logo

ट्रेंडिंग:

क्या होता यूरेनियम एनरिचमेंट, जिसके चक्कर में फंस गया ईरान?

अमेरिका लगातार ईरान के यूरेनियम एनरिचमेंट कार्यक्रम को लेकर चिंतित रहा है और इसे रोकने के लिए उसने तमाम तरह के प्रतिबंध भी उस पर लगाए हैं। इजरायल के लिए भी यह चिंता का विषय है।

nuclear plant representational image । Photo Credit: PTI

न्यूक्लियर प्लांट की प्रतीकात्मक तस्वीर । Photo Credit: PTI

पिछले हफ्ते, इजरायल ने ईरान के तीन महत्वपूर्ण परमाणु केंद्रों—नतांज, इस्फहान और फोर्डो—पर कथित रूप से हमला किया। इन हमलों में कई ईरानी परमाणु वैज्ञानिक मारे गए। ये केंद्र बहुत मजबूत और ज्यादातर जमीन के नीचे बने हैं, इसलिए यह साफ नहीं है कि कितना नुकसान हुआ है। लेकिन ये हमले क्यों हुए? ये केंद्र इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं? और इससे दुनिया पर क्या असर पड़ सकता है? यह अपने आप में काफी महत्त्वपूर्ण है।

 

ईरान के ये तीन केंद्र—नतांज, इस्फहान, और फोर्डो—परमाणु हथियार बनाने की प्रक्रिया में ईरान के लिए सबसे अहम भूमिका निभाते हैं। लेकिन परमाणु हथियार क्या होते हैं, और इन केंद्रों का क्या काम है? इसे समझने के लिए हमें पहले कुछ बुनियादी बातें समझनी होंगी।

 

यह भी पढ़ेंः भारत-पाक युद्ध रुकवाया; पाकिस्तान से प्यार, मोदी...,क्या बोल गए ट्रंप?

 

नतांज और फोर्डो यूरेनियम एनरिचमेंट (Uranium Enrichment) के लिए इस्तेमाल होते हैं। यूरेनियम एनरिचमेंट का मतलब है यूरेनियम नामक मेटल को इस तरह तैयार करना कि वह एटॉमिक रिएक्शन के लिए उपयुक्त हो। यह रिएक्शन बिजली बनाने या परमाणु हथियार बनाने के लिए इस्तेमाल हो सकता है। वहीं इस्फहान यह केंद्र यूरेनियम के लिए कच्चा माल तैयार करता है। बिना कच्चे माल के, नतांज और फोर्डो में एनरिचमेंट का काम नहीं हो सकता।

 

अब अगर इन केंद्रों को नुकसान पहुंचा है, तो ईरान की परमाणु हथियार बनाने की क्षमता कम हो सकती है। यही कारण है कि इजरायल ने इन पर हमला किया। लेकिन, यहां सवाल उठता है कि यूरेनियम एनरिचमेंट क्या है, और यह इतना खतरनाक क्यों माना जाता है? खबरगांव इस लेख में इसी बात पर चर्चा करेगा कि आखिर यूरेनियम एनरिचमेंट क्या होता, कैसे होता है और इसे कैसे और क्यों किया जाता है?

यूरेनियम क्या है?

यूरेनियम एक तरह का मेटल है जो कि प्राकृतिक रूप से पाया जाता है और इसे जमीन से खनन के जरिए निकाला जाता है। यह मेटल बहुत खास है, क्योंकि यह एटॉमिक रिएक्शन में इस्तेमाल हो सकती है। एटॉमिक रिएक्शन वह प्रक्रिया है, जिसमें बहुत ज्यादा ऊर्जा निकलती है। इस ऊर्जा का इस्तेमाल दो तरह से हो सकता है। एक तो शांतिपूर्ण उपयोग, जैसे कि बिजली बनाने के लिए हो सकता है और दूसरा हथियारों के लिए जैसे कि परमाणु बम बनाने के लिए, जो बहुत विनाशकारी होते हैं।

परमाणु क्या होते हैं?

किसी भी चीज या पदार्थ की जो सबसे छोटी संरचना होती है उसे परमाणु कहते हैं। सारी चीजें—हवा, पानी, पत्थर इत्यादि—छोटे-छोटे कणों से बनी होती हैं, इन्हें ही परमाणु (Atoms) कहते हैं। परमाणु के भी तीन मुख्य हिस्से होते हैं- प्रोटॉन, न्यूट्रॉन और इलेक्ट्रॉन। प्रोटॉन परमाणु के केंद्र में होते हैं और हर तत्व (जैसे कार्बन, ऑक्सीजन, यूरेनियम) को उसका खास गुण देते हैं। उदाहरण के लिए, यूरेनियम में 92 प्रोटॉन होते हैं, जबकि कार्बन में 6। न्यूट्रॉन भी परमाणु के केंद्र में होते हैं, लेकिन इनका कोई चार्ज नहीं होता। ये परमाणु को स्थिर रखने में मदद करते हैं। वहीं इलेक्ट्रॉन परमाणु के चारों ओर चक्कर लगाते हैं और प्रोटॉनों के बराबर संख्या में होते हैं।

यह भी पढ़ें: 20 महीने से तल्ख भारत-कनाडा के रिश्ते, अब सुधरेंगे? इनसाइड स्टोरी

U-235 और U-238 में अंतर क्या?

यूरेनियम-235 बहुत खास है, क्योंकि यह परमाणु विखंडन (Nuclear Fission) में हिस्सा ले सकता है। परमाणु विखंडन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें एक परमाणु टूटता है और बहुत सारी ऊर्जा निकलती है। इस प्रक्रिया में एक न्यूट्रॉन यूरेनियम-235 के परमाणु से टकराता है जिससे परमाणु दो हिस्सों में टूट जाता है और और एक न्यूट्रॉन को मुक्त करता है। ये नए न्यूट्रॉन दूसरे यूरेनियम-235 परमाणुओं से टकराते हैं, और यह सिलसिला चलता रहता है। इसे चेन रिएक्शन कहते हैं।

 

इस चेन रिएक्शन से इतनी ज्यादा ऊर्जा निकलती है कि परमाणु बम में यह एक सेकंड के अंदर विस्फोट पैदा करता है। परमाणु बिजलीघर में इसे नियंत्रित करके बिजली बनाई जाती है, लेकिन यूरेनियम-238 इस चेन रिएक्शन को शुरू नहीं कर सकता। इसलिए, एटॉमिक रिएक्शन के लिए हमें यूरेनियम-235 की जरूरत होती है।

मात्रा में कम

यूरेनियम-238 (U-238) में 92 प्रोटॉन और 146 न्यूट्रॉन होते हैं। प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले कुल यूरेनियम का 99.27% हिस्सा यही होता है। वहीं यूरेनियम-235 (U-235) प्राकृतिक रूप से केवल 0.72% हिस्सा ही पाया जाता है। इसमें 92 प्रोटॉन और 143 न्यूट्रॉन होते हैं।

 

इसे यूरेनियम का आइसोटोप कहा जाता है। यानी कि जब कभी-कभी एक ही तत्व (जैसे यूरेनियम) के परमाणुओं में प्रोटॉनों की संख्या तो एक जैसी होती है, लेकिन न्यूट्रॉनों की संख्या अलग होती है तो ऐसे पदार्थों को आइसोटोप कहा जाता है।

यूरेनियम एनरिचमेंट क्या है?

यूरेनियम एनरिचमेंट का मतलब है यूरेनियम में यूरेनियम-235 की मात्रा को बढ़ाना और यूरेनियम-238 को कम करना। जब हम यूरेनियम को जमीन से निकालते हैं, तो उसमें सिर्फ 0.72% यूरेनियम-235 होता है। इसे बढ़ाने के लिए सेंट्रीफ्यूज की प्रक्रिया के जरिए यूरेनियम को संवर्धित या एनरिच किया जाता है।

 

सेंट्रीफ्यूज एक ऐसी मशीन है, जो बहुत तेजी से घूमती है। इसे समझने के लिए आप अपने घर के सलाद स्पिनर को याद करें। जब आप सलाद स्पिनर को घुमाते हैं, तो पानी बाहर की तरफ चला जाता है और सलाद बीच में रहता है। सेंट्रीफ्यूज भी ऐसा ही करता है। यूरेनियम को गैस के रूप में सेंट्रीफ्यूज में डाला जाता है। यह मशीन प्रति मिनट 50,000 से 70,000 बार घूमती है। इससे यूरेनियम-238, जो थोड़ा भारी होता है, बाहर की तरफ चला जाता है, और यूरेनियम-235, जो हल्का होता है, बीच में रह जाता है। इस तरह, यूरेनियम-235 को अलग किया जाता है, लेकिन यह प्रक्रिया एक बार में पूरी नहीं होती। इसे बार-बार दोहराना पड़ता है ताकि यूरेनियम-235 की मात्रा बढ़े।

कितना एनरिचमेंट चाहिए?

बिजली बनाने के लिए परमाणु बिजलीघरों में लो-एनरिच्ड यूरेनियम (Low Enriched Uranium) चाहिए, जिसमें 3% से 5% यूरेनियम-235 होता है। वहीं परमाणु हथियार के लिए इसके लिए हाईली एनरिच्ड यूरेनियम (Highly Enriched Uranium) चाहिए, जिसमें कम से कम 20% यूरेनियम-235 हो। लेकिन ज्यादातर परमाणु हथियार 90% संवर्धित यूरेनियम (जिसे वैपन्स-ग्रेड यूरेनियम कहते हैं) का इस्तेमाल करते हैं।

ईरान का मामला क्यों चिंताजनक है?

अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के अनुसार, ईरान ने यूरेनियम को 60% तक संवर्धित किया है। 60% से 90% तक एनरिचमेंट करना 1% से 60% तक करने से ज्यादा आसान है, क्योंकि अब यूरेनियम-238 की मात्रा बहुत कम रह जाती है। यही वजह है कि दुनिया को डर है कि ईरान परमाणु हथियार बना सकता है।

यह भी पढ़ें: न सदस्य न पर्यवेक्षक, फिर भी न्योता, G7 देशों से भारत को मिलता क्या है

खतरा क्या?

इजरायल और कई अन्य देशों को डर है कि अगर ईरान परमाणु हथियार बना लेता है, तो यह क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा होगा। ईरान का कहना है कि वह यूरेनियम एनरिचमेंट सिर्फ शांतिपूर्ण उद्देश्यों (जैसे बिजली बनाने) के लिए कर रहा है। लेकिन IAEA ने हाल ही में कहा कि ईरान ने परमाणु अप्रसार संधि (Nuclear Non-Proliferation Treaty) के नियम तोड़े हैं। यह संधि देशों को परमाणु हथियार बनाने से रोकती है और यह सुनिश्चित करती है कि परमाणु तकनीक का इस्तेमाल सिर्फ शांतिपूर्ण कार्यों के लिए हो।

 

इजरायल का मानना है कि ईरान परमाणु हथियार बनाने के बहुत करीब है। इसलिए, उसने नतांज, इस्फहान, और फोर्डो के परमाणु केंद्रों पर हमला किया ताकि ईरान की इस क्षमता को रोका जा सके।

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap