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औरंगजेब, बाबर से राणा सांगा तक, सपा और BJP-संघ में ठनी क्यों है?

देश की सियासत में मुगल बादशाहों पर एक बार फिर से बहस छिड़ी है। सपा और बीजेपी में जुबानी जंग छिड़ गई है। क्या है मामला, पढ़ें रिपोर्ट।

Aurangzeb Row

संघ प्रमुख मोहन भागवत और दत्तात्रेय हसबोले। (Photo Credit: Social Media)

14 फरवरी को विकी कौशल की फिल्म 'छावा' क्या रिलीज हुई, एक बार फिर से 'औरंगजेब' पर सियासत छिड़ गई है। समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी ने औरंगजेब की तारीफ में कसीदे पढ़े तो भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने जमकर आलोचना की। उन्हें विधानसभा से पूरे सत्र के लिए बाहर तक कर दिया गया। औरंगजेब का महिमा मंडन करने पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (AIMIM) असदुद्दीन ओवैसी की किरकिरी हुई। सपा सांसद रामजी लाल सुमन के बयान पर हंगामा हुआ तो संघ के महासचिव दत्तात्रेय हसबोले ने भी औरंगजेब की तारीफ करने वालों पर जमकर भड़ास निकाली।

राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (RSS) के महासचिव दत्तात्रेय हसबोले ने कहा, 'अतीत में बहुत सी घटनाएं हुई हैं। दिल्ली में एक 'औरंगजेब रोड' थी, जिसका नाम बदलकर अब्दुल कलाम रोड कर दिया गया। इसके पीछे कुछ कारण थे। औरंगजेब के भाई दारा शिकोह को हीरो नहीं बनाया गया। गंगा-जमुनी तहजीब की वकालत करने वालों ने कभी दारा शिकोह को आगे लाने के बारे में नहीं सोचा।'

औरंगजेब नायक, दारा शिकोह क्यों नहीं?

दत्तात्रेय हसबोले ने कहा, 'क्या हम किसी ऐसे व्यक्ति को आइकॉन बनाएंगे जो भारत की संस्कृति के खिलाफ था, या हम उन लोगों के साथ जाएंगे जिन्होंने यहां की जमीन, संस्कृति और परंपराओं के अनुसार काम किया? औरंगजेब के भाई दाराशिकोह, भारतीय परंपराओं के हिसाब चल रहे थे, यह हम तय कर सकते हैं कि किसे नायक बनाएंगे।'

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देश की संस्कृति की संघ को चिंता क्यों?
दत्तात्रेय हसबोले ने कहा, 'अगर आजादी की लड़ाई अंग्रेजों के खिलाफ लड़ी जाती है, तो यह आजादी की लड़ाई है। उनसे पहले जो लोग थे उनके खिलाफ लड़ाई भी आजादी की लड़ाई थी। महाराणा प्रताप ने जो किया वह आजादी की लड़ाई थी। अगर आक्रमणकारी मानसिकता वाले लोग हैं, तो वे देश के लिए खतरा हैं। हमें तय करना होगा कि हम अपने देश की संस्कृति के साथ किसे जोड़ने जा रहे हैं। यह धर्म की बात नहीं है। ऐसा संघ का दृढ़ विचार है।'



क्यों खंगाला जा रहा है देश में इतिहास, सपा क्यों फंसी?
भारत में सियासी पार्टियों की जुबानी जंग में 'मुगल' एक बार फिर जिंदा हो गए हैं। सपा सांसद रामजी लाल सुमन के एक बयान पर भी हंगामा बरपा है। उन्होंने कहा, 'बीजेपी के लोगों का तकिया कलाम हो गया है कि इनमें बाबर का डीएनए है। मैं ये जानना चाहता हूं कि हिन्दुस्तान का मुसलमान बाबर को अपना आदर्श तो मानता नहीं है। बाबर को आखिर लाया कौन था। इब्राहिम लोदी को हराने के लिए बाबर को राणा सांगा लेकर आया था। मुसलमान बाबर की औलाद हैं, लेकिन तुम गद्दार राणा सांगा की औलाद हो और हिंदुस्तान में ये तय हो जाना चाहिए। बाबर की आलोचना हो तो राणा सांगा की आलोचना क्यों नहीं।'

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बचाव में क्या कह रहे हैं अखिलेश यादव?

अखिलेश यादव ने कहा, 'रामजी लाल सुमन ने जो कहा है, वह इसलिए कहा क्योंकि हर कोई इतिहास के पन्ने पलट रहा है। बीजेपी के नेता औरंगजेब के बारे में बहस करना चाहते हैं। रामजी लाल सुमन ने भी इतिहास का वो पन्ना पलट दिया जहां कुछ ऐसा लिखा था। हमने 100-200 साल पहले का इतिहास नहीं लिखा। मैं बीजेपी से विनती करता हूं कि वो इतिहास के पन्ने न पलटे क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो लोग ये भी याद रखेंगे कि जब छत्रपति शिवाजी महाराज का तिलक होने वाला था तो किसी ने नहीं किया था। उनका तिलक हाथ से नहीं किया गया था सुनने में आ रहा है कि पैर के बाएं अंगूठे से उनका तिलक किया गया था। क्या भारतीय जनता पार्टी इस बात की आज निंदा करेगी. छत्रपति शिवाजी महाराज जी का तिलक बाएं पैर के अंगूठे से किया गया तो इसके लिए क्या भाजपा माफी मांगेगी?'



इतिहास की समझ नहीं, बयान देता है विपक्ष, दिया कुमारी ने फटकारा
राजस्थान की डिप्टी सीएम ने दिया कुमारी ने रामजी लाल सुमन के बयान पर कहा, 'जिस तरह से संसद में उन्होंने कहा उनके शब्द बहुत ही गलत थे। उन्हें इतिहास की जानकारी नहीं है। राणा सांगा ने मेवाड़ और राजस्थान के लिए बहुत कुछ किया है। जिस तरह से विपक्ष बिना सही रिसर्च और जानकारी के महाराणा प्रताप और राणा सांगा के बारे में टिप्पणियां करता है ये बेहद ही गलत है।'

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