन्यास में शामिल कर दिया गया। जन गण मन, को मूल रूप से ब्रह्मो भजन के रूप में रचा और गाया गया था, फिर से संस्कृतनिष्ठ बांग्ला भाषा में लिखा गया।'
पश्चिम बंगाल बीजेपी अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस, बंगालियों के मन में केंद्र के खिलाफ नफरत बढ़ा रही है, भय फैलाने की रणनीति पर ममता बनर्जी काम कर रही हैं और अवैध प्रवासियों को बचा रही हैं।
दिल्ली पुलिस की चिट्ठी में क्या है?
दिल्ली पुलिस ने कथित तौर पर नई दिल्ली स्थित पश्चिम बंगाल के राजकीय अतिथिगृह, बंग भवन को पत्र लिखकर बांग्लादेश से अवैध रूप से आए 8 संदिग्ध प्रवासियों के 'बांग्लादेशी भाषा' में लिखे दस्तावेजों के अनुवाद मदद मांगी थी। इस पत्र का 'खबरगांव' स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं करता है।
'बांग्लादेशी भाषा' विवाद पर लोग क्या कह रहे हैं?
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टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा है कि गृहमंत्री अमित शाह माफी मांग लें। उन्हीं के मंत्रालय के अधीन दिल्ली पुलिस आती है।
अभिषेक बनर्जी:-
पिछले कई महीनों से, बीजेपी शासित राज्यों में बंगाली भाषी लोगों को निशाना बनाया जा रहा है, परेशान किया जा रहा है। उन्हें हिरासत में लिया जा रहा है। यह चिट्ठी चौंका रही है और बंगाली पहचान को कमजोर किया जा रहा है। बंगालियों से विदेशियों जैसा सलूक हो रहा है।
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा, 'आधिकारिक दस्तावेजों में बांग्ला को बांग्लादेशी भाषा कहना एक सोची-समझी कार्रवाई है। हम दिल्ली पुलिस से बिना शर्त माफी की मांग करते हैं।'
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CPI ने क्या कहा?
भारत में लाखों लोग बंगाली बोलते हैं लेकिन दिल्ली पुलिस बंगाली को बांग्लादेशी मानती है। कम्युनिस्ट पार्टी, भाषा और पहचान के इस अपराधीकरण की कड़ी निंदा कर रही है।
कलाकारों ने क्या कहा?
सुरोजीत चटर्जी, सिंगर:-
बांग्ला को बांग्लादेशी भाषा कहा गया। ठीक इसी तरह की अज्ञानता की मैं जिम्मेदार लोगों से उम्मीद करता हूं। बिलकुल भी हैरानी नहीं हुई है।
दिल्ली पुलिस की चिट्ठी पर बंगाली कलाकारों ने भी नाराजगी जाहिर की है। फिल्म निर्देशक श्रीजीत मुखर्जी ने लिखा, 'यह बांग्लादेशी भाषा नहीं है। यह बांग्ला या बंगाली है, वही भाषा जिसमें आपका राष्ट्रगान मूल रूप से लिखा गया था और जो भारत की 22 आधिकारिक भाषाओं में से एक है।'
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