कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े एक केस में चार्जशीट दाखिल की है। हरियाणा के गुरुग्राम के मानेसर-शिकोहपुर में एक जमीन का सौदा हुआ था। साल 2008 स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी ने जमीन का अधिग्रहण किया था। रॉबर्ट वाड्रा इस केस के निदेशक थे। ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से 7.5 करोड़ रुपये में 3.5 एकड़ जमीन की सौदेबाजी से जुड़े एक केस में अब ईडी ने चार्जशीट दाखिल की है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि ईडी जरिए उनके बहनोई रॉबर्ट वाड्रा को 10 साल से सरकार परेशान कर रही है।
राहुल गांधी ने कहा है कि सरकार की वजह से प्रियंका गांधी और उनके बच्चों को भी परेशान होना पड़ रहा है, उन्हें फंसाने की कोशिश की जा रही है। उनका कहना है कि यह सिर्फ राजनीति से प्रेरित होकर किया जा रहा है, जबकि रॉबर्ट वाड्रा निर्दोष हैं। रॉबर्ट वाड्रा से कई बार पूछताछ हो चुकी है। उन्होंने कहा कि एक न एक दिन सच बाहर आएगा।"
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राहुल गांधी, नेता विपक्ष, लोकसभा:-
मेरे जीजा को इस सरकार की तरफ से 10 साल से परेशान किया जा रहा है। नई चार्जशीट भी उसी उत्पीड़न का हिस्सा है। मैं रॉबर्ट वाड्रा, प्रियंका और उनके बच्चों के साथ खड़ा हैं, उन्हें राजनीतिक, दुर्भवनापूर्ण और बदनामी की वजह से उत्पीड़ित होना पड़ रहा है। मुझे पता है कि वे सभी इसे झेलने में सक्षम हैं। वे अपने स्वाभिमान के साथ इसे पूरा कर लेंगे। सच की जीत होगी।
रॉबर्ट वाड्रा और भूपेंद्र हुड्डा फंसे क्यों हैं, केस क्या है?
फरवरी 2008 में रॉबर्ट वाड्रा के स्वामित्व वाली कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी और ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज के बीच एक जमीन सौदा हुआ। सौदे में गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में 3.5 एकड़ जमीन का सौदा 7.5 करोड़ रुपये में स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने खरीद ली। राज्य के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा थे। उनकी सरकार ने इस जमीन पर 2.7 एकड़ के लिए एक कॉमर्शियल कॉलोनी विकसित करने का लाइसेंस स्काईलाइट को दे दिया। कॉलोनी बनाने की जगह रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी ने इस जमीन को DLF को 58 करोड़ रुपये में बेच दिया। स्काईलाइट को सीधे 50 करोड़ रुपये का तत्काल मुनाफा हुआ।
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FIR कब हुई?
2018 में हरियाणा पुलिस ने रॉबर्ट वाड्रा, भूपेंद्र हुड्डा, DLF और ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज के खिलाफ FIR दर्ज की। धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप लगे। भारतीय दंड संहिता की धारा 120, 420, 467, 468 और 471 के तहत केस दर्ज किया गया।
किस पर क्या हैं आरोप?
भूपेंद्र हुड्डा, तब हरियाणा के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने रॉबर्ट वाड्रा के जमीन खरीदने के एक महीने बाद ही आवासीय परियोजना विकसित करने की इजाजत दे दी। जैसे ही इस परियोजना को मंजूरी मिली, जमीन के दाम कई गुना बढ़ गए। स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी को यह लाइसेंस मिला था लेकिन उसने जमीन ही DLF को बेच दी। सिर्फ 4 महीने में कथित तौर पर 700 प्रतिशत मुनाफा वाड्रा की कंपनी को हुआ। कॉलोनी बनाने का लाइसेंस भी डीएलएफ को ट्रांसफर हो गया।
सियासी मुद्दा कैसे बन गया?
ED ने शक जताया कि किसी जमीन की कीमत, इतने कम दिनों में अप्रत्याशित तौर पर कैसे बढ़ गई, जबकि ओंकारेश्वर प्रॉपर्टी एक फर्जी कंपनी की तरह नजर आई। पूरे जमीन सौदे में इस कंपनी की भूमिका सिर्फ पेमेंट तक सीमित रही। जमीन की खरीद से जुड़ा चेक, जमा नहीं हुआ। हरियाणा पुलिस की ही FIR के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज हुआ था। जब-जब रॉबर्ट वाड्रा से पूछताछ होती है, कांग्रेस यही सवाल उठाती है।