राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत वाराणसी दौरे पर हैं। उन्होंने संघ के स्वयंसेवकों के साथ हुई एक बैठक में कहा है कि संघ की शाखा में हर कोई शामिल हो सकता है, पंथ जाति और धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं है लेकिन वे लोग शाखा में नहीं आ सकते हैं, जो खुद को मुगल बादशाह औरंगजेब के वंशज न मानते हों।
मोहन भागवत, वाराणसी के लाजपत नगर पार्क के मलदहिया इलाके में एक शाखा को संबोधित कर रहे थे। उनके दौरे के चौथे किसी ने संघ प्रमुख से किसी ने सवाल किया कि क्या मुसलमान संघ की शाखा में हिस्सा ले सकते हैं तो उन्होंने यह जवाब दिया। सवाल पूछने वाले शख्स ने मोहन भागवत से कहा था कि उनके कुछ मुसलमान पड़ोसी हैं जो संघ की शाखा में हिस्सा लेना चाहते हैं, क्या उन्हें लाया जा सकता है।
'संघ में पूजा पद्धति के आधार पर भेदभाव नहीं'
मोहन भागवत ने कहा, 'शाखा के दरवाजे सबके के लिए खुले हैं जो भारत माता की जय कहने के लिए तैयार हैं, जो भगवा ध्वज का आदर करते हैं। संघ की विचारधारा में पूजा पद्धति के तरीके के आधार पर कोई भेदभाव नहीं है।'
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'औरंगजेब के वंशजों छोड़ सब आ सकते हैं शाखा'
मोहन भागवत ने कहा, 'केवल उन्हीं के आने की मनाही है जो खुद को औरंगजेब का वंशज समझते हैं। सभी भारतीयों का संघ की शाखा में स्वागत है क्योंकि पूजा पद्धति, पंथ, जाति और संप्रदाय भले ही अलग हों, हमारी संस्कृति एक है।' उन्होंन कहा कि संघ में सबका स्वागत है।
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अखंड भारत पर उन्होंने क्या कहा?
मोहन भागवत ने बिना पाकिस्तान का नाम लिए वहां की स्थिति का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जो लोग अखंड भारत की परिकल्पना को नकारते हैं, अव्यवहारिक मानते हैं तो उन्हें सिंध प्रांत से सीखना चाहिए। जो हिस्से भारत से अलग हुए, वे दुर्दशा का सामना कर रहे हैं।